गणतंत्र दिवस पर भाषण
सागर जिसके पाँव पखारे
हिमालय जिसका सरताज है
गूंज रहा दुनिया में डंका भारत का
खुशियों का दिन आअज है |
साथियों
जैसा की हम सभी जानते है की, अनेक वीरों और विरांगियों के कुर्बानी और अथक संघर्षों के बाद हमें आजादी मिली | और वो शुभ दिन 15 अगस्त 1947 को थी जिस दिन पूरब से उदित हुआ | और भारत के लिए एक नया सुबह लेकर आया | लेकिन अभी हमारी शान सुनहरी नहीं थी |
कईयों चुनौतियां थी
और उनसे निपटना था |
आईये speech शुरू करते है वो भी संवोधन के साथ परमआदरणीय मुख्य अतिथिगण, क्षिक्षकगण, अभिभावकगण और मेरे प्यारे साथियों |
गणतंत्र दिवस के इस स्वर्णिम अवसर पर मई आप सर्वो का स्वागत करता हूँ और इस घड़ी में मैं आप लोगों के समक्ष देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत शब्द रखने जा रहा हूँ |
सागर जिसके पाँव पखारे
हिमालय जिसका सरताज है
गूंज रहा दुनिया में डंका भारत का
खुशियों का दिन आज है |
जैसा की हम सभी जानते है की, अनेक वीरों और विरांगियों के कुर्बानी और अथक संघर्षों के बाद हमें आजादी मिली | और वो शुभ दिन 15 अगस्त 1947 को थी | जिस दिन पूर्व से सूर्य उदित ह़ा और भारत के लिए एक नया सुबह लेकर आया | लेकिन अभी हमारी शान सुनहरी नहीं थी | कईयां चुनौतिया थी और उनसे निपटना था |
भारत स्वतन्त्र तो हो गया, परन्तु स्वाचालित होने के लिए हमारे पास ना कोई नियम कानून था और ना ही कोई व्यवस्था | फिर बाबासाहेब आंबेडकर और विभिन्न महापुरुषों द्वारा दिन रात एक कर के भारत के लिए लिखित संविधान तैयार किया गया | संविधान लेखन की प्रक्रिया में पुरे 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा |
हमारे इस संविधान में दुनिया के विभिन्न आदर्शों को संयोया गया सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण उनकी उन्नति तथा भारतवर्ष के संपन्नता की नींब रखी गयी | और अंततः 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ | इसी दिन हम स्वाचालित हुए गणतंत्र हुए और हमारी शामें सुनहरी हुई | इस प्रकार हमारे पूर्वजों के संघर्ष उनके मेहनत व् हमारे संविधान की सुसज्जिता और प्रत्यक्षता ने हमें व् हमारे भारत को विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र व लोकतंत्र होने का गौरव प्रदान किया |
साथियों यह स्वार्णिम दिवस हर वर्ष आकर हम देशभक्तों को देश प्रेम की भावना से सराबोर कराती है व हमें अपने कर्तव्यों को याद दिलाती है और हमें प्रेरणा देती है :
की हम यूँ ही, विविधता में एकता और अखण्डता बनाए रखें जिसके लिए दुनिया भारत को सलाम करती है |
तो आईये अब हम जाती धर्म और समुदाय से ऊपर उठकर भारतीयता का पहचान दें और हम हमारे भारत को सफलता की बुलंदियों की उड़ान दें |
तो मेरे दोस्तों जाते-जाते मई बस इतना कहूंगा की :-
शोले भी सर्द होंगे
हैसलें में फिर से उड़ान होगा
दुनिया सलामी देगी कदमों में आसमान होगा
वो दिन दूर नहीं मेरे देशवाशियों जब फिर से विश्वगुरु हमारा हिन्दुस्तान होगा |
धन्यवाद जय हिन्द, जय भारत, जय किसान
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