यूरोप में राष्ट्रवाद
1. यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रसार में नेपोलियन बोनापार्ट के योगदान की विवेचना करें |
उत्तर :-
यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना को नेपोलियनिक की विजयों ने बढ़ावा दिया नेपोलियन बोनापार्ट ने भी जीत राज्यों में राष्ट्रवादी भावना जागृत कर दी| फ्रांसीसी अधिपत्य वाले राष्ट्रों में नेपोलियन संहिता फ्रांसीसी शासन और अर्थव्यवस्था समान रूप से लागू की गई| नेपोलियन के इन कार्यों से इटली एवं जर्मनी के एकीकरण का मार्ग सुगम हो गया| अतः नेपोलियन ने इटली और जर्मनी को भौगोलिक अभिव्यक्ति से बाहर लाकर इन के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया साथ ही नेपोलियन के युद्ध और विषयों से अनेक राष्ट्रों में फ्रांसीसी अधिपत्य के विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई एवं आक्रोश बड़ा इससे भी राष्ट्रवाद का विकास हुआ इस प्रकार नेपोलियन बोनापार्ट के योगदान के फल स्वरुप पोलैंड हंगरी और यूनान भी राष्ट्रवाद का लहर में समाहित हो गए|
2. जुलाई 18 से 30 ईसवी की क्रांति का विवरण दिया ?
उत्तर :-
जुलाई 18 से 30 ईसवी की क्रांति चार्ल्स दशम के घोर निरंकुश एवं राज सत्तावादी शासन का परिणाम था| 4.4 टिकरिया वादी शासक था जिसने शासन संभालते ही फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्र वादी भावनाओं के दमन का कार्य प्रारंभ कर दिया| उसने प्रतिक्रियावादी पुल विनीत को प्रधानमंत्री बनाया कॉलीग नेक ने पूर्व में रुई 18ve द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता की जगह विशेष अधिकारों से विभूषित शक्तिशाली कुलीन वर्ग की स्थापना करने का प्रयास किया उसके इस घोषणा से उदारवादी शुभ हो गए| उसने इसे क्रांतिकारी के विरुद्ध समझाया और एक चुनौती के रूप में लिया समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने भी इसे दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक बताया उदार वादियों ने पुलिस ने के प्रति गहरा असंतोष व्यक्त किया प्रतिनिधि सभा में पोलिंग नेत्र के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर दिया गया|
चार्ल्स दशम ने प्रतिक्रियास्वरूप 25 जुलाई 830 ईसवी को 4 अध्यादेश जारी किए| जिसके द्वारा (i) प्रेस की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई, (ii) प्रतिनिधि सभा भंग कर दी गई, (iii) संपत्ति योग्यता बढा कर मतदाताओं की संख्या सीमित कर दी गई तथा (iv) राज्य परिषद में अभिजात्य वर्ग की संख्या बढ़ा दी गई| देशों द्वारा उधार तत्वों का गला घोटने का प्रयास किया गया| इसके विरोध में पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई और 27-29 जुलाई तक गृह युद्ध चला |
फ्रांस की जुलाई 18 से 30 ईसवी की क्रांति ने देश के कट्टर राजसत्ता वादियों का प्रभाव समाप्त कर फ्रांसीसी क्रांति के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया तथा वियना कांग्रेस के उद्देश्यों को निर्मूल सिद्ध कर दिया| इसका प्रभाव संपूर्ण यूरोप पर पड़ा राष्ट्रीयता तथा देशभक्ति की भावना ने इस सभी यूरोपीय राष्ट्रों के राजनैतक एकीकरण संवैधानिक सुधारों तथा राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त किया|
3. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें इसमें विलियम प्रथम ने क्या सहायता की क्या विलियम की मदद के बिना एकीकरण संभव था ?
उत्तर :-
परसा का चांसलर बनने के बाद विश्व मार्क का मुख्य उद्देश्य पड़ता को शक्तिशाली बनाना था| वह जर्मन संघ के ऑस्ट्रिया के प्रभाव को समाप्त कर प्रसाद के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण के सामने देखा करता था| अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए 20 मार्च को अनेक आंतरिक तथा वाली कठिनाइयों का सामना करना पड़ा प्रसाद की सेना के पुनर्गठन हेतु आवश्यक धनराशि को जुटाने के क्रम में उसे प्रतिनिधि सभा से काफी संघर्ष करना पड़ा इस मार्ग जर्मन एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति के महत्व को समझता था| उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू की|
प्रसाद को सर्वश्रेष्ठ सैनिक शक्ति बना कर उसने कूटनीति का सहारा लेते हुए पहले रूस फ्रांस और इटली से मित्रता कर ऐसी अंतरराष्ट्रीय स्थिति बना दी कि जब स्त्रियों के साथ प्रसाद का युद्ध हो तो कोई भी पड़ोसी राष्ट्र सीरिया की सहायता न कर सके| उपरोक्त शहर में एवं कूटनीति तैयारी के उपरांत बिस्मार्क ने अगले 3 युद्धों के द्वारा जर्मनी के एकीकरण का कार्य पूर्ण किया|
डेनमार्क के साथ युद्ध - 18 से 64 ईसवी में सेल्स बीवी और होम्स तीन राज्यों के मुद्दे पर बिस्मार्क ने आस्ट्रिया के साथ मिलकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया| आक्रमण कर दिया यह दूसरे जीत के बाद सेल से भीग पड़ता को मिला ऑस्ट्रेलिया को हो सचिन मिला| जिसकी अधिकांश जनता जर्मन थी तथा वह क्षेत्र स्त्रिया से दूर तथा प्रसार के निकट था या बिस्मार्क की कूटनीति का ही कमाल था|
ऑस्ट्रेलिया से युद्ध - व्हिच मार्ग नया ऑस्ट्रेलिया प्रताप युद्ध को अवश्यंभावी जान इस युद्ध के समय तक रहने के लिए फ्रांस से समझौता किया साथ ही इटली के साथ संधि की की अच्छी या प्रचार युद्ध के समय इटली अस्थाई क्षेत्रों पर आक्रमण कर देगा| 20 मार्च के कार्यों से छूट ऑस्ट्रेलिया ने 18 से 66 ईसवी में प्रसाद के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी संधियों के फल स्वरुप ऑस्ट्रिया दोनों तरफ से युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ इससे प्रभाव समाप्त हो गया|
फ्रांस के साथ युद्ध - शेष जर्मनी के एकीकरण के लिए फ्रांस के साथ युद्ध आवश्यक था स्पेन की राजगद्दी के मामले पर अंततः 18 से 70 ईसवी में फ्रांस ने से डॉन युद्ध की घोषणा कर दी| प्रताप ने फ्रांस को बुरी तरह हराया और एक महाशक्ति के रूप में जर्मनी का यूरोप के राजनैतिक मानचित्र पर उदय हुआ|
यह न्यूज़ में पड़ता कि वीजा और परिणाम स्वरूप जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क की रक्त और लौह नीति के साथ-साथ उसके कूटनीति का ही परिणाम था| बिस्मार्क अपनी विदेशी राजनीति में पूर्णता सफल हुआ| जर्मनी सम्राट क्या सर विलियम उस पर भरोसा करता था| वह उसे सभी प्रकार का समर्थन देता था| उसके समर्थन के बिना बिस्मार्क के एकीकरण के प्रयास सफल नहीं हो पाते|
4. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें
अथवा यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के क्या कारण थे भारत में राष्ट्रवाद का विकास कैसे भिन्न था
उत्तर :-
(i) सामंतवादी व्यवस्था :- सामंतवादी व्यवस्था के फल स्वरुप आम जनता की स्थिति अत्यंत दयनीय एवं सोचनीय थी | आम जनता में उच्च वर्ग के प्रति भयंकर आक्रोश था|
(ii) राष्ट्रप्रेम की भावना का विकास :- पुनर्जागरण के परिणाम स्वरुप देश में राष्ट्रवादी विचारधारा और क्या विकास हुआ फल स्वरुप राष्ट्रवादी आंदोलनों का जन्म हुआ|
(iii) पुनर्जागरण का प्रभाव :- पुनर्जागरण के फल स्वरुप जनता में बौद्धिकता एवं तर्क बादिता का विकास हुआ|
(iv) मध्यम एवं श्रमिक वर्ग का उदय :- मध्यम वर्ग के उदय ने परंपरागत शासन व पद्धति व शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई और दो की क्रांति के फलस्वरूप श्रमिक वर्ग का उदय हुआ था| इनकी हालत बदतर एवं दयनीय थी फलता दोनों वर्गों में सामान आक्रोश था|
भारत में राष्ट्रवाद के विकास के पीछे अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध और संतोष आर्थिक नीतियों से प्रभावित जनजीवन अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार और प्रजातीय विवेद की नीति थी| देश में मध्यम वर्ग का उदय हुआ साहित्य एवं समाचार पत्रों में ने राष्ट्रवाद की भावना को पुष्ट किया सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया फलस्वरूप भारत का जन जन आजादी का दीवाना बन गया|
5. इटली के एकीकरण में मेजिनी, काबूर और गैरीबाल्डी के योगदान को बताएं
अथवा इटली के एकीकरण में मेजिनी का क्या योगदान था
उत्तर :- इटली के एकीकरण में मेजिनी काबुृर और गैरीबाल्ड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|
मेजनी :- मैजिनी इटली में राष्ट्र वादियों के गुप्त दल कार्बोनरी का सदस्य था| वह योग्य सेनापति होने के साथ-साथ गन तांत्रिक विचारों का समर्थक था तथा साहित्यकार भी था| उसके लिखो तथा विलक्षण व्यक्तित्व से इटली के लोगों में उत्साह और राष्ट्रीयता की भावना विकसित हुई| 1830 ईस्वी में नागरिक आंदोलनों के द्वारा उसने उतरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया| किंतु असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा| 1848 सीसी में मैटर नहीं खींचे पराजय के बाद मैजिनी ने पुणे इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया किंतु इस बार भी वह सफल रहा और उसे पलायन करना परा|
काउंट कावूर :- काउंट कावूर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था| उसने इटली के एकीकरण के लिए राजनीति दांवपेच और कूटनीति पर अधिक विश्वास किया| इटली कूटनीति से काबुल ने इटली की समस्या को एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बना दिया| काबुल इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रेलिया को मानता था| अतएव आस्ट्रेलिया को पराजित करने के लिए उसने फ्रांस से मित्रता की|
गैरीबाल्डी :- इटली के एकीकरण के क्रम में दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण का असर है| गैरीबाल्डी कूद जाता है| गैरीबाल्डी प्रारंभ में मैजिनी के विचारों का समर्थक था| किंतु बाद में काबुल इससे प्रभावित ओहो संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया| गैरीबाल्डी पेशे से नाभिक था| उसने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना का गठन कर इटली के प्रांत सिसिली तथा नेपल्स पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की उसने गणतंत्र की स्थापना कर विक्टर इमानुएल के प्रतिनिधि के रुप में सत्ता संभाली| तत्पश्चात गैरीबाल्डी नेविगेटर इमैनुवेल से मिलकर दक्षिणी इटली के संपूर्ण जीते गए छात्र एवं संपत्ति उसे सौंप दी गैरीबाल्डी ने दक्षिणी क्षेत्र के शासक बनने के बजाय कृषि कार्य करना स्वीकार किया|
6. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें
उत्तर :-
यूनान का अपने गौरवशाली अतीत रहा है| यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति विचार दर्शन कला चिकित्सा विज्ञान आदि| क्षेत्र के उपलब्धियां यूनानी यों के प्रेरणा स्रोत थी| पुनर्जागरण काल में इनसे ही प्रेरणा लेकर पाश्चात्य देशों में तरक्की की शुरुआत की किंतु यूनान स्वयं तुर्की साम्राज्य के अधीन था|
फ्रांसीसी क्रांति से यूनानी यों में राष्ट्रीयता की भावना विशेष रूप से जगी क्योंकि धर्म जाति और संस्कृति के आधार पर इसकी सामान पहचानती फलता तुर्की शासन से मुक्ति हेतु यूनानी यों ने भी तेरी आंखें लाइक नामक संस्था की स्थापना कर स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की|
सीपीयू डाल सारे यूरोप वासियों के लिए प्रेरणा एवं सम्मान का प्रयास था| उसके स्वतंत्रता संघर्ष ने संपूर्ण यूरोप में सहानुभूति पैदा कर दी रूस भी अपनी धार्मिक तथा साम्राज्यवादी कर महत्वाकांक्षा के कारण यूनान की स्वतंत्रता चाहता था|
18 से 21 ईसवी में अलेक्जेंडर 15 घाटी के नेतृत्व में यूनान के में विद्रोह शुरू हो गया| तुर्की शासकों ने यूनानी स्वतंत्रता सेनानियों का दमन करना प्रारंभ कर दिया| रूस का जार अलेक्जेंडर व्यक्तिगत रूप से यूनानी राष्ट्रीयता का पक्षधर था परंतु मेटरनिख के कारण मुखर नहीं था| नए जार निकोलस ने खुलकर यूनानी यों का समर्थन किया| अप्रैल में ग्रेट ब्रिटेन और रूस ने तुर्की यूनान विवाद में मध्यस्थता करने का समझौता किया| 1827 में लंदन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंग्लैंड फ्रांस तथा रूस ने मिलकर की के खिलाफ तथा यूनान के समर्थन में संयुक्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया| तुर्की के समर्थन में सिर्फ मिस्र की सेना आई युद्ध में मित्र और तुर्की की सेना बुरी तरह पराजित हुए|
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |