1. विज्ञान के दृष्टिकोण से कार्य की जो परिभाषा है, उसके अनुसार बताये कि निम्नलिखित क्रियाकलापों में कार्य हो रहा है अथवा नहीं-
(a) ऊषा एक तालाब में तैर रही है।
उत्तर- हाँ
(b) एक घोड़े ने अपनी पीठ पर बोझ उठा रखा है।
उत्तर- नहीं
(c) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
उत्तर- हाँ
(d) एक पौधे का हरी पत्तियों में प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
उत्तर- नहीं
(e) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
उत्तर- हाँ
(f) अनाज के दाने धूप में सूख रहे हैं।
उत्तर- नहीं
(g) एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर- हाँ
2. 10kg द्रव्यमान की एक वस्तु को मेज पर किसी बिंदु A से दूसरे बिंदु B तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलानेवाली रेखा क्षैतिज हो तो वस्तु पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिये।
उत्तर- गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा, क्योंकि यहाँ वस्तु का A से B तक विस्थापन गुरुत्व बल के लंबवत दिशा में हो रहा है। लगनेवाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन
3. क्या किसी पिंड पर हो सकता है ? अपने उत्तर की व्याख्या करें।
उत्तर - हाँ, बल की अनुपस्थिति में भी पिंड का विस्थापन हो सकता है। बल की अनुपस्थिति ( अर्थात् F = 0) में पिंड का त्वरण शून्य होगा और पिंड एकसमान वेग से गतिशील रहेगी (न्यूटन के प्रथम गति नियम से ) ।
4. कोई मनुष्य किसी बोझ को अपने सिर आधे घंटे तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कोई कार्य किया या नहीं ?
5. निम्नांकित में प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान की वास्तु पर बल F लग रहा है (चित्र)। वास्तु का विस्थापन s है। बताइए की किया गया कार्य धनात्मक है, ऋणात्मक है या शुन्य है?
उत्तर- (a) शून्य कार्य (b) धनात्मक कार्य (c) ऋणात्मक कार्य ।
उत्तर- चूँकि ऐसी स्थिति में बोझ का विस्थापन शून्य है, इसलिये मनुष्य ने कोई कार्य नहीं किया।
6. किसी वस्तु का द्रव्यमान दुगुना करने पर या उसका वेग दुगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा किस स्थिति में अधिक प्रभावित होगी ?
उत्तर- वस्तु का द्रव्यमान दुगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा दुगुनी हो जायेगी बशर्ते उसकी चाल समान रहे।
7. जब कोई चालक किसी पहाड़ी पर अपना वाहन चढ़ाता है तब उसकी चाल को क्यों बढ़ा देता है ?
उत्तर - जब चालक वाहन को पहाड़ी पर चढ़ाता है तब वाहन की स्थितिज ऊर्जा उसकी गतिज ऊर्जा की कीमत पर चढ़ती है। अतः स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण गतिज ऊर्जा की सभी को पूरा चाल को बढ़ा देता है।
8. मुक्त रूप से गिरते हुये पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है।एक क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करता है ? कारण बतायें।
उत्तर - पिंड ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं करता है। मुक्त रूप से गिरते पिंड की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में रूपांतरित होती जाती है ।
9. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गयी ऊर्जा कहाँ चली जाती है।
उत्तर - हाँ, इस अवस्था में भी ऊर्जा का स्थानांतरण (रूपांतरण) होता है। हमारे द्वारा व्यय की गयी ऊर्जा ऊष्मा (ऊर्जा) में रूपांतरित हो जाती है।
10. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन-सी ऊर्जाओं के रूपांतरण होते हैं ?
उत्तर- जब हम साइकिल चलाते हैं तो हमारी पेशियों में संचित रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) पैडल को यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) में रूपांतरित होती है और फिर इस ऊर्जा से साइकिल के चक्कों को गतिज ऊर्जा प्राप्त होती है।
11. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होनेवाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर - बैटरी में रासायनिक ऊर्जा संचित रहती है। जब बल्ब जलता है तो वही रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा के रूप में और फिर यह विद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा और ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है।
12. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होनेवाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करें। गोलकं कुछ समय पश्चात विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर- जब सरल लोलक का गोलक निर्वात (Vaccum) में दोलन करता है तो स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरण होता रहता है। परन्तु गोलक की कुल यांत्रिक ऊर्जा अर्थात उसके स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा का योग हमेशा है (ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धांत) । परन्तु जब गोलक वायु में दोलन करता है तो दोलन के क्रम वायु से घर्षण के विरुद्ध कार्य करते-करते उसकी ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में रूपांतरित होती जाती है और अंततः कुछ समय पश्चात गोलक विराम की अवस्था में आ जाता है।
13. कार्य, शक्ति और ऊर्जा में विभेद करें।
उत्तर- कार्य – जब कोई वस्तु किसी बल के प्रभाव के अधीन चलती है तब कार्य सम्पन्न हुआ कहा जाता है। यदि वस्तु पर आरोपित बल F हो और वस्तु द्वारा बल की दिशा में तय की गयी दूरी S हो, तो सम्पन्न कार्य W = Fs, कार्य का मात्रक जूल (J) होता है।
ऊर्जा–कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा का मात्रक भी जूल (J) होता है ।
शक्ति–प्रति इकाई (एकांक) समय में किये गये कार्य को शक्ति कहते हैं। शक्ति का मात्रक वाट (W) होता है।
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