Chipko Andolan Notes – पर्यावरण संरक्षण और आंदोलन का पूरा विवरण

Bharati Bhawan
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Chipko Andolan Notes – पर्यावरण संरक्षण और आंदोलन का पूरा विवरण
1️⃣ चिपको आंदोलन का परिचय

चिपको आंदोलन भारत में पर्यावरण और वन संरक्षण के लिए हुआ एक सामाजिक आंदोलन था। इसे वनों को बचाने के लिए लोगों द्वारा पेड़ों से चिपक कर विरोध करना कहा जाता है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अवैध और अत्यधिक वनों की कटाई को रोकना था।

  • स्थान: उत्तराखंड (पूर्व में उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र, विशेषकर गढ़वाल और कुमाऊँ)

  • समय: 1973 के आसपास प्रमुख आंदोलन

  • मुख्य पहलकर्ता:

    • संतोषी देवी, दुर्गा देवी (महिला सक्रियताएँ)

    • चंद्रा सिंह और श्री कृष्ण बहुगुणा (सामाजिक कार्यकर्ता)

  • आंदोलन का नाम: “चिपको” का अर्थ है “चिपकना” – यानी पेड़ों से चिपककर उनकी कटाई रोकना।


Chipko Andolan: इतिहास, कारण और सफलता के बारे में विस्तार से

2️⃣ चिपको आंदोलन के कारण

चिपको आंदोलन के पीछे कई प्रमुख कारण थे:

  1. वनों की अंधाधुंध कटाई:
    सरकारी और निजी लकड़ी माफियाओं द्वारा भारी मात्रा में पेड़ काटे जा रहे थे।

  2. पर्यावरणीय संकट:

    • मिट्टी का कटाव

    • जलवायु परिवर्तन

    • बाढ़ और भूस्खलन

  3. स्थानीय लोगों की आजीविका पर असर:
    पहाड़ी इलाके के लोग लकड़ी, फल, जड़ी-बूटियों पर निर्भर थे। पेड़ों की कटाई से उनका जीवन संकट में आ गया।

  4. महिलाओं की भूमिका:
    महिलाओं को रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए जंगल पर निर्भर रहना पड़ता था। इसलिए उन्होंने मुख्य नेतृत्व किया।


चिपको आंदोलन 1973 – पर्यावरण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की कहानी

3️⃣ आंदोलन की विशेषताएँ

  1. सशक्त महिला नेतृत्व:

    • महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई।

    • 1974 में रितेश्वरी और दुर्गा देवी ने जंगल से लकड़ी काटने वालों को रोकने के लिए पेड़ों से चिपक कर विरोध किया।

  2. अहिंसात्मक आंदोलन:

    • आंदोलन पूरी तरह अहिंसात्मक था।

    • लोग बस पेड़ों से चिपककर विरोध करते थे, हिंसा नहीं होती थी।

  3. स्थानीय समुदाय की भागीदारी:

    • यह आंदोलन गांव-गांव तक फैल गया।

    • स्थानीय लोग, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी शामिल हुए।


भारत में चिपको आंदोलन का महत्व और प्रमुख घटनाएँ

4️⃣ आंदोलन की सफलता

  1. वनों की कटाई पर रोक:

    • आंदोलन के दबाव में सरकार ने कई क्षेत्रों में लकड़ी की कटाई रोक दी।

  2. कानूनी पहल:

    • 1980 में उत्तर प्रदेश सरकार ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए नई नीति बनाई।

  3. पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता:

    • चिपको आंदोलन ने पूरे भारत और विश्व में पर्यावरण चेतना बढ़ाई।

    • यह आंदोलन वनों की सुरक्षा और स्थायी विकास का प्रतीक बन गया।


चिपको आंदोलन – भारत का प्रसिद्ध पर्यावरण संरक्षण आंदोलन | पूरी जानकारी

5️⃣ आंदोलन का महत्व

  • यह आंदोलन पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का प्रतीक है।

  • इसे महिला सशक्तिकरण आंदोलन के रूप में भी देखा जाता है।

  • यह भविष्य के ग्रीन आंदोलनों और जलवायु जागरूकता अभियानों की नींव बना।


6️⃣ निष्कर्ष

चिपको आंदोलन सिर्फ एक विरोध आंदोलन नहीं था, बल्कि यह स्थानीय समुदाय, महिलाओं और पर्यावरण के बीच संबंध को उजागर करने वाला सामाजिक आंदोलन था। इसने साबित किया कि सामूहिक प्रयास से प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा संभव है।

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