जननायक कर्पूरी ठाकुर
जीवनी
1.कर्पूरी ठाकुर को कौन-कौन कार्य करने में आनंद मिलता था ?
उत्तर – कर्पूरी ठाकुर को खेलकूद, गाय और अन्य पशुओं को चराने में मन । इसके अलावा उन्हें दौड़ने, तैरने, लोकगीत एवं गाँव की मंडली में डफ भी शौक था।
2. कर्पूरी ठाकुर अपने परिजनों को प्रतीक्षा करने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर – जबतक देश के प्रत्येक निवासी को सम्मानजनक और सुविधा-संपन्न स्वाधीन - जीवनयापन करने का अवसर नहीं मिलेगा, तबतक मेरे परिजनों को भी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
3. कर्पूरी ठाकुर को कब गिरफ्तार किया गया?
उत्तर– कर्पूरी ठाकुर लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा गठित 'आजाद दस्ता' के सक्रिय सदस्य थे। आजाद दस्ता के सदस्य के रूप में जो भी जिम्मेदारी मिलती उसे बखूबी निभाते। इसलिए 23 अक्टूबर, 1943 ई० को रात्रि लगभग दो बजे गिरफ्तार कर दरभंगा जेल में डाल दिया गया था।
4. कर्पूरी ठाकुर को मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा के लिए कहाँ और किस प्रकार जाना पड़ता था?
उत्तर- सन् 1940 ई० में कर्पूरी ठाकुर मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद चंद्रधारी मिथिला कॉलेज में इन्होंने आई०ए० में नाम लिखवाया, लेकिन कॉलेज आना जाना एक कठिन काम था। आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे किसी छात्रावास में रहकर पढ़ते । फलतः वे घर से ही घुटने तक धोती पहने, कंधे पर गमछा रखे, बिना जूता-चप्पल पहने पाँव-पैदल चलकर मुक्तापुर स्टेशन पहुँचते थे। वहीं से रेलगाड़ी पकड़कर दरभंगा पहुँचते और कॉलेज में दिनभर पढ़कर संध्या समय लौटते ।
5. जननायक कर्पूरी ठाकुर ने कौन-कौन से पद की शोभा बढ़ाई?
उत्तर – जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अपने परिश्रम और संघर्ष के बल पर बिहार के कई पदों पर अपनी शोभा बढ़ाई। वे 1952 से 1988 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। इस दौरान बिहार विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष, विरोधी दल के नेता, उपमुख्यमंत्री एवं दो बार बिहार राज्य के मुख्यमंत्री भी बनें।
6. कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब और कहाँ हुआ था? उनके माता-पिता एवं पत्नी का क्या नाम था ?
उत्तर- श्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के निकट पितौंझिया नामक गाँव में 24 जनवरी, 1921 को हुआ। उनकी माता का नाम रामदुलारी देवी, पिता का नाम | गोकुल ठाकुर तथा पत्नी का नाम फुलेसरी देवी था।
झाँसी की रानी
कविता - सुभद्रा कुमारी 'चौहान'
1. “हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में" इस पंक्ति में वीरता और वैभव का संकेत किस-किस की ओर है?
उत्तर –यहाँ 'वीरता' का संकेत लक्ष्मीबाई के शौर्य से है और 'वैभव' का संकेत झाँसी के राजकुमार की अकूत सम्पत्ति से है। लगता है कि वीरता का ब्याह दौलत के साथ किया गया हो।
2. लक्ष्मीबाई का बचपन किस प्रकार के खेलों में बीता ?
उत्तर – लक्ष्मीबाई बचपन में बरछी, ढाल, तलवार, कटार आदि हथियारों से खेला करती थी। ये हथियार ही उनके खिलौने थे। बचपन से ही सैन्य शिक्षा में उनकी रुचि थी। नकली युद्ध करना, व्यूह रचना, सैनिकों को घेरना, दुर्ग तोड़ना, घोड़े पर चढ़ना, तलवार - बरछी चलाना उसका प्रतिदिन का खेल था। इस प्रकार घातक हथियारों से खेलने में उसका बचपन बीता।
3. 'लक्ष्मीबाई' ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई क्यों लड़ी?
उत्तर – लक्ष्मीबाई की शादी झाँसी के राजा के साथ बड़ी धूमधाम से हुई थी लेकिन कुछ दिनों बाद ही राजा की मृत्यु हो गई। झाँसी उत्तराधिकारीहीन राज्य हो गया।
तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को झाँसी हड़प करने का अच्छा 1 अवसर हाथ लग गया। उसने तुरन्त सेना भेजकर झाँसी के किले पर झण्डा फहरा दिया। इसे देख रानी लक्ष्मीबाई ने म्यान से तलवार निकाल ली और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी।
4. लक्ष्मीबाई को किनकी गाथाएँ याद थीं?
उत्तर – लक्ष्मीबाई पिता की अकेली संतान थी और कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थी। ये बचपन से ही बड़ी वीर थी । लक्ष्मीबाई को वीर शिरोमणि शिवाजी की गाथाएँ जवानी याद थी ।
5. झाँसी का दीपक बुझने पर डलहौजी ने क्या किया?
उत्तर- झाँसी का दीप बुझने पर डलहौजी मन से खुश हुआ। उसने झाँसी के राज्य का हड़प कर अपने साम्राज्य में मिला लिया। झाँसी के दुर्ग पर उसने अँग्रेजों का झंडा फहरा दिया। उसने अपने को झाँसी का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया।
6. “बूढ़े भारत में भी आयी फिर से नयी जवानी थी।" उपर्युक्त पंक्ति में भारत को 'बढ़ा' क्यों कहा गया है?
उत्तर- भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। यही कारण है कि उत्तर भारत को बूढ़ा कहा गया है।
7. निम्नलिखित पंक्ति की पूर्ति करें : सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, आई फिर से नई जवानी थी।
उत्तर- सिहांसन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थीं।
8. कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन 'छबीली' थी, यहाँ छबीली किसे कहा गया है?
उत्तर - कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन 'छबीली' झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी । प्रस्तुत पंक्ति में छबीली लक्ष्मीबाई को कहा गया है।
9. महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर – महारानी लक्ष्मीबाई अँग्रेजों को छक्का छुड़ाती हुई आगे बढ़ रही थी । अचानक सामने नाला आ गया। यह महारानी लक्ष्मीबाई के लिए संकट की घड़ी थी । नया घोड़ा अड़ गया और बहुत से शत्रु उन पर हमला करने लगे। महारानी घायल होकर गिर गयी और वीरगति को प्राप्त हुई। इस तरह आज़ादी के लिए महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने प्राण की कुरबानी दी।
10. झाँसी की रानी के चरित्र की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई एक वीरांगना थी। उनके भीतर देशभक्ति थी। वह भारत को गुलामी से मुक्त करना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने तेईस वर्ष की उम्र में अपनी जान की बाजी लगा दी।
चिकित्सा का चक्कर
हास्य - व्यंग्य - बेढब बनारसी
1. लेखक को बीमार पड़ने की इच्छा क्यों हुई?
उत्तर – लेखक पैंतीस वर्ष का हट्टा-कट्ठा आदमी है। आजतक वह कभी बीमार नहीं पड़ा। लोगों को बीमार देखकर लेखक को बीमार पड़ने की इच्छा होती है । लेखक की यह भी इच्छा रहती है कि बीमार पड़ने पर पत्नी उनकी खुब सेवा करेगी और हंटले बिस्कुट खाने को मिलेगा। साथ ही दोस्त लोग आकर मेरे सामने बैठेंगे और गम्भीर मुद्रा में मेरा हाल-चाल पूछेंगे।
2. - लेखक ने वैद्य, हकीम पर क्या-क्या कहकर व्यंग्य किया है? उनमें .से सबसे तीखा व्यंग्य किस पर है, उल्लेख कीजिए।
उत्तर – लेखक वैद्य और हकीम के नामकरण रूढ़िवादी प्रवृत्ति, ग्रह नक्षत्र के प्रति आस्था पर, उनके पहनावा, स्वरूप आदि पर व्यंग्य किया है। नामकरण पर व्यंग्य करते हुए आयुर्वेदाचार्य, रसज्ञ- रंजन, चिकित्सा मार्तण्ड कविराज सुखदेव शास्त्री कहकर संबोधित करते हैं। वैद्यजी के पहनावा पर व्यंग्य करते हुए कहते है – सूत के नाम पर जनेऊ था, जिसका रंग देखकर यह शंका होती थी कि कुस्ती लड़कर आ रहे हैं।
लेखक का सबसे तीखा व्यंग्य वैद्य जी के स्वरूप पर करते हैं। लेखक कहते हैं कि वैद्यजी अपनी तंदुरुस्ती मरीजों में बाँट दी है।
3. बेढब बनारसी ने वैद्य और हकीम पर क्या-क्या कहकर व्यंग्य किया है?
उत्तर – बेढव बनारसी ने वैद्य और हकीम के नामकरण, वेशभूषा, नुस्खे, औषधि निर्णय के तर्क जैसे अनेक प्रसंगों पर व्यंग्य किया है। नामकरण पर व्यंग्य करते हुए आयुर्वेदाचार्य रसज्ञ - रंजन, चिकित्सा मार्तण्ड, कविराज कहकर संबोधित करते हैं। वैद्य और हकीम के पहनावे पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं— सूट तो ऐसा पहने हुए थे कि मालूम पड़ता था, प्रिंस ऑफ वेल्स के वैलेरो में हैं, सूत के नाम पर जनेऊ था ।
वैद्यजी के स्वास्थ्य पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं- वैद्यजी अपनी तंदरूस्ती मरीजों में बांट दी है।
4. चिकित्सा का चक्कर किस प्रकार का लेख है? जीवन में हास्य-व्यंग्य की क्या जरूरत है?
उत्तर – चिकित्सा का चक्कर बेढब बनारसी का हास्य-व्यंग्य प्रधान लेख है। इस पाठ में हास्य और व्यंग्य के द्वारा चिकित्सा पद्धति पर चोट की गयी है। हास्य व्यंग्य प्रधान लेख से हमें मनोरंजन होता है और हँसने के सुंदर अवसर मिलते हैं। हँसने से जीवनशक्ति बढ़ती है और जीवन के तनाव कम होते हैं।
5. 'मुझे आज सिनेमा जाना है। तुम अभी खा लेते तो अच्छा था।' यह पंक्ति किसने किससे कही?
उत्तर- 'मुझे आज सिनेमा जाना है। तुम अभी खा लेते तो अच्छा था।' यह पंक्ति 'चिकित्सा के चक्कर' के लेखक बेढव बनारसी की पत्नी का है जो लेखक से कहती है।
6. लेखक को पेट में जोरों से दर्द क्यों हुआ?
उत्तर- लेखक को भूख नहीं थीं, इसके बावजूद भी पत्नी के आग्रह पर बारह पूरियाँ, आधा पाव मलाई और छह रसगुल्ले निगल लिए। अधिक भोजन के कारण उसके पेट में जोरों से दर्द शुरू हो गया।
सुदामा चरित
कविता - नरोत्तम दास
1. गुरु के यहाँ की किस बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को दिलाई?
उत्तर - सुदामा को बचपन से ही चोरी की आदत थी। बचपन में एक बार गुरुमाता ने कृष्ण और सुदामा को खाने के लिए कुछ चने दिए । सुदामा अकेले चने चबा गए परंतु कृष्ण को खाने के लिए नहीं दिए । कृष्ण सुदामा को बचपन की चोरी की याद दिलाते हैं।
2. सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण किस प्रकार भाव-विहुबल हो गये?
उत्तर - सुदामा की दीन-दशा देखकर श्रीकृष्ण करुणा से भर गये और उनकी आँखों से आँसू बह चले। पानी से भरी परात को छूने की भी जरूरत नहीं पड़ी, कृष्ण ने अपने आँसुओं से सुदामा के पाँव धो डाले।
3. गुरु के यहाँ की किस बात की याद श्री कृष्ण ने सुदामा को दिलाई?
उत्तर – एक बार आश्रम में गुरुमाता ने सुदामा और कृष्ण को खाने के लिए चना देती है। सुदामा अकेले ही इसे पूरा खा जाते हैं। कृष्ण को कुछ भी नहीं देते। गुरु के यहाँ की यही बात कृष्ण याद दिलाते हुए कहते हैं सुदामा तुम तो बचपन से ही चोरी करने में प्रवीण हो ।
4. सुदामा को कुछ न देकर उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न करने का क्या औचित्य था?
उत्तर- सुदामा कृष्ण के बालसखा थे। वे दीन-हीन और संकोची स्वभाव के थे। कृष्ण अपना मित्रधर्म निभाते हुए सुदामा को कुछ न देकर उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न कर देते हैं। इसका औचित्य था कि वे अपने मित्र को संकोच में नहीं डालना चाहते थे, और न अपना बड़प्पन प्रकट करना चाहते थे। ऐसा कर श्रीकृष्ण ने उदारता और मित्रभाव का परिचय दिया। यह अद्भुत था।
5. अपने गाँव वापस आने पर सुदामा को क्यों भ्रम हुआ?
उत्तर – अपने गाँव की राजसी ठाट-बाट, हाथी-घोड़े महल अट्टालिकाओं को देखकर सुदामा को भ्रम होने लगा। उन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा कि वे अपने गाँव की राह भूल गये हैं और फिर द्वारिका के राजभवन में पहुँच गये हैं।
6. कृष्ण की कृपा से गरीब सुदामा के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हुआ ?
उत्तर – सुदामा की झोपड़ी की जगह राजमहल बन गए। जहाँ सुदामा के पैरों में जूते तक नहीं थे, वहाँ उनकी खिदमत में महावत हाथी लेकर खड़ा है। सुदामा कठोर जमीन पर सोते थे अब कृष्ण के कृपा से कोमल सेज पर सोने लगे। उन्हें खाने के लिए कोदो - सवाँ नहीं मिलते थे, अब मेवा और दाख मिलने लगे।
7. प्रस्तुत पाठ के आधार पर सुदामा की दीन-दशा का वर्णन अपने शब्दों में करें ।
उत्तर – सुदामा की दीन-दशा बड़ी विचित्र थी। माथे पर न पगड़ी थी और न शरीर पर कुरता था। उनकी धोती फटी हुई थी और गमछा फटकर तार-तार हो चुका था। सुदामा के पैर में जूते नहीं थे और उनका शरीर दुर्बल था । वे कृष्ण के महल के बारे में पूछते थे और अपना नाम सुदामा बताते थे । उनके
8. द्वारपाल के मुख से 'सुदामा' का नाम सुनकर कृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर- द्वारपाल के मुख से 'सुदामा' नाम सुनकर कृष्ण दौड़ पड़े। वे दोनों हाथ जोड़कर सुदामा के पैरों पर गिर पड़े। फिर उठे और गरीब सुदामा के दुःख को कम करने के लिए कृष्ण उनके बाँहों से लिपट गये।
राह भटके हिरन के बच्चे को
कविता - डॉ० निo वियतनाम
1. हिरण का नन्हा बच्चा क्यों दुःखी है?
उत्तर - हिरण का नन्हा बच्चा इसलिए दुःखी है कि वह अपनी माँ से बिछुड़ गया है। उसकी आँखों में वेदना के आँसू हैं।
2. जाड़े की रात में कौन रो रहा है और क्यों रो रहा है ?
उत्तर - जाड़े की रात में पहाड़ पर हिरण का बच्चा रो रहा है क्योंकि वह अपनी राह भटक गया है।
3. कवि हिरण-शावक को क्या दिलासा दे रहा है?
उत्तर - कवि हिरण- शावक को दिलासा दे रहा है कि तू अभी सो जा, सुबह तुम्हें तुम्हारी माँ अवश्य मिलेगी। तब तक जंगल में आराम कर | बाँस के वन और ऑक वन की हवा तुझे लोरी सुनाएगी । तुम शांतभाव से सो जा। धरती पर झड़े हुए पत्ते बिखरे हैं। तुम इसकी नरम नरम पत्तियों की सेज पर सो जा।
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |