Q1. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन से परिवर्तन दिखाई पड़ते है ?
उत्तर- यौवनारंभ अर्थात किशोरावस्था में लड़कियों के काँख एवं दोनों जाँघों के बीच तथा बाह्य जननांग के समीप बाल आने लगते है | टांगो तथा बाहुओं पर कोमल बाल उगने लगते है | त्वचा कुछ तैलीय होने लगते है | इस अवस्था में चहरे पर फुंसियों का निकलना भी प्रारंभ हो जाता है | स्तनों में उभार आने लगते है | स्तन के केंद्र में स्थित स्तनाग्र के चारो ओर की त्वचा का रंग गाढ़ा होने लगते है | मासिक चक्र प्रारंभ हो जाता है | इस अवस्था में अपने जैसे विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षक होए लगते है | यौवनारंभ की इस अवस्था को प्युबर्ती कहते है |
Q2. बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन का क्या अर्थ है ?
उत्तर- बाह्य निषेचन - जब नर तथा मादा युग्मको का संलयन मादा के शरीर के बाहर होता है तो इस संलयन को बाह्य निषेचन कहते है, जैसे मेढक में नर तथा मादा दोनों जीव संभोग करते है और अपने-अपने युग्मको को पानी में छोड़ देते है, शुक्राणु अंडो को पानी में ही निषेचित करता है |
बाह्य निषेचन में अंडाणुओं को आंतरिक सुरक्षा की अनुपस्थिति के कारण नष्ट होने के अवसर अधिक होते है, इसलिए इस बात की निश्चितता के लिए कुछ अंडाणु निषेचित हो सके, मादा अधिक अंडाणु उत्पन्न कराती है |
आंतरिक निषेचन - बहुत से जीवो, जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, कीट, मनुष्य, पक्षी तथा स्तनधारियों आदि में नर नर अपने शुक्राणु को मादा के शरीर के अन्दर छोड़ते है | शुक्राणु अंडो को मादा के शरीर के अन्दर ही निषेचित करते है | ऐसे निषेचन को आंतरिक निषेचन कहते है |
Q3. जनन कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर- जनन दो प्रकार का होता है-
(1) अलैंगिक जनन :- इस विधि में जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है तथा इसमे युग्मक भाग नै लेते है | इस विधि द्वारा उत्पन्न जीव आनुवांशिकी गुणों में ठीक जनको के समान होते है | इस प्रकार का प्रजनन मुख्य रूप से निम्न कोटि के पौधों तथा जंतुओं में होता है |
(2) लैंगिक जनन :- इस विधि में दो भिन्न लिंग अर्थात नर और मादा भाग लेते है | जिसमे नर युग्मक (शुक्राणु) एवं मादा युग्मक (अंडाणु) के संग्लन (निषेचन) के फलस्वरूप युग्मनज का निर्माण होता है | यही युग्मनज विकसित, विभाजित एवं विभेदी होकर वयस्क जीव में परिवर्तित हो जाता है जो जनकों से भिन्न होते है|
Q4. फैलोपियन नलिका की संरचना का वर्णन करें |
उत्तर :- फैलोपियन नलिका एक जोड़ी नलिकाएँ है जो अंडाशय के ऊपरी भाग से शुरू होकर नीचे की ओर जाती है और अंत में गर्भाशय से जुड़ जाती है | प्रत्येक फैलोपियन नलिका का शीर्षभाग एक चौड़े कीप के समान होता है जो अंडाणु को फैलोपियन नलिका में प्रवेश करने में सहायता करते है | फैलोपियन नलिका की दीवार मांसल एवं संकुचनशील होती है | इसकी भीतरी सतह पर सिलिया लगी होती है, जो अंडाणु को फैलोपियन नलिका के द्वारा अंडाणु गर्भाशय में पहुंचाते है |
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