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फसल उत्पादन एवं प्रबंधन सुगम विज्ञान कक्षा 8वीं : Sugam Science Class 8th Crop Production and Management : Phasal Utpandan evn prabandhan : BharatiBhawan.org : Bittu Sir

फसल उत्पादन एवं प्रबंधन 

सुगम विज्ञान 

कक्षा ~ 8वीं 

लघु उत्तरिय प्रश्न  

1. हमें भोजन की आवश्यकता क्यों होती है ? 

उत्तर :- क्योंकि भोजन सभी सजीवो की एक आधारभूत आवश्यकता है | सभी जीवों की वृद्धि तथा विकास के लिए भोजन की आवश्यकता होती है | भोजन से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है | ऊर्जा की आवश्यकता जीवों की जैविक क्रियाओं, जैसे पाचन, श्वष्ण, उत्सर्जन आदि के संचालन में पड़ती है | भोजन से हमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन तथा जल की प्राप्ति होती है | 

2. अलग-अलग फसल को अलग-अलग मौसम में क्यों लगाया जाता है ? 

उत्तर :- अलग-अलग फसलों की खेती के लिए अलग-अलग जलवायु-संबंधी परिस्थियों की आवश्यकताहोती है | पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए एक निश्चित तापमान, आद्रता, वर्षा जैसी जलवायु-संबंधी परिस्थितियों की जरूरत होती है | ये परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न मौसम में प्राप्त होती है | 

3. खरीफ फसल तथा रबी फसल में अंतर बताएँ | 

उत्तर :- खरीफ फसलों को वर्षाऋतू में बोया जाता है | इन्हें जून-जुलाई में लगाया जाता है तथा फसल की कटाई अक्तूबर से दिसंबर तक होती है | जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास आदि | जबकि ,

             रबी फसलों को शीतऋतू में लगाया जाता है | इनकी बुआई अक्तूबर माह में तथा फसल की कटाई मार्च में होती है | जैसे गेहूं, चना, मटर, सरसों, आलू आदि |  

4. बीजारोपण के पूर्व खेतों की जुताई क्यों आवश्यक है ? 

उत्तर :- बीजारोपण से पूर्व खेतों की जुताई इसलिए आवश्यक है की खेत की जुताई से मिट्टी ढीली तथा भुरभुरी हो जाती है | इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता तथा वायु संरचन में वृद्धि होती है तथा खरपतवार नष्ट हो जाते है | जुताई से मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि हो जाती है | 

5. उर्वरक तथा खाद में अंतर बताएँ | 

उत्तर :- 

 

उर्वरक

 

खाद

1.

उर्वरक अकार्बनिक रसायनिक पदार्थ होते है जिनका निर्माण फैक्ट्रियों में होता है |

1.

खाद कार्बनिक पदार्थ होते है जिनका निर्माण प्रकृति में पादप तथा जंतुओं के अपशिष्टों के अपघटन से होता है |

2.

उर्वरक का प्रयोग खेतों में प्राय फसल की बुआई के बाद किया जाता है |

2.

खाद का प्रयोग खेतों में फसल की बुआई के पूर्व जुताई के दौरान किया जाता है |

3.

उर्वरक में पादप पोषक तत्व, जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटेशियम प्रचुर मात्रा में होते है |

3.

खाद में पादप पोषक तत्व उर्वरक से तुलनात्मक रूप में कम होते है |

4.

उर्वरक से मिट्टी को ह्यूमस की प्राप्ति नहीं होती है |

4.

खाद से मिट्टी को काफी मात्रा में ह्यूमस की प्राप्ति होती है |

5.

उर्वरक का भंडारण, परिवहन तथा इसका उपयोग काफी आसान होता है |

5.

खाद का भंडारण, परिवहन तथा इसका उपयोग तुलनात्मक रूप से कठिन होता है |

6. फसल-चक्रण की परिभाषा दें | 

उत्तर :- खेतों की उर्वराशक्ति को बनाए रखने के लिए कोई दो फसलों के बीच एक फलीदार फसल लगाने की सलाह किसानों को दी जाती है | इस प्रकार के फसल लगाने की पद्धति को फसल-चक्रण कहा जाता है | 

7. सहजीवन क्या है ? 

उत्तर :- बहुत जल्द आयेगा 

8. फसलों के लिए सिंचाई क्यों आवश्यक है ?

उत्तर :- जल समस्त जीवों के जीवन का मुख्य आशार है  |फसलों की उचित वृद्धि तथा विकास के लिए जल की आवश्यकता होती है | फसलो की समस्त जैविक क्रियाओं, जैसे बीजों का अंकुरण, प्रकाशसंश्लेषण, अवशोषण, रसारोहन, वास्पोत्सर्जन आदि के लिए जल की आवश्यकता पड़ती है | फसलों को पानी उपलब्ध कराने की पद्धति को सिंचाई कहते है |  

9. सिंचाई के पारंपरिक तरीकों को बताएँ | 

उत्तर :- हमारे देश के अधिकांश किसान आज भी सिंचाई के लिए मुख्यतः वर्षाजल पर ही आश्रित है | इसके आलावा हमारे देश में सिंचाई के प्रमुख स्रोत नदी, तालाब, नाहर, कुआँ, नलकूप है | 

10. खरपतवार नियंत्रण क्यों आवश्यक है ? 

उत्तर :- खरपतवार नियंत्रण इसलिए आवश्यक है की जो खेतो में अपने आप उग जाते है जिससे की फसलो को हानि पहुचाती है इसलिए खरपतवार की नियंत्रण करना बहुत जरुरी है |

11. अनाजों का भंडारण क्यों आवश्यक है ?

उत्तर :- कटाई के बाद अनाजों को भविष्य में उपभोग के लिए भंडारण की आवश्यकता होती है | 

12. पशुओं से प्राप्त होनेवाली भोज्य पदार्थ के नाम लिखें | 

उत्तर :- पशुओं से प्राप्त होनेवाली भोज्य पदार्थ जैसे दूध, मीट, अंडा, शहद आदि है |  

दीर्घ उतरिय प्रश्न 

1. फसल किसे कहते है ? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें | 

उत्तर :- भोजन की प्राप्ति के लिए जब एक ही प्रकार के पौधे को किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है तो उस पौधों को फसल कहा जाता है | इसके विभिन्न प्रकार है जैसे 

1. खरीफ फसल :- खरीफ फसलों को वर्षाऋतू में बोया जाता है | इन्हें जून-जुलाई में लगाया जाता है तथा फसल की कटाई अक्तूबर से दिसंबर तक होती है | जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास आदि | 

2. रबी फसल :- रबी फसलों को शीतऋतू में लगाया जाता है | इनकी बुआई अक्तूबर माह में तथा फसल की कटाई मार्च में होती है | जैसे गेहूं, चना, मटर, सरसों, आलू आदि |

3. ग्रीष्म फसल :- इन फसलों को ग्रीष्मऋतू में लगाया जाता है | इनकी बुआई मार्च से जून माह के बीच गर्मी के मौसम में की जाती है | जिन स्थानों में सिचाई की अच्छी व्यवस्था होती है, वहीँ धान, मक्का, आलू भी ग्रीष्म फसल के रूप में लगाया जाता है |  

2. खेतों में मिट्टी की तैयारी किस प्रकार की जाती है ? 

उत्तर :- मिट्टी एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है | इसमे सभी पौधे उत्पन्न तथा विक्सित होते है | मिट्टी से पौधे को जल तथा पोषक तत्वों प्राप्त होते है | यह पौधों की जड़ों को श्वशन के लिए आवश्यक आक्सीजन गैस उपलब्ध कराता है | आक्सीजन गैस मिट्टी के कणों के बीच पाए जानेवाले रंध्रावकाशों में पाया जाता है | मिट में पाए जाने वाले जीवाणु, कवक, प्रोटोजोआ-जैसे सूक्ष्मजीव पौधों तथा जंतुओं के मृत अवशेषों का अपघटन करते है तथा ह्यूमस का निर्माण करते है | खेतो में मिट्टी की तयारी निम्न प्रकार से कर सकते है :- 

(i) हल :- खेतो की जुताई करनेवाला यहाँ सबसे प्रमुख कृषि औजार है | हल की मदद से खेतों की जुताई, खाद को मिट्टी में मिलाने तथा खरपतवार को नष्ट करने का कार्य किया जाता है | हल में लोहे की मजबूत तिकोनी पत्ती होती है जिसे फाल कहा जाता है | 

(ii) कुदाली :- यहाँ एक सरल औजार है जिसका उपयोग खरपतवार निकालने तथा मिट्टी को ढीला करने के लिए किया जाता है | इसमे लकड़ी या लोहे की छड होती है जिसके एक सिरे पर लोहे की मजबूत चौड़ी तथा मुड़ी हुई प्लेट होती है | यह प्लेट एक ब्लेड की तरह कार्य करती है | 

(iii) कल्टीवेटर :- इस यंत्र के उपयोग से खेतों की जुताई में श्रम तथा समय दोनों की बचत होती है | इसे ट्रैक्टर में लगाकर खेतों की जुताई काफी अच्छे ढंग से की जाती है |  

3. खेतों की उर्वरक क्षमता में वृद्धि करने संबंधी विभिन्न तरीकों का वर्णन करें | 

उत्तर :-  उर्वरक रसायनिक पदार्थ होते है जो विशेष पोषक तत्वों, जैसे पोटेशियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन की आपूर्ति खेतों को करते है | यूरिया, अमोनिया सल्फेट, सुपर सल्फेट, पोटास, NPK उर्वरक आदि उर्वरक के उदाहरण है | इनका निर्माण फैक्ट्रियों में होता है | 

4. सिंचाई किसे कहते है ? सिंचाई के विभिन्न तरीकों का वर्णन करें |

उत्तर :- जल समस्त जीवो का जीवन का मुख्य आधार है | फसलों की उचित वृद्धि तथा विकास के लिए जल की आवश्यकता होती है | फसलों की समस्त जैविक क्रियाओं, जैसे बीजों का अंकुरण, प्रकाशसंश्लेषण, अवशोषण, रसारोहन, वाष्पोत्सर्जन आदि के लिए जल की आवश्यकता पड़ती है | फसलों को पानी उपलब्ध कराने की पद्धती को सिंचाई कहते है | हमारे देश के अधिकांश किसान आज भी सिंचाई के लिए मुख्यत वर्षाजल पर ही आश्रित है | इसके अलावा हमारे देश में सिंचाई के प्रमुख स्रोत नदी, तालाब, नहर, कुआँ, नलकूप है | इन जलस्रोतों से जल को विभिन्न तरीकों द्वारा खेतों तक पहुंचाया जाता है |  

5. फसल-कटाई के विभिन्न चरणों का वर्णन करें | 

उत्तर :- फसल के तैयार हो जाने पर उसके काटने की प्रक्रिया को कटाई कहा जाता है | अनाज की फसल को तैयार होने में करिब तीन-चार महीने लगते है | धान, गेहूँ आदि फसलों की कटाई हँसिया द्वारा की जाती है | फल तथा सब्जियों को हाथो की मदद से तोड़ा जाता है | आजकल फसल की कटाई के लिए डीजल या पेट्रोल चालित हार्वेस्टर मशीन का उपयोग किया जाता है | अनाज के दानों को उनके पौधों से अलग करने की प्रक्रिया को दौनी या थ्रेशिंग कहा जाता है | दौनी से प्राप्त अनाज में छिलका भी शामिल रहता है | इन छिलकों को दानों से अलग करने की विधि को ओसाई कहते है | बड़े कृषि फार्मो में कटाई के साथ-साथ दौनी एवं ओसाई कार्य एकसाथ करने के लिए काम्बाइन मशीन का प्रयोग किया जाता है | कटाई के बाद किसान थोड़ा आराम करता है तथा ख़ुशी मनाता है | भारत में कटाई के मौसम को कटाई पर्व के रूप में मनाया जाता है |  

6. अनाजों के भंडारण के विभिन्न तरीकों का वर्णन करे | 

उत्तर :- कटाई के उपरान्त अनाजों या एनी भोजन उत्पादों का भविष्य में उपभोग के लिए संचित करने की विधि को भंडारण कहा जाता है | ताजे कटाईवाले फसल के अनाजो में 16-18% तक नमी रहती है | अनाज के भंडारण के लिए नमी की मात्रा 14% से कम होनी चाहिए |भंडारण के पहले अनाजो को धुप में सुखाया जाता है जिससे नमी में कमी आ जाए | घरों में अनाजों का भंडारण प्राय शुष्क डिब्बो या कनस्तरों में भरकर किया जाता है | भंडारण वाले पात्र का ढक्कन ठीक से बंद किया रहता है जिससे यह यथासंभव वायुरोधित बना रहे | घरो में लोग गेहूँ तथा चावल के भंडारण के समय इसमे नीम की सुखी पत्तियों को मिला देते है | नीम की पत्तियों में प्राकृतिक रूप से पीड़कनाशी गुण पाए जाते है | 

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