1. हुंडरू का पानी कहीं सांप की तरह चक्कर काटता है कहीं हरिन की तरह छलांग मारता है और कहीं बाघ की तरह गुजरता है हुआ नीचे गिरता है इसका वर्णन करें
उत्तर : हुंडरू का पानी सांप की तरह वहां चक्कर काटता है| जहां पहाड़ या पत्थर होते हैं हिरण की तरह वहां छलांग मारता है| जहां बाधक तत्व मौजूद रहते हैं और बाघ की तरह वहां गजरता है| जब झरना का पानी 243 फुट ऊपर से नीचे गिरता है तात्पर्य यह कि पानी की धारा अपने बहाव के अनुरूप अपना स्वरूप बनाती है| पानी का यह रूप लेखक को भयानक प्रतीत होता है|
2. हुंडरू का पानी चक्कर काटकर छलांग भरता हुआ नीचे गिरता है इनमें से आपको कौन सा तरीका अच्छा लग रहा है और क्यों
उत्तर : हुंडरू का पानी चक्कर काटकर छलांग बढ़ता हुआ नीचे गिरता है| इनमें जो जल बाघ की तरह गजरता हुआ नीचे गिरता हुआ हमें अच्छा लगता है| इसका कारण है कि यह सारा जग एक जगह सिमट जाता है| इसका यह रूप विशाल और भयंकर होता है| इसके बाद वह नदी का रूप धारण कर मंथर गति से बहता है| जिसको देखने के लिए दिन-रात दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है| जहां सारी धाराएं एक होकर बहती है वह स्थान भयानक तो लगता है परंतु जिस जिज्ञासा की पूर्ति होती है कि पर्वत से नदियां किस प्रकार निकलती है|
3. हुंडरू का झरना कैसे बना है
उत्तर : नदी जहां पहाड़ को पार करने की चेष्टा में पहाड़ पर चढ़ती है| वहां पानी की कई धाराएं बन जाती है और जब सारी धाराएं एक होकर पहाड़ से नीचे गिरती है| वही झरना बनता है इसकी ऊंचाई 243 फुट है| यह झरना रांची तथा हजारीबाग के जंगलों के बीच में बहता है| झरना की प्रबल धारा जहां गिरती है वहां का पानी सतरंगा इंद्रधनुष - सा प्रतीत होता है|
4. स्वयं झड़ने से भी ज्यादा खूबसूरत मालूम होता है, झरने से आगे का दृश्य इस दृश्य की सुंदरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए
उत्तर : लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है कि पहाड़ों के बीच एक पतली सी नदी बहती है जो थर्मामीटर के पतले पारे जैसा लगता है इसके आगे एक पहाड़ है| जिसके इर्द-गिर्द पत्थरों का अंबार लगा हुआ है तथा उस पर जारी उगी हुई है| यहां का दृश्य ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपने हाथों से इनका निर्माण किया होगा मानव प्रयत्नों से शोभा के इस विशाल वैभव की सृष्टि सर्वथा कठिन है|
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