दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :-
1. ठोस, द्रव और गैस में अंतर स्पष्ट करें |
उत्तर :-
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ठोस |
द्रव |
गैस |
(i) |
इनका निश्चित आयतन व आकार होता है| |
द्रव का आयतन तो निश्चित होता है लेकिन आकार निश्चित नहीं
होता| |
गैसों का आयतन तथा आकार निश्चित नहीं होता| गैसें जिस
बर्तन में रखी जाती है उसी का आयतन तथा आकार ग्रहण कर लेती है| |
(ii) |
इनके गलनांक व क्वथनांक कक्षताप से अधिक होते है| |
इनकेगलनांक कक्षताप से कम तथा क्वथनांक कक्षताप से अधिक
होते है| |
इनके गलनांक तथा क्वथनांक कक्ष ताप से अधिक होते है| |
(iii) |
इन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता है| |
इन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता है| |
इन्हें संपीडित किया जा सकता है| |
(iv) |
ठोसों का घनत्व सामान्यतया अधिक होता है| |
द्रवों का घनत्व ठोस से कम तथा गैस से अधिक होता है| |
गैसों का घनत्व सामान्यत कम होता है| |
2. गैस के विशिष्ट गुणों का उल्लेख करें |
उत्तर :- (i) आकृति और आयतन - गैस न तो कोई निश्चित आकृति होती है और न ही आयतन |
(ii) घनत्व - ठोस एवं द्रवों की तुलना में गैसों के घनत्व निम्न होते है |
(iii) द्रव्यनांक और क्वथनांक - गैसों के द्रव्यनांक और क्वथनांक ठोस और द्रव की तुलना में निम्न होते है|
(iv) संपीडयता - गैसों की संपीडित बहुत अधिक होता है|
(v) उष्मा और ठण्ड का प्रभाव - गर्म या ठंडा करने पर गैस को क्रमशः प्रसारित या संकुचित किया जा सकता है |
(vi) गैसों का प्रसरण या मिश्रण - गैस के कण तीव्र वेग से गमन करते है और गैसीय कणों के बीच अन्त्रान्विक स्थान बहुत अधिक होता है| इसी विशेषता के कारण एक गैस के कण किसी दूसरी गैस में आसानी से प्रविष्ट हो जाते है| अर्थात गैसे एक-दुसरे से सम्मिश्र हो जाती है| यह प्रक्रिया गैसों के घनत्व पर निर्भर नहीं करती है| इस प्रक्रिया को गैसों का प्रसरण कहते है|
(vii) गैसों का संघनन - पदार्थ के गैसीय रूप का द्रव रूप में परिवर्तन गैस का संघनन कहलाता है |
(viii) गैस का दाब - गैसों के कणों द्वारा बर्तन के दीवारों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर होती है |
3. क्या वायु को संपीडित किया जा सकता है? एक प्रयोग के साथ वर्णन करें |
उत्तर :- हाँ, वायु (गैस) को संपीडित किया जा सकता है| वायु की संपिदयता बहुत अधिक होती है |
इसे निम्न प्रयोग द्वारा दिखया जा सकता है-
10 mL का एक सिरिंज लें| सिरिंज के मुँह को रबड़ के काग में घुसाकर बंद कर दें, जैसा की चित्र में दिखाया गया है|
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वायु संपीडित होता है |
अब सिरिंज के पिस्टन को बाहर निकाल ले ताकि सम्पूर्ण सिरिंज के अन्दर वायु प्रवेश कर जाए| अब पिस्टन को पुन सिरिंज में घुसा दे ध्यान रहे की पिस्टन में कोई रिसाव न रहे, बल्कि वह वायुरुद्ध हो| इसके लिए आवश्यक हो तो पिस्टन के चारों तरफ थोड़ा वैसलीन लगा दें| ऐसा करने से सिरिंज के किनारों से होकर वायु का आवागमन पूर्णत बंद हो जाएगा| अब पिस्टन को अंगूठे से दबाकर धीरे-धीरे अन्दर ले जाए| अब देखेंगे की पिस्टन सिरिंज के अन्दर सरकता जा रहा है, अर्थात सिरिंज के अन्दर वायु का आयतन कम हो रहा है| इसका अर्थ हुआ की वायु (गैस) के संपीडित होने के कारण उसपर दाब बढाने पर उसका आयतन कम होने लगता है, इससे पता चलता है की वायु संपीडित होती है |
4. वाष्पन और क्वथन की व्याख्या करें| इनमे मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर :- वाष्पन -वह प्रक्रिया जब कोई डार्व अपने क्वथनांक से कम ताप पर वाष्प में परिवर्तित हो जाए वाष्पन कहलाता है|
क्वथन - जिस ताप पर द्रव उबलना प्रारंभ करता है उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते है और यह प्रक्रिया क्वथन या उबलना कहलाती है|
5. वाष्पन को प्रभावित करनेवाले कारणों का उल्लेख करें|
उत्तर :- (i) ताप - ताप वृद्धि से वाष्पन की दर अधिक हो जाती है|
(ii) सतह का क्षेत्रफल - सतह के क्षेत्रफल में वृद्धि से वाष्पन की दर अधिक होती हो जाती है|
(iii) द्रव की प्रकृति - कुछ द्रव शीघ्र वाष्पित होते है जबकि कुछ धीरे-धीरे| वे द्रव जो शीघ्र वाष्पित हो जाते है उन्हें वाष्पशील द्रव कहते है| उदाहरण-पेट्रोल, ईथर बहुत तीव्रगति से वाष्पीकृत होते है |
(iv) वायुमंडल में उपस्थित आद्रता- वायुमंडल में उपस्थित आद्रता या नमी कम होने पर वाष्पीकरण की दर अधिक और अधिक होने पर कम होती है|
(v) वायु की गति - जब वायु की गति बढ़ जाती है तो वाष्पन की दर बढ़ जाती है|
6. एक कार्यकलाप का वर्णन करके बताये की द्रव के वाष्पन से ठंडक उत्पन्न होती है|
उत्तर :- वाष्पन की क्रिया द्रव के सतह पर होती है| सतह पर वाले द्रव के कोण द्रव के भीतरी भाग से उष्मा ऊर्जा ग्रहण करके अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेते है जिससे ये गैस के रूप में वायु में चले जाते है, इससे द्रव का ताप कम हो जाता है और वह ठंडा हो जाता है |
प्रयोग- एक मिट्टी की सुराही में जल भर ले तथा इसका ताप अंकित कर लें| अब सुराही का मुँह ढक्कन से बंद करके छोड़ दें| दो या तिन घंटे के बाद के बाद सुराही के जल का ताप अंकित करें| आप पायेंगे की जल का ताप पहले की अपेक्षा कम हो गया है, अर्थात सुराही का जल ठंडा हो गया है|
व्याख्या- मिट्टी की सुराही में अनेक छोटे-छोटे छिद्र होते है, जिससे होकर जल के कण सुराही की बाहरी सतह पर चले जाते है, ये कण जलवाष्प के रूप में वायु चले जाते है| इन कणों के वाष्पन के लिए आवश्यक उष्मा सुराही के जल से प्राप्त होती है जिससे सुराही का जल ठंडा हो जाता है, कहा जा सकता है की द्रव के वाष्पन से ठंडक उत्पन्न होती है|
7. किसी कार्याकलाप का वर्णन करके बताएँ की काली वस्तु सफेद वस्तु की तुलना में उष्मा का अवशोषण अधिक करती है |
उत्तर :- विभिन्न पदार्थ का उष्मा के प्रति आचरण अलग-अलग होता है| गर्म स्थान में रख दी जाने पर ये सामान रूप से उष्मा का अवशोषण नहीं करते है, ऐसा पाया गया है की काली या गाढे रंग वाली वस्तुएँ सफेद या हलके रंग वाली वस्तुएँ की तुलना में उष्मा का अवशोषण अधिक मात्रा में करती है, निम्नलिखित प्रयोग द्वारा इसे आसानी से समझाया जा सकता है |
प्रयोग- A और B थर्मामीटर लेते है| A के बल्ब को सफेद कपडे से और B बल्ब को काले रंग के कपडे से ढँक देते है, जैसा की चित्र में दिखाया गया है |
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उष्मा का अवशोषण |
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |