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Bharati Bhawan Class 10th Physics Chapter 5 | Magnetic Effects of Electric Current Short Questions Answer | भारती भवन कक्षा 10वीं भौतिकी अध्याय 5 | विद्युत-धारा का चुम्बकीय प्रभाव लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan Class 10th Physics Chapter 5  Magnetic Effects of Electric Current Short Questions Answer  भारती भवन कक्षा 10वीं भौतिकी अध्याय 5  विद्युत-धारा का चुम्बकीय प्रभाव लघु उत्तरीय प्रश्न
  लघु उत्तरीय प्रश्न  
1. चुंबकीय पदार्थ और अचुंबकीय पदार्थ क्या हैं? 
उत्तर- चुंबकीय पदार्थ- वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित करता है अथवा जिनसे कृत्रिम चुंबक बनाए जा सकते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे—लोहा, कोबाल्ट, निकेल तथा उनके कुछ मिश्रधातु ।
अचुंबकीय पदार्थ- वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित नहीं करता, कहलाते हैं; जैसे—काँच, कागज, प्लास्टिक, पीतल आदि । 
2. किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए ।
उत्तर-
Bharati Bhawan Class 10th Physics Chapter 5 | Magnetic Effects of Electric Current Short Questions Answer | भारती भवन कक्षा 10वीं भौतिकी अध्याय 5 | विद्युत-धारा का चुम्बकीय प्रभाव लघु उत्तरीय प्रश्न
3. (i) चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ क्या होती है? (ii) इनके प्रमुख गुण क्या होते हैं? 
उत्तर- (i). चुंबक के चारों ओर उसके चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र रेखाएँ व्यवस्थित होती है। 
(ii) इनके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(a) किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र रेखाएँ एक संतत बंद चक्र (Continuous Closed loops) है और वे चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और पुनः चुंबक के भीतर होती हुई उत्तरी ध्रुव पर वापस आ जाती है। 
(ii) ध्रुवों के समीप क्षेत्र रेखाएँ धनी होती है, परन्तु ज्यों-ज्यों उनकी ध्रुवों से बढ़ती जाती है, उनका धनत्व घटता जाता है।
(iii) क्षेत्र - रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्शरेखा ( tangent) उस बिन्दु पर उस क्षेत्र की दिशा बताती है । ।
4. दो चुंबकीय क्षेत्र - रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं ? 
उत्तर- यदि दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ किसी बिंदु पर वे एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें तो उस बिन्दु पर सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी, जो संभव नहीं है। अतः ये क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
5. एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कैसी होती हैं? 
उत्तर- एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाली चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ समांतर और एक-दूसरे से बराबर दूरी पर होती हैं ।
6. सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कैसी होती हैं? 
उत्तर- सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र - रेखाएँ संकेंद्री वृत्तों के पैटर्न में होती हैं।  
7. मेज के ताल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण इसा अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर- जब मेज के तल पर तार का वृत्ताकार पाश पड़ा हो तो पाश के अंतर - चुंबकीय क्षेत्र तल के लंबवत ऊपर से नीचे की तरफ होगा।
Bharati Bhawan Class 10th Physics Chapter 5  Magnetic Effects of Electric Current Short Questions Answer  भारती भवन कक्षा 10वीं भौतिकी अध्याय 5  विद्युत-धारा का चुम्बकीय प्रभाव लघु उत्तरीय प्रश्न
8. मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम लिखें।
अथवा, किसी धारावाही सीधे चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए जो नियम है उसका नाम और कथन लिखिए।
उत्तर- मैक्सवेल का दक्षिण हस्त नियम- यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अंगुठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो तो हाथ की अन्य अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।
9. परिनालिका का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर- 
परिनालिका का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
10. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर- परिनालिका चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। इसका एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर . सरल रेखाओं की भाँति होता है।
किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के दोनों ध्रुवों को निर्धारित किया जा सकता है। छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के निकट लाएँ। यदि दोनों के बीच आकर्षण हो तो परिनालिका का वही सिरा दक्षिण ध्रुव होगा। यदि उन दोनों में प्रतिकर्षण हो तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
11. विद्युत चुंबक और स्थायी चुंबक में क्या अंतर है ? 
उत्तर- विद्युत चुम्बक और स्थायी चुम्बक में निम्न अन्तर हैं-
विद्युत चुंबक
1. यह जितनी देर तक धारा बहती है उतने समय तक यह चुंबक का गुण प्रदर्शित करता है। धारा के बंद होते ही इसमें चुम्बकीय गुण समाप्त हो जाता है । 
2. इसमें अधिक शक्तिशाली चुम्बकीय बल रहता है।
3. धारा की प्रबलता या कुंडली में फेरों की संख्या में परिवर्तन करके इसकी शक्ति को इच्छानुसार बदला जा सकता है। 
4. धारा की दिशा के बदलते ही इसके ध्रुवों की प्रकृति बदल जाती है। 
5. किसी चालक की कुंडली में धारा बहाने पर वह कुंडली अस्थायी चुम्बक में बदल जाता है।
स्थायी चुंबक
1. अधिक दिनों तक अपने चुम्बकीय गुण को बनाये रखता है।
2. इसमें अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली चुंबकीय बल रहता है।
3. इसकी शक्ति नियत है, इसे हम बढ़ा या घटा नहीं सकते हैं।
4. इसके ध्रुवों की प्रकृति नियत रहती है जिसे हम आसानी से नहीं बदल सकते हैं।
5. यह चुम्बकीय पदार्थ का बना होता है।
12. विद्युत चुंबक में नर्म लौह क्रोड का इस्तेमाल क्यों होता है ?
उत्तर- नर्म लोहे को आसानी से चुंबकीय और विचुंबकीय किया जा सकता है। जब परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तब परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जिससे नर्म लोहे का छड़ शक्तिशाली चुम्बक बन जाता है जब विद्युतधारा का प्रवाह बन्द कर दिया जाता है तो नर्म लोहा अपना चुम्बकत्व जल्द खो देता है। इसी गुण के कारण इसका इस्तेमाल विद्युत चुम्बक बनाने में किया जाता है।
13. फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम लिखें और समझाएँ।
अथवा, यदि चुंबकीय क्षेत्र धारावाही चालक के लंबवत हो तो चालक पर लगे हुए बल की दिशा कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर- यदि हम वामहस्त की तीन अंगुलियों - अंगूठा, तर्जनी एवं मध्यमा को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार फैलाएँ कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं मध्यमा चालक में प्रवाहित की दिशा को दर्शाएँ तो चालक पर लगने वाले बल की दिशा अंगूठे की दिशा में होती है।
14. मान लीजिए आप किसी कमरे में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिज गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेषित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
उत्तर- फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा चुम्बकीय विद्युत धारा दोनों की दिशाओं के लम्बवत् होती है। विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है। इसलिए चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी। 
15. कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(i) कुंडली में धकेला जाए।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाए।
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाए।
उत्तर- (i) जैसे ही छड़ चुंबक कुण्डली में धकेला जाता है वैसे ही गैल्वेनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप होता है। यह कुण्डली में विद्युतधारा की उपस्थिति का संकेत देता है। 
(ii) जब चुंबक को कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेप होता है पर विपरीत दिशा में होता है।
(iii) यदि चुंबक को कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुण्डली में कोई विद्युतधारा उत्पन्न नहीं होती। विक्षेप शून्य हो जाता है।
16. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर- यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करते हैं तो कुंडली B में विद्युत धारा प्रेरित होगी। जैसे ही कुंडली A में प्रवाहित धारा में परिवर्तन होता है इससे जुड़े चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन हो जाता है। इस प्रकार कुंडली B के चारों ओर भी चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ भी परिवर्तित होती हैं। अतः कुंडली B में सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन ही उसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होने के कारण होता है।
17. फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लिखें और समझाएँ ।
उत्तर- फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम को इस प्रकार बताया जा सकता है – दाहिनी हाथ के अँगूठा, तर्जनी और मध्यमा के परस्पर – समकोणिक फैलाएँ । यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का संकेत करती हो और अँगूठा गति की दिशा में हो तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा का संकेत करेगी। इस नियम को डायनेमो नियम भी कहते हैं।
फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लिखें और समझाएँ ।
18. विद्युत चुंबकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं? प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें। 
उत्तर- लूप में यह विद्युत धारा उतने ही समय तक प्रवाहित होते हैं जब तक कि लूप तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति रहती है। इस प्रकार से उत्पन्न होने वाली धारा को प्रेरित धारा (Current) तथा इस घटना को विद्युत-चुबंकीय प्रेरण (electromagnetic induction) कहते हैं।
क्रिया कलाप - एक लंबी कांटी लेकर उस पर दो कुडलियाँ अगल बगल लपेटते हैं। उनमें से एक कुंडली को स्विच से होकर एक बैटरी से जोड़ते हैं। इसे हन प्राथमिक कुंडली ( Primary Coil) कहते हैं। दूसरी कुंडली को एक गैल्वेनोमीटर G से जोड़ते हैं। इस कुंडली को द्वितीयक कुंडली (secondary coil) कहा जाता है।
गैल्वेनोमीटर को देखते हुए स्विच दबाते हैं। हम पाते हैं कि गैल्वेनोमीटर की सूई हल्का-सा विक्षेपित होकर पुनः अपने प्रारंभिक (बिना विक्षेप वाली) स्थिति में वापस आ जाती है, जबकि स्विच अभी भी बंद है। अब स्विच को खोल देते हैं। इस बार गैल्वेनोमीटर की सूई विपरीत दिशा में विक्षेपित होकर अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाती है। जब प्राथमिक कुंडली में धारा बढ़ती या घटती है, तब उसके कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र भी बढ़ता या घटता है, अर्थात् परिवर्तित होता है। चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले इसी परिवर्तन के कारण द्वितीयक कुंडली में विद्युत प्रेरित होती है।  
19. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ? 
उत्तर- विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक् परिवर्तक का कार्य करता है। अर्थात् परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा को परिवर्तित (या उत्क्रमित) करता है। इससे आर्मेचर की भुजा पर लगने बल की दिशा भी परिवर्तित होती है। इससे आर्मेचर एक ही दिशा में घूर्णन कर सकता है। 
20. दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में निम्न अन्तर हैं-
दिष्ट धारा-
1. केवल धारा का मान बदलता है अर्थात् दिष्ट धारा दिष्टधारा एक ही दिशा में बहती है।
2. इसे उत्पन्न करने में कठिनाई होती है।
3. इसे ए०सी० में बदलने में काफी कठिनाई होती है।
4. यह ए०सी० की अपेक्षा कम घातक है। 
5. यह चालक के अन्दर से प्रवाहित होता है।
प्रत्यावर्ती धारा-
1. धारा का मान तथा दिशा समय के साथ बदलता है।
2. इसे आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है। 
3. इसे आसानी से डी०सी० में बदला जा सकता है।
4. यह डी०सी० की अपेक्षा अधिक घातक है।  
5. यह चालक के सतह पर प्रवाहित होता है।
21. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करनेवाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र 
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा |
उत्तर- (i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम । 
(ii) फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम |
(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण- हस्त नियम ।
22. मेन लाइन में अतिभारण तथा लघुपथन कैसे उत्पन्न होता है ? 
उत्तर- बहुत सारे विद्युत उपकरणों को एक साथ चालू कर देने पर परिपथ में विद्युत उपकरणों की कुल शक्ति उसकी स्वीकृत सीमा से बढ़ जाती है तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचते हैं इसे ही अतिभारण कहते हैं। इस स्थिति में परिपथ की प्रबलता एकाएक बढ़ जाती है। इससे परिपथ में संयोजक तार में आग लग सकती या फ्यूज गल सकता है। इसी तरह तारों के खराब या क्षतिग्रस्त हो जाने से जीवित तार एवं उदासीन तार के एक-दूसरे से सट जाने से परिपथ, का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है इसे लघुपथन (Short Circuiting) कहा जाता है। लघुपथन से धारा की प्रबलता बहुत अधिक हो जाती है और तार में आग लग सकती है। 
23. धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- धातु के आवरण वाले विद्युत साथियों को भू-संपार्कित करना आवश्यक होता है। इसमें साधित्रों तथा उनका प्रयोग करने वालों की सुरक्षा हो जाती है। धातु के आवरणों से संयोजित भू-संपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत कर देता है, धात्विक साधित्रों का भूमि से संपर्क हो जाने के कारण धारा उन साधित्रों का प्रयोग करने वालों के शरीर से नहीं गुजरती जिससे वे गंभीर झटके से बच जाते हैं।
24. बहुत से विद्युत उपकरण तथा परिपथ भूसंपर्क में होते हैं इसका क्या कारण है ? 
उत्तर- किसी भी विद्युत उपकरण के लिए दो तारों की आवश्यकता होती है— एक जिसमें धारा गुजरती है और दूसरी उदासीन। अधिक ऊष्मा उत्पत्ति या टूट-फूट के कारण कभी-कभी धारा मुक्त उपकरण को सीधा स्पर्श कर लेती है जिससे उपकरण को छू जाने पर शॉक लगता है। इससे बचने के लिए उपकरण के धात्विक भाग का संबंध धरती से कर दिया जाता है। तीन पिन वाले प्लग के साथ इसे जोड़ दिया जाता है। इसे धरती में बहुत गहराई से दबाई गई तार से संबंधित किया जाता है। शॉट सर्किट के समय विद्युत धारा उपकरण से धरती में चली जाती है। इससे फ्यूज पिघल जाता है।
शॉट सर्किट और विद्युत-शॉट से बचने के लिए यह बहुत ही उपयोगी है। 
25. घरों की वायरिंग में दो भिन्न ऐम्पियर के परिपथों का उपयोग क्यों किया जाता है? 
उत्तर- घरों में जो विद्युत आपूर्ति की जाती है वह 220V पर प्रत्यावर्ती वोल्टता होती है जिसकी ध्रुवता प्रत्येक सेकण्ड में 100 बार परिवर्तित होती है। इसकी आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है। इसे मेन लाइन पावर कहते हैं। मेन्स में प्रायः दो तार एक से 5 ऐम्पियर (A) की धारा प्रवाहित तथा दूसरे से 15 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। 5 ऐम्पियर को घरेलू लाइन तथा 15 ऐम्पियर को पावर लाइन कहते हैं। घरों में विभिन्न प्रकार के विद्युत उपकरण - बल्ब, ट्यूब, पंखे, हीटर, आयरन, मोटर, टेलीविजन, रेफ्रीजरेटर, मिक्सी आदि का व्यवहार होता है। इनमें बल्ब, ट्यूब, पंखे, टेलीविजन आदि के लिए 5 ऐम्पियर तथा मोटर, आयरन, हीटर, रेफ्रीजरेटर आदि के लिए 15 ऐम्पियर तक की धारा की आवश्यकता होती है। इसी कारण से घरों में मेन्स में दो प्रकार के तार होते हैं।
26. घरों के विद्युत परिपथों में विद्युत उपकरण समांतरक्रम में क्यों जोड़े जाते हैं ? 
उत्तर- घरों में प्रत्येक परिपथ में विद्युत उपकरण विद्युन्मय तथा उदासीन तारों के बीच समांतर क्रम में जुड़े होते हैं। प्रत्येक उपकरण में धारा के प्रवाह को संचालित करने के लिए अलग-अलग स्विच होते हैं। पार्श्वबद्ध या समांतर क्रम में जोड़ने से सभी उपकरणों की बोल्टता एक समान बनी रहती है। इस संयोजन या वायरिंग से एक मुख्य लाभ यह भी है कि एक परिपथ का स्विच करने से दूसरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण घरों में विद्युत उपकरण को समान्तर जोड़ा जाता है।
27. बिद्युत परिपथों को अतिभारण और लघुपथन से कैसे सुरक्षित किया जा सकता है? 
उत्तर - विद्युत परिपथों को अतिभारण और लघुपथन के कारण नष्ट होने से बचाने के लिए कई सावधानियाँ और सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं। विद्युत परिपथ में काम आनेवाले सभी तारों के ऊपर अच्छे विद्युतरोधी पदार्थ की परत लगाई जाती है। इसके अतिरिक्त उनपर कपड़े, रबड़ या प्लास्टिक की परत भी चढ़ाई जाती है। इसके फलस्वरूप तार एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आते हैं जिससे लघुपथन नहीं होता है। इसके अतिरिक्त परिपथों को विभिन्न भागों में बाँटने से न केवल प्रत्येक भाग की मरम्मत आसानी से हो जाती है, बल्कि वह अतिभारण या लघुपथन से होनेवाली क्षति को सीमित रखता है।
28. विद्युत मिस्त्री विद्युत परिपथों पर कार्य करते समय रबर के जूते या दस्ताने क्यों पहनते हैं ?
उत्तर- विद्युत के परिपथ के किसी भाग को सुधारने के लिए रबड़ के दस्ताने या जूते का प्रयोग करने से तथा सूखी लकड़ी पर खड़ा होकर कार्य करने से झटका नहीं लगता क्योंकि रबड़ तथा लकड़ी विद्युत की कुचालक होती है।
29. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर - विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम ये हैं-
(i) भू-सम्पर्क तार (earthing)
(ii) विद्युत फ्यूज |
30. 2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- विद्युत तन्दूर की शक्ति, P = 2kW; V = 200V
I = P/V = 2000W/220V = 9.09A
विद्युतधारा का अनुमतांक 5A है। विद्युत तन्दूर इससे कहीं अधिक विद्युत धारा अतिभारण हो जाएगा। फ्यूज उड़ जाएगा और विद्युत पथ अवरोधित हो जाएगा।
31. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ? 
उत्तर- विद्युत परिपथ में काम परत लगाई जानी चाहिए। उन पर कपड़े, रबड़ या प्लास्टिक की परत चढ़ा देना चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है कि सीमा से ज्यादा सामर्थ्य नहीं देना चाहिए। यानी स्वीकृत सीमा से ज्यादा शक्ति प्रबलता नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। उत्तम गुणवत्ता वाले विद्युत तार का इस्तेमाल करना चाहिए । हमें एक साथ विभिन्न उपकरणों को चालू करने से बचना चाहिए। इन कारणों से हम अतिभारण से बच सकते हैं।
32. फ्यूज तार विद्युत परिपथ में क्यों लगाये जाते हैं ? फ्यूज की क्षमता का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो जाती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे पदार्थ का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है जिससे उसमें लगी युक्तियाँ यथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि जलने से बच जाते हैं । 
फ्यूज की क्षमता- फ्यूज ऐसे तार का एक टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और उसका गलनांक बहुत कम होता है।

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