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Class 10th Bharati Bhawan Geography | Chapter 3 Water Resources : Social Science (सामाजिक विज्ञान) | कक्षा 10 भारती भवन भूगोल | अध्याय 3 जल संसाधन | अतिलघु उत्तरीय और लघु उत्तरीय प्रश्न

 

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न और लघु उत्तरीय प्रश्न :- 

1. विश्व में उपलब्ध जल का कितना प्रतिशत मसासागारों में जमा है ?

उत्तर :- 96.5% प्रतिशत 

2. दिल्ली में 13वीं सदी में जल संग्रह के लिए बने विशिष्ट तालाब का नाम क्या है ?

उत्तर :- हौज-ए-ख़ास 

3. राजस्थान में भूमिगत टंकियों में एकत्रित वर्षा जल का दूसरा स्थानीय नाम क्या है ?

उत्तर :- टाँका है | 

4. पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में पानी की धारा बदलकर सिंचाई के लिए प्रवाहित करनेवाली प्रणाली का क्या नाम है ?

उत्तर :- गुल अथवा कुल 

5. टिहरी बाँध किस राज्य में स्थित है ?

उत्तर :- उत्तराखंड में  

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. जल किस प्रकार एक दुर्लभ संसाधन है ?

उत्तर :- पृथ्वी को जल गृह कहा जाता है| परन्तु 96.5% जल सात महासागरों में पाया जाता है ओ यातायात को छोड़कर उपयोगी नहीं है | यह हमारी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता क्योंकि यह खारा जल है | धरती पर पाए जाने वाले जल में 2.5% भाग ही उपयोगी है | इसमे भी 70% भाग बर्फ के रूप में ग्रीनलैंड, अंटार्टिका महादेश तथा हिमालय के शिखरों एवं हिमनदों में पाए जाते है शेष 30% जल ही नदी, तालाबों, भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है | वर्षा का जल मीठा होता है | विश्व की कुल वर्षा का 4% जल ही भारत में उपलब्ध होती है | भारत में अधिक जनसंख्या के कारण प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता की दृष्टि से भारत का विश्व में 33वाँ स्थान है | भारत को भी इसी संकट का सामना करना पडेगा | इस प्रकार यह कह सकते है की जल एक दुर्लभ संसाधन है |  

2. भारत में जल के प्रमुख स्रोत कौन-कौन है ?

उत्तर :- (i) वर्षा :- वर्षा जल का सबसे प्रमुख स्रोत है, वर्षा के जल का उपयोग कृषि-कार्यों में किया जा सकता है | वर्षा के जल का संरक्षण करके और उसका समुचित उपयोग करके जल की कमी को पूरा किया जा सकता है | 

(ii) नदियाँ :- नदी भी जल का एक प्रमुख स्रोत है, नदियाँ के जल को आधुनिक तकनीक की मदद से शुद्ध करके उसे दैनिक जीवन में उपयोग किया जा सकता है | नदियों के जल को पाइप द्वारा खेतों तक पहुंचाकर फसलों का सिंचिया किया जाता है | कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नदी का उपयोग सिंचाई के लिए बहुत अधिक किया जाता है | 

(iii) भूमिगत जल :- यह भी जल एक प्रमुख स्रोत है | भूमिगत जल को कुंआ खोदकर निकाला जाता है | भूमिगत जल को झरनों द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है | इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते है | 

(iv) ग्लेशियर :- यह भी जल-प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत है | गर्मियों में हिमालय का बर्फ पिघलकर नदियों के पानी को बढाता है | इस जल की सहायता से दैनिक और कृषि कार्य किये जाते है | 

(v) झील, तालाब एवं अन्य जलाशय :- ये भी जल प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत है | इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते है | इस जल की सहायता से कृषि-कार्य और अन्य महत्वपूर्ण क्रिया-कलाप किए जाते है |

3. बहु-उद्देश्य नदीघाटी परियोजनाएँ किस प्रकार लाभप्रद है ? यह भी बताएँ की वे किस प्रकार हानिकारक है ?

उत्तर :- इसे हम निम्न प्रकार के आधार पर स्पस्ट किया जा सकता है :

(i) नदियो पर बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती है जिससे वर्शाभाव के क्षेत्र में सिंचाई की जाती है | 

(ii) जल विधुत उत्पन्न किया जाता है | 

(iii) बाढ़ की रोकथाम करना, मिट्टी के कटाव को रोकना 

(iv) मछलीपालन, यातायात की सुविधा प्राप्त करना 

(v) पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र बनाना आदि 

बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजना के लाभ के साथ-साथ हानियाँ भी है | इसे निम्न प्रकार के आधार पर स्पस्ट कर सकते है :

(i) नदियों पर बाँध बनाने से स्वाभाविक प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जिससे नदी की तली में कचड़े जमा हो जाता है और प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दृश्य बनता रहता है | 

(ii) जल प्रदुषण की संभावना बढ़ जाती है | इसका दुष्प्रभाव जलीय जीवों पर पड़ता है 

(iii) इस प्रकार की परियोजना से बड़े पैमाने पर विस्थापन की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

(iv) नहरों से अधिक सिंचाई करने पर भूमि की उर्वरता घटने लगती है |  

4. नदियों पर बाँध क्यों बनाए जाते है ? उससे होने वालों लाभों का उल्लेख करें | 

उत्तर :- नदियों पर बाँध इसलिए बनाए जाते है क्योंकि नदी का जल का समुचित उपयोग किया जा सके | नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती है जिससे नदी के जल का समुचित उपयोग हो सके | 

नदियों पर बाँध बनाने से कुछ लाभों की प्राप्ति होती है जो कई प्रकार के है :

(i) नदी के जल को बाँध बनाकर खेतों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है जिससे कृषि-कार्य में सुविधा होती है | 

(ii) नदियों पर बाँध बनाने से पन-बिजली उत्पन्न की जाती है जिसका उपयोग उद्दोग-धंधो में ऊर्जा के रूप में प्रयोग किया जाता है | 

(iii) नदियों पर बाँध बनाकर बाढ़ की रोकथाम की जाती है, क्योंकि जल रोकने के लिए नदी पर बराज बनाए जाते है |

(iv) नदियों पर बाँध बनाने से मिट्टी का कटाव को रोका जा सकता है | इससे भूमि-क्षरण कम होता हिया | 

(v) नदियों पर बाँध बनाकर मच्छली-पालन का काम भी समुचित मात्रा में किया जाता है जिससे मछली का व्यापार करने वालों को आय की प्राप्ति होती है |  

5. स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारत में प्रथम बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजना कौन बनी ? उससे कौन दो राज्य अधिक लाभान्वित हुए ?

उत्तर :- स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारत में प्रथम बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना है |इस परियोजना से दो राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल लाभान्वित हुए है |

6. भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन है और यह किस नदी पर है ? इससे किस क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिलाती है ?

उत्तर :- भारत की सबसे बड़ी नदीघाटी परियोजना नगल परियोजल है | यह सतलज नदी पर बनायी गई है | 

इस परियोजना से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर राज्यों को लाभ मिला है| इसे कृषि और उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन आये है| इस परियोजना से 15 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई कर देश में हरित क्रान्ति लाने में मदद मिली है| जल विधुत उत्पादन के द्वारा उन राज्यों में लघु एवं कुटीर उद्योग का जाल बीच गया है |

7. राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् के एक महत्वपूर्ण कार्य का उल्लेख करें |अथवा

भूमिगत जल कानून से किन दो राज्यों में प्रगति हुई ?

उत्तर :- राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् ने 9 सितम्बर, 1987 को एक राष्ट्रीय जल-निति अपनाई थी | यह इसका एक महत्वपूर्ण कार्य माना गया | 2002 ई० में राष्ट्रीय जल निति में संसोधन करके नयी निति बनायी गयी | इसकी मुख्य बातों पर ध्यान दिया गया :

(i) जल की उपलब्धता बनाए रखना 

(ii) जल को प्रदूषित होने से बचाना 

(iii) प्रदूषित जल को साफ कर उसका बार-बार उपयोग करना 

भूमिगत जल कानून से विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में प्रगति हुई है| साथ ही मध्य प्रदेश और तमिलनाडू जैसे बड़े राज्यों में भी अधिक प्रगति हुई है | इन क्षेत्रो में कुंआ और नलकूपों के द्वारा भूमिगत जल को ऊपर निकाला जाता हिया और सिंचाई के काम में उपयोग किया जाता है | परिणामस्वरूप कृषि कार्य करने में सुविधा होती है जिससे किसानो की आय बढाती है और उनकी आर्थिक प्रगति होती है |  

8. जल संकट से आप क्या समझते है ? भारत में पेय जल संकट के कारणों पर प्रकाश डालें | 

उत्तर :- स्वेडन के विशेषज्ञ पाल्कन मार्क के अनुसार प्रतिव्यक्ति एक हजार घनमीटर से कम जल की उपलब्धता जल संकट की स्थिति होती है | जल का यह संकट जल के अति उपयोग, दुरुपयोग एवं जल के असमान वितरण से उत्पन्न होता है | 

भारत एक मानसूनी जलवायु वाला देश है | इसलिए कभी-कभी कुछ क्षेत्रों में समुचित मात्रा में वर्षा नहीं हो पाती है जिसके कारण जल संकट उत्पन्न होता है | कृषि तथा उद्योगों के विस्तार से जल का अधिक शोषण होने लगा है जिसके कारण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है| इसी प्रकार जल के प्रदुषण से प्रयोग में आने वाले जल का अभाव हो जाता है | 

9. हिमालय की नदियाँ में सदा जल मिलता है, पर प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ ऋतू विशेष में ही जलापूर्ति रहती है | क्यों ?

उत्तर :- हिमालय से निकलने वाली नदियों में सदा जल इसलिए मिलता है की हिमालय का ऊपरी शिखर बर्फ से ढका है| वर्षा जल के अतिरिक्त बर्फ के पिघलने से वर्षा भर उन नदियों में जल प्रवाहित होता रहता है | हिमालय से निकलने वाली नदियों का उदगम हिमानी से है इसलिए जल की आपूर्ति होती रहती है | 

जबकि दूसरी ओर प्रायद्वीपीय पठार में बहाने वाली नदियाँ बरसाती है, उसमे केवल वर्षा का जल ही प्रवाहित होता है और भारत में वर्षा कुछ महीने ही होती है| शेष समय नदियाँ सुख जाती है| उसमे जल की आपूर्ति नहीं होती है और जल प्रवाहित नहीं होती है |  

10. जीवन में जल का क्या महत्व है ? 

उत्तर :- कहा जाता है की जीवन की उत्पति पहले पहल जल में ही हुई और बाद में जल से स्थल पर पहुंची | जल है तो जीवन है फसलों, जीव-जंतु का अस्तित्व जल पर है| कल-कारखाने, औद्योगिक नगरों, मानव बस्तियों में जल की आपूर्ति आवश्यक है| जल से विद्युत उत्पन्न किया जाता है | जलीय क्षेत्रों से यातायात का काम लिया जाता है | जलाशयों में सिंचाई की जाती है  |सिंचाई के बल पर उत्पन्न कृषि का विकास किया गया है\ बड़े-बड़े उद्यगों में जल का उपयोग किया जाता है | जलीय भागों में मत्स्य की प्राप्ति की जाती है | इस प्रकार जीवन में जल का महत्त्व अत्यधिक है |  

11. बताएँ की जल किस प्रकार नाविकरानीय संसाधन है ?

उत्तर :- जल का नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता है | सम्पूर्ण जल नवीकरण योग्य है और जल चक्र में गतिशील रहता है | इसलिए नवीकरण सुनिश्चित होता है | 

जलीय चक्र - (i) सूर्य की गर्मी के कारण जल का वाश्पिकरन होता हिया | जलवाष्प हवा में संघनित होकर बादलों में बदल जाता है |

(ii) यह संघनित जलवाष्प वर्षा अथवा बर्फ के रूप में धरती पर गिरता है | 

(iii) धरती से जल दुबारा सागरों में पहुँचता है फिर जल का वाष्पीकरण होता हिया| इस प्रकार जलीय चक्र सदैव गतिशील रहता है | 

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1 Comments

  1. Very nice sir thanks for this information to me I hope you in future you can do in this type of information posted by Google because 70%peapol is depend in Google so again lot of thanks for this information 🙏🙏

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