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लघु उत्तरीय प्रश्न :
1. विविधता में एकता का अर्थ बताएँ |
उत्तर :- विविधता में एकता भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की अपनी विशेषता रही है | भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है | भारत में विविधता धार्मिक तथा सांस्कृतिक आधार पर है | हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख तथा इसाई विभिन्न धर्मो के माननेवाले लोग भारत में है तथा उनकी सांस्कृतिक पहचान भी अलग-अलग है | लेकिन एक-दुसरे के पर्व-त्योहारों में वे शरीक होते है तथा वे अलग-अलग होते हुए पहले वे भारतवासी है | इसलिए कहा जाता है की भारत में विविधता ये भी एकता विद्धमान है |
2. सामाजिक विभेद किस प्रकार सामाजिक विभाजन के लिए उत्तरदायी है ?
उत्तर :- समाज में व्यक्ति के बीच कई प्रकार केसामाजिक विभेद देखने को मिलते है जैसे जाती के आधार पर विभेद, आर्थिक स्तर पर विभेद धर्म केआधार पर तथा भाषाई आधार पर विभेद |
ये सामाजिक विभेद तब सामाजिक विभाजन का रूप ले लेती है जब इनमे से कोई एक सामाजिक विभेद दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और अधिक शक्तिशाली हो जाते है | जब किसी एक समूह को यह महसूस होने लगाता है की वे समाज में बिलकुल अलग है तो उसी समय सामाजिक विभाजन प्रारंभ हो जाता है|
3. सामाजिक विभेद एवं सामाजिक विभाजन का अंतर स्पस्ट करें |
उत्तर :- जब हम क्षेत्र में होनेवाले विभिन्न जाती, धर्म, जाती, भाषा, संप्रदाय के द्वारा लोगों के बीच विभिन्नताएँ पाई जाती है तो वे सामाजिक विभेद का रूप धारण कर लेते है | वहीँ दूसरी तरफ धन, रंग, क्षेत्र के आधार पर विभेद सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है | श्वेतों का अश्वेतों के प्रति, अमीरों का गरीबों के प्रति व्यवहार सामाजिक विभाजन का कारण बन जाता है | भारत में सवर्णों और दलितों का अंतर सामाजिक विभाजन का रूप ले रखा है |
4. सामाजिक विभेदों में तालमेल किस प्रकार स्थापित किया जाता है ?
उत्तर :- लोकतंत्र में विविधता स्वाभाविक होता है परन्तु विविधता में एकता भी लोकतंत्र का ही एक गुण है | अधिकांश लोकतांत्रिक राज्यों में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को गले लगाया जाता है | एक धर्मनिरपेक्ष ये विभिन्न धर्म, भाषा तथा संस्कृति के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते है | उनमे यही धारण विकसित हो जाती है की उनके धर्म, भाषा रीती-रिवाज अलग-अलग तो अवश्य है परन्तु उनका राष्ट्र एक है | बेल्जियम की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विभिन्न भाषा-भागो एवं क्षेत्र के लोगों के बीच अच्छा तालमेल है |
5. सामाजिक विभेदों का लोकतांत्रिक राजनीतिक पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :- सामजिक विभेदों लोकतांत्रिक राजनीतिक को प्रभावित किए बिना नहीं रह सकता है |
ब्रिटिश शासकों ने फुट डालो और शासन करो की राजनीत को अपनाकर हमारे देश पर वर्षो तक शासन किया | आज भी सामाजिक विभेद राजनिताज्ञों के लिए एक अस्त्र बना हुआ है | लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनिताग्य इसका लाभ उठाने में पीछे नहीं रहते है | राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के चयन और उनकी जित सुनाश्चित करने में सामाजिक विभेद सहायक हो जाते है | विभिन्न राजनीतिक दल अपनी प्रतिद्वंद्वित का आधार भी सामाजिक विभेद को बना लेते है | उत्तरी आयरलैंड में एक धर्म माननेवाला भी प्रोटेस्टेंट एवं कैथोलिक समूहों में बनते हुए है | सबको बड़ी बात यह है की वहाँ दो प्रमुख राजनीतिक दल भी इसी आधार पर गठित है |
6. सामाजीक विभेद की राजनीति के परिणाम किन तीन बातों पर निर्भर करते है ?
उत्तर :- सामाजिक विभेद की राजनीति का परिणाम तीन बातों पर निर्भर करते है- (i) सामाजिक विभेद की राजनीति का अच्छा या बुरा परिणाम इस बात पर निर्भर करता है की लोगों में अपनी पहचान के लिए कितनी चेतना है | (ii) लोकतांत्रिक समाज में अलग-अलग समुदाओं के लोगो की अपने हित के ;लिए अलग-अलग मांगे होती है | उन मांगों को देश के राजनीतिक दल किस प्रकार निर्णय के लिए सरकार के सामने उठाते है, (iii) सामाजिक विभेद की राजनीति के परिणाम सरकार की विभिन्न समुदायों की मांगे के प्रति सोंच पर भी निर्भर करती है |
7. लोकतंत्र किस प्रकार विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच तालमेल स्थापित करता है |
उत्तर :- लोकतंत्र में विविधता स्वाभाविक है, परन्तु विविधताओं के बीच एकता स्थापित करना लोकतंत्र का ही एक गुण है | अधिकांश लोकतांत्रिक राज्यों में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को गले लगाया जाता है एक लोकतांत्रिक राज्य में विभिन्न धर्म, भाषा एवं संस्कृति के लोग निवास करते है | लेकिन उनमे यह भावना विकसित हो जाती है की वे एक राष्ट्र के नागरिक है | जैसे बेल्जियम की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विभिन्न भाषा-भाषी एवं क्षेत्र के लोगों में अच्छा तालमेल है | इस तरह हम कह सकते है की विभिन्न समूहों के बीच आपसी तालमेल लोकतंत्र के द्वारा ही स्थापित किया जा सकता है |
8. सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में कैसे बदल जाता है ?
उत्तर :- लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच प्रतिद्वान्द्वाता का माहौल होता है | इस प्रतिद्वंद्विता के कारण कोई भी समाज फुट का शिकार बन सकता है | अगर राजनीतिक दल समाज में मौजूद विभाजनो को हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगे तो इससे सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में बदल सकता है और ऐसे में देश विखंडन की तरफ जा सकता है | ऐसा कई देशों में हो चुका है |
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