Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 2 | Bihar Board Bharati Bhawan Class X Geography Question | कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 2 भूमि और मृदा संसाधन लघु उत्तरीय प्रश्न

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Class 10th Bharati Bhawan Geography Chapter 2  Bihar Board Bharati Bhawan Class X Geography Question  कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 2 भूमि और मृदा संसाधन लघु उत्तरीय प्रश्न
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कक्षा 10वीं भारती भवन भूगोल अध्याय 2 भूमि और मृदा संसाधन लघु उत्तरीय प्रश्न 

 प्रशन 2:-- किन सुविधाओं के कारण भारत में गहन कृषि की जाती है?

उत्तर:-- भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या का दबाव और सीमित कृषि योग्य भूमि के कारण गहन कृषि की जाती है।

भारत मांनसूनी वर्षा वाला देश है। बर्षा  एक विशेष मौसम में होती है और अनियमित रूप से होती है वहीं बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है और वर्षा का अभाव देखने को मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में सिंचाई का सहारा लिया जाता है। हिमालय से निकलने वाली नदियां सदा जलपूरित रहती है। उन नदियों पर बांध बनाकर नेहरें निकाली जाती है और उससे जलाभाव क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती है। भारत के मैदानी भागों में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है जो अत्यंत उपजाऊ है। इन्हीं कारणों से भारत में गहन कृषि की जाती है ।

प्रशन 3:-- भौतिक गुणों के आधार पर मिट्टी के तीन वर्ग कौन-कौन है? गंगा के मैदान में सामान्यतः इनमें से कौन मिट्टी पाई जाती है ? 

उत्तर:-- भौतिक गुणों के आधार पर मिट्टी के तीन वर्ग ये हैं--

1. बलुई मिट्टी:--इसमें पंक (मृत्तिका, चिकनी मिट्टी) की अपेक्षा बालू का प्रतिशत अधिक रहता है, यह मिट्टी जल की बड़ी भूखी होती है, अर्थात बहुत जल  सोखती है।

2. चिका या  चिकनी मिट्टी:-- इसमें पंक या गाद का प्रतिशत अधिक रहता है। जो मिट्टी सूखने पर बहुत कड़ी और दरार युक्त होती है तथा गीली होने पर चिपचिपी और अभेद्य हो जाती है। इस मिट्टी की जुताई कठिन होती है।

3. दुमटी मिट्टी:-- इसमें बालू और पंक दोनों का मिश्रण लगभग बराबर रहता है। कृषि  के लिए यह मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। क्योंकि इसमें गहरी जुताई हो सकती हैं। गंगा के मैदान में सामान्यतः दुमती मिट्टी पाई जाती है।

प्रशन 4:-- स्थानबध्द और वाहित मिट्टी में क्या अंतर है? 

उत्तर:-- स्थानवध्द मिट्टी वह है जो ऋतुक्षरण के ही क्षेत्र में पाई जाती है। यह पर्शिवका मिट्टी होती हैं। इसमें आधारभूत चट्टान और मिट्टी के खनिज कानों में समरूपता होती है। काली मिट्टी, लाल मिट्टी तथा लैटेराइट मिट्टी इसके उदाहरण है।

वाहित मिट्टी वह है जिसका ऋतुक्षरण तथा विकास किसी दूसरे प्रदेश में हुआ है किंतु अपरदन दूतो द्वारा उसे किसी दूसरे प्रदेश में निश्चित किया गया है। क्योंकि इसका परिवहन होता है, इसलिए इसे वाहित मिट्टी कहते हैं। ये मिट्टियां मौलिक चट्टानों से विसंगति रखती है। जलोढ़ मिट्टी इसका सर्वोत्तम उदाहरण। भारत का वृहद जलोढ़ मैदान उस मिट्टी का बना है जिसका निक्षेप गंगा और उसकी सहायक नदियों तथा पठारी भारत के उत्तर बहने वाली नदियों से हुआ है। भारत के तटीय मैदान में भी वाहित जलोढ़ मिट्टी ही पाई जाती हैं।

प्रशन 5:-- भारत में लाल मिट्टी और काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र बताएं।

उत्तर:-- लाल मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र-- यह  मिट्टी दक्कन पठार, पूर्वी और दक्षिणी भागों में 100 सेमी० से कम वर्षा क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

*काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र:-- यह मिट्टी महाराष्ट्र का बड़ा भाग, गुजरात का सौराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गोदावरी घाटी, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के मालवा खंड में पाई जाती हैं।

प्रशन 6:-- रेतीली मिट्टी कहां और क्यों मिलती है?

उत्तर:-- रेतीली मिट्टी को शुष्क और मरुस्थली मिट्टी भी कहा जाता है। या मिट्टी भारत के पश्चिमी भागों के शुष्क और अर्धशुष्क भागों में पाई जाती हैं । अरावली के पश्चिमी राजस्थान का पूरा क्षेत्र, पंजाब, हरियाणा के कुछ भाग और दक्षिण में कच्छ तक  की मिट्टी रेतीली या मरुस्थली है। रेतीली मिट्टी या मरुस्थली मिट्टी भारत के पश्चिमी भागों के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों की मिट्टी के नीचे की ओर बड़े टुकड़े मिलते हैं, इन्हें कंकर कहते हैं इन कंकड़ो में कैल्शियम की प्रधानता होती है जो पानी सोखने में रुकावट पैदा करता है इसलिए इन क्षेत्रों की मिट्टी रेतीली या मरुस्थली होती है।

प्रशन 7:-- परती भूमि किस प्रकार कर्षित   भूमि में बदली जा सकती है? 

उत्तर:-- भारत के कई भागों में मिट्टी में उपस्थित सोडियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम के यौगिकों  के प्रस्फुटन से भूमि लवणीय या क्षारीय हो जाती हैं, इसे कहीं कहीं रेह, बंजर प्रति, ऊसर इत्यादि नामों से पुकारा जाता है, ऐसी मिट्टी उपजाऊ नहीं होती है, इसमें लवण के रूप में साधारण नमक और कुछ अन्य लवण तथा कार्बोनेट पाए जाते हैं जबकि क्षारीय मिट्टी में चुना तथा सोडा मुख्य रूप में रहता है। परती भूमि को कर्षित  यानी कृषि योग्य बनाने के लिए पानी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि पानी के तेज बहाव द्वारा इसे उपजाऊ बनाया जा सकता है।

प्रशन 8:-- मिट्टी कटाव के दो रूप और मिट्टी संरक्षण के कोई तीन उपाय बताएं।

उत्तर:-- बहते पानी हवा जैसे किसी प्राकृतिक वाहक द्वारा धरती की मिट्टी का हटना या स्थानांतरित होना मिट्टी का कटाव कहलाता है। मिट्टी कटाव के दो रूप इस प्रकार है--

(1) अवनलिका (सतही)  कटाव:-- यह मिट्टी कटाव का एक प्रमुख रूप है। इसमें मिट्टी एक पतले नालों से तेजी से बहता जाता है और मिट्टी का कटाव होता है। वर्षा होने पर मिट्टी नाली में तेजी से बहता चला जाता है।

(2) स्तरीय (सतही) कटाव:-- यह मिट्टी कटाव का दूसरा प्रमुख रूप है। इसमें मिट्टी का कटाव धीरे-धीरे होता चला जाता है, पहले मिट्टी के ऊपरी सतह का कटाव होता है। फिर दूसरी सतह का कटाव होता है और फिर अगली सतह का कटाव होता जाता है, अतः मिट्टी का धीरे-धीरे तथा स्तरीय रूप से कटाव होता जाता है।

**मिट्टी संरक्षण के तीन उपाय ये है--

(1) वानीकी कार्यक्रम के तहत बेकार पड़ी भूमि पर सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वनीकी एवं विशिष्ट वानीकी पर जोड़ देना ।

(2) पर्वतीय क्षेत्रों में वनों की कटाई एवं झूम कृषि पर प्रतिबंध लगाना, खेतों  में मेड़ तथा समोच्च क्षेत्र का विकास करना ।

(3) मैदानी भागों में फसल चक्र पर जोड़ देना, सिंचाई द्वारा अधिक समय तक भूमि को हरा-भरा रखना।

प्रशन 9:-- भारत में भूमि क्षेत्र के ह्रास के दो प्रमुख कारण क्या है?

उत्तर:-- भारत में भूमि क्षेत्र के ह्रास के दो प्रमुख कारण इस प्रकार हैं---

1. वनों का अत्यधिक  कटाव:-- भूमि क्षेत्र के ह्रास होने  पर प्रमुख कारण वनों का अत्यधिक कटाव है। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए वनों को काट रहा है। वनों को काटने से भूमि परती भूमि में बदल जाती हैं जिससे भूमि में मिट्टी की पकड़ कमजोर पड़ जाती हैं। वर्षा होने पर ऐसी भूमि की मिट्टी का ह्रास अत्यधिक होता है।

2. अत्याधिक पशु चरण:-- भूमि क्षेत्र के ह्रास होने का प्रमुख कारण अत्याधिक पशु चरण भी है। पशुओं के भूमि पर अधिक चरने से भूमि से पेड़ पौधों का ह्रास होता है। पेड़ पौधों के ह्रास होने से भूमि पर मिट्टी की पकड़ कमजोर होती है जिससे भूमि क्षेत्र का ह्रास होता है।

प्रशन 10:-- भूमि क्षेत्र के ह्रास को रोकने के कुछ कारगर उपाय बताएं।

उत्तर:-- भूमि क्षेत्र के ह्रास को रोकने के कुछ कारगर उपाय इस प्रकार हैं---

(1) भूमि के उपयोग और भूमि की उत्पादन शक्ति का सामंजस्य करना अर्थात नियोजन करना चाहिए ।

(2) पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती करना चाहिए।

 (3)फसल चक्र विधि का उपयोग करना चाहिए जिससे मिट्टी के एक ही तत्व का बार-बार शोषण ना हो ।

(4) मरुस्थल के सीमावर्ती क्षेत्र में झाड़ियों को लगाना चाहिए ।

(5) मिट्टी के तत्वों की कमी को उर्वरक और खाद देकर पूरा करना चाहिए।

(6) पशुचारण एवं वन कटाव पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ।

(7) मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखने का उपाय अर्थात मिट्टी का कटाव रोकना चाहिए ।

(8) काटे गए वन के स्थान पर जंगल लगाना चाहिए ।

(9) मैदानी क्षेत्रों में बेकार पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण करना चाहिए ।

(10) कीटनाशक के रूप में एल्ड्रिन नामक रसायन का प्रयोग प्रतिबंधित कर देना चाहिए ।

प्रशन 11:-- टिप्पणियां लिखे-- (1) मिट्टी का कटाव (मृदा अपरदन) (2) मिट्टी का निर्माण ।

उत्तर:-- (1) मिट्टी का कटाव (मृदा अपरदन):-- मृदा की ऊपरी परत को पानी तथा हवा द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने को मृदा अपरदन कहते हैं। मृदा अपरदन के मुख्य कारक बहता हुआ जल और हवा है।

(1) पानी द्वारा कटाव:-- भू पृष्ठ पर जल दो रूपों में बहता है--(के) पृष्ठ प्रवाह तथा (ख) रैखिक प्रवाह  ।

*पृष्ठ प्रवाह से सतही अपरदन होता है जबकि रैखिक प्रवाह  से नालीदार अपरदन होता है ।

(2) हवा द्वारा कटाव:-- हवा द्वारा कटाव शुष्क प्रदेशों में होता है, जहां अदृढ़ धरातलीय पदार्थों वाली भूमि पर बनस्पति आवरण बहुत ही कम होता है।हवा इस अदृढ़ भूमि के कणों को अपने साथ उड़ा कर ले जाती है और दूसरे स्थान पर जमा कर देती है। इस प्रकार हवा भूमि को उपजाऊ बना देती है।

(3) मिट्टी का निर्माण:-- वैज्ञानिक परीक्षणों से यह पता चलता है कि मिट्टी की 1 सेमी मोटी परत के निर्माण में 400 से 500 वर्ष लग जाते हैं। मिट्टी के निर्माण में रासायनिक प्रक्रियाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। पानी, हवा में उपस्थित ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड चट्टानों से मिल जाते हैं और इससे क्रिया करते हैं।वर्षा काल में बिजली चमकने पर नाइट्रोजन के अम्ल  चट्टानों से क्रिया कर अनेक लवणों का निर्माण करते हैं। यह लवण चट्टानों को मुलायम बना देता है जो आसानी से टूट कर काणों में बदल जाती हैं जिससे मिट्टी का निर्माण होता है।

प्रशन 12:-- भारत में जलोढ़ मिट्टी कहां मिलती हैं?

उत्तर:-- भारत में जलोढ़ मिट्टी विस्तृत रूप से फैली हुई है और उपजाऊ होने के कारण कृषि कार्य के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। भारत में लगभग 6 .4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर जलोढ़ मिट्टी फैली हुई है। इस मिट्टी के पाए जाने के निम्नलिखित क्षेत्र हैं---

(1) पंजाब से असम तक फैला भारत का वृहत मैदान।

(2) मध्यप्रदेश में नर्मदा और ताप्ती की घाटियां ।

(3) मध्य प्रदेश और उड़ीसा में महानदी की घाटियां।

(4) आंध्र प्रदेश में गोदावरी की घाटियां ।

(5) तमिलनाडु में कावेरी घाटी ।

(6) केरल में सागर तट।

(7) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, गंगा, ब्रह्मपुत्र के डेल्टा का क्षेत्र।

प्रशन 13:-- पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कौन कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?

उत्तर:-- पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा सकते हैं जैसे---सीढ़ीनुमा खेती या सोपानी खेती करने  से पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। इस प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए वर्षा के जल के बहाव को रोकने के लिए मिट्टी के बहाव को एक स्थान पर सीमित नहीं करके जल के बहाव को विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में बांटने की व्यवस्था करनी चाहिए। स्थान स्थान पर बांध बनाना चाहिए। ढ़ालों पर झाइयां और पेड़ लगाना चाहिए। इन उपायों से मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है।

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