उत्तर :- बड़े-बड़े बांधों और तटबंध की आवश्यकता हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि बंद हो और तत्व बंदों की समुचित व्यवस्था होने विषय उपलब्ध जल संसाधन का समुचित उपयोग किया जा सकता है| बड़े-बड़े बांध और तट बंधुओं की उपयोगिता बहुत अधिक है| इसकी कारण यह है कि तटबंध और बांधों के द्वारा जल को समुचित रूप से उपयोग में लाया जा सकता है| जल को ही जीवन कहा जाता है| जल की उपयोगिता की सूची लंबी है| पेयजल घरेलू कार्य सिंचाई उद्योग जन स्वास्थ्य स्वच्छता तथा मल मूत्र विसर्जन इत्यादि कार्यों के लिए जल अपरिहार्य है| इसके अलावे जल विद्युत निर्माण तथा परमाणु संयंत्र स्थित लगन मत्स्य पालन जल कृषि वानिकी जल किराए से कार्य की कल्पना बिना जलके नहीं की जा सकती है| नदियों पर बांध बनाकर बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना को भी सुचारू रूप से चलाया जा सकता है| जिससे सिंचाई का काम अच्छे तरीके से हो सकता है| अतः बांधों और तटबंध के लाभ बहुत अधिक है|
इसके अतिरिक्त जल संसाधन का समुचित उपयोग करने से मछली पालन का व्यवसाय करने में भी सुविधा होती है| जिससे राष्ट्रीय आय बढ़ती है और देश का आर्थिक विकास कार्य करने में सुविधा होती है| जल संसाधन का समुचित उपयोग करके बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं चलाई जाती है| जिसका उस देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है| नदियों पर बांध बनाकर यातायात की सुविधा बढ़ाई जाती है और पर्यटकों के लिए भी यह अनुकूलन माना जाता है| इन सभी देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है| वास्तव में कृषि वाणिज्य व्यवसाय उद्योग धंधे पर्यटन व्यवसाय और जल परिवहन के माध्यम से देश का आर्थिक विकास करने में सुविधा होती है|
2. भारत के आर्थिक विकास में जल संसाधन का योगदान बताएं |
उत्तर :- भारत के आर्थिक विकास में जल संसाधन का महत्वपूर्ण योगदान होता है| जल संसाधन प्राकृतिक संसाधन है| जिसका भारत में समुचित उपयोग करके आर्थिक विकास किया जा सकता है और देश की अर्थव्यवस्था को समुचित बनाया जा सकता है|
भारत के आर्थिक विकास करने में विभिन्न तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान होता है| जिससे जल संसाधन की उपयोगिता बहुत अधिक है|
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां पर मानसूनी जलवायु पाई जाती है| जिसका लक्षण यह है कि कभी वर्षा अधिक होती है और कभी सुखार पड़ जाता है इस प्रकार देश के सभी क्षेत्रों में वर्षा का वितरण एक समान नहीं है| इसलिए किसी कार्य करने के लिए सिंचाई की बहुत अधिक आवश्यकता है| नदियों तालाबों तथा कुएं के जल से खेतों की सिंचाई की जाती है साथ ही नलकूप के जल से भी खेतों की सिंचाई होती है| नदियों पर नखरे बनाकर इसे सिंचाई के काम में लाया जाता है| अतः अतः जल संसाधन का सिंचाई के कार्य में बहुत योगदान होता है| समुचित रूप में सिंचाई की व्यवस्था करने से खाद्यान्न फसलों और व्यवसायिक फसलों का उत्पादन समुचित रूप से होता है| इससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती जिससे देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है|
जल संसाधन के द्वारा पर बिजली का भी उत्पादन किया जाता है| जिससे उद्योग धंधे में बिजली की आवश्यकता की पूर्ति की जाती है| इससे काल कारखानों में समुचित रूप से उत्पादन कार्य होता है जिससे देश में उद्योग धंधों की उत्पादकता बढ़ती है| इससे राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है और देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है|
3. भारत की 4 प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं का वर्णन करें |
उत्तर :- विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारती में कई बहुउद्देशीय परियोजनाएं का निर्माण किया गया है| इनमें से प्रमुख चार परियोजनाएं निम्नलिखित है-
(i) भाखड़ा नांगल परियोजना - यह भारत की एक प्रमुख नदी परियोजना है| पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और राजस्थान इस योजना के साथ सीधे संबंधित है| भाखड़ा बांध सतलुज नदी पर बनाया गया है| यह संसार का सबसे बड़ा बांध है| इसकी ऊंचाई कोई 225 मीटर है इस योजना का भारत के विकास में बड़ा हाथ है|
(a) इसकी जल भंडारण की क्षमता 7.8 लाख हेक्टेयर मीटर है और यह 1400000 हेक्टेयर भूमि को स्विच दी है| इस योजना में नेहरू की कुल लंबाई 3400 किलोमीटर है|
(b) आजकल इस योजना से प्रतिवर्ष 1.200 4 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है| इससे पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में उद्योग के विकास में बड़ा योगदान मिला है|
(c) इस योजना में निसंदेह पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में कृषि के विकास में बहुत बढ़ावा दिया है| अब ग्रामों में भी बिजली पहुंच गई है जिससे वहां के लोगों का जीवन काफी सुख में हो गया है| इस बिजली के ट्यूबवेल ओं का चलाना भी काफी आसान हो गया है| इस प्रकार भाखड़ा नांगल परियोजना से इन राज्यों की लाखों बीघा जमीन की सिंचाई भी होती है|
(d) इससे जो लाखों कुंतल गन्ना पैदा होता है| इसके परिणाम स्वरूप इन भागों में विशेषकर पंजाब और हरियाणा के कई मंडिया स्थापित हो गई है| इस परियोजना से दिल्ली को भी बहुत लाभ हुआ है|
2. दामोदर घाटी योजना - यह परियोजना बिहार राज्य में दामोदर नदी पर बनी हुई है| इसमें कई बांध है जो दामोदर नदी की सहायक नदियों पर बनाए गए हैं| इस परियोजना का भारत के विकास में निम्न योगदान है|
(a) इससे पहले या नदी बिहार में बहुत तबाही लाती थी किंतु अब नदी पर बहुत से बांध बन जाने से इस नदी के जल पर नियंत्रण कर लिया गया है और बाढ़ आदि के प्रकोप को समाप्त कर दिया गया है|
(b) इसके अतिरिक्त एजीसी परियोजना से 394000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई भी होती है
(c) बाएं तट पर बनी मुख्य नहर से 136 किलोमीटर तक 9 का परिवहन की सुविधा भी है| इससे दामोदर घाटी को बहुत लाभ हुआ है क्योंकि इस स्थान पर बहुत से खनिज भंडार है| जिन्हें नहर पर यह वाहन द्वारा उपेक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सकता है|
(d) यही नहीं दामोदर परियोजना से 104 मेगावाट विद्युत का उत्पादन भी होता है| जिससे इस क्षेत्र में औद्योगिक करण के विकास को काफी सहायता मिली है|
3. हीराकुंड परियोजना - उड़ीसा राज्य में महा नदी पर निर्मित इस योजना में बांध की लंबाई विश्व में सबसे अधिक है या बांध 4801 मीटर लंबा और लगभग 21 किलोमीटर तक इसके दोनों ओर भित्ति बनाई गई है| इस परियोजना के परिणाम स्वरूप 154000 हेक्टेयर भूमि को खींचा जा सकता है और बाढ़ पर नियंत्रण पाया जा गया है 270 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता इस परियोजना में है|
4. तुंगभद्रा परियोजना - या योजना आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के राज्यों ने मिलकर शुरू की है एक बांध जो 50 मीटर ऊंचा और 5 किलोमीटर लंबा है| तुम भद्रा नदी पर बनाया गया है यह नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है| इस परियोजना का भारत के विकास में बड़ा योगदान है|
(a) इस परियोजना ने दोनों संबंधित राज्यों (आंध्रप्रदेश और कर्नाटक) में लगभग 335000 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा प्रदान करके कृषि को बहुत बढ़ावा दिया है|
(b) इस परियोजना द्वारा पैदा की जाने वाली बिजली से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्य में उद्योगों को भी बहुत प्रोत्साहन मिला है|
(c) इसके अतिरिक्त आई हो इसी परियोजना द्वारा इन राज दोनों राज्यों में मछली पालन का कार्य को भी बहुत बढ़ावा मिला है|
4. शुष्क प्रदेशों में वर्षा के जल का भंडारण किस प्रकार किया जा सकता है यह किस प्रकार उपयोगी है
उत्तर :- धरातल पर उपयोगी जल की कमी और भूमिगत जल के स्तर में लगातार गिरावट होने के कारण वर्षा जल की महत्ता बढ़ जाती है| देश भर में वर्षा जल का वितरण भी और सामान्य है इसलिए शुष्क प्रदेशों में जहां वर्षा कम होती है| वह वर्षा के जल का संग्रह कर उपयोग में लाना और भी आवश्यक हो जाता है|
भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही वर्षा जल के संग्रहण एवं उपयोग का प्रचलन रहा है| परंतु स्थानांतरण स्तर पर जल के संग्रह के तौर-तरीके भिन्न-भिन्न है| भारत के पश्चिमी भाग में खासकर राजस्थान पेयजल हेतु वर्षा जल का संग्रहण छतों पर किया जाता है| उसके एवं अर्द्ध शुष्क प्रदेशों में वर्षा जल को गड्ढा में एकत्रित किया जाता है| जिससे सिंचाई की जा सके राजस्थान के दामोदर जैसे शुष्क इलाके में पेयजल का संग्रह भूमिगत टैंक में किया जाता है| जिससे टाका कहा जाता है या पराया आंगन में हुआ करता है| जिसे छत पर संग्रहित जल को पाइप्स के द्वारा जोड़ दिया जाता है| मेघालय के शिलांग मैं छत पर वर्षा जल के संग्रह की प्रथा आज भी प्रचलित है|
वर्तमान समय में महाराष्ट्र महा व मध्य प्रदेश राजस्थान एवं गुजरात सहित कई राज्यों में वर्षा जल संग्रह एवं पुनर्चक्रण की किया जा रहा है|
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