1. विभज्योतक से आप क्या समझते हैं ? ये कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर-ऐसे ऊतक जिनमें उपस्थित कोशिकाएँ निरंतर विभक्त होती रहती हैं, विभज्योतक कहलाते हैं। ये ऊतक पौधों की लंबाई और मोटाई बढ़ाने में सहायता करते हैं। विभज्योतक केवल वृद्धि करने वाले भागों में मिलते हैं। तने का अग्रस्थ भाग तथा जड़ का अग्रस्थ भाग, ऐसे स्थान हैं जहाँ विभज्योतक पाए जाते हैं।
2. विभज्योतकों के कार्य बताओ।
उत्तर- विभज्योतकों का मुख्य कार्य कौशिकाओं की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार विभाजित होकर नई कोशिकाएँ बनाना है। इस प्रकार ये पौधों की वृद्धि में सहायता करते हैं।
3. स्थायी ऊतक क्या होते हैं ?
उत्तर-विभज्योतकों द्वारा निर्मित कोशिकाओं के समूह को जो आगे विभाजित नहीं हो सकते, स्थायी ऊतक कहते हैं। इनमें रिक्तिका युक्त कोशिकाद्रव्य होता है। स्थायी ऊतक जीवित हो सकते हैं, जैसे पैरेंकाइमा या मृत हो सकते हैं जैसे स्क्लेरेंकाइमा ।
4. पौधों में संवहन ऊतकों के कार्य बताओ।
उत्तर- संवहन कृतक- जाइलम तथा फ्लोएम संवहन ऊतक हैं।
(i) ये जड़ों से पानी तथा खनिजों को पौधे के विभिन्न भागों में स्थानांतरित करते हैं (जाइलम का कार्य ) ।
(ii) ये पत्तियों से तैयार भोजन को पौधे के विभिन्न भागों में स्थानांतरित करते हैं (फ्लोएम का कार्य ) ।
5. संवहन बंडल किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-संवहन बंडल जटिल पादप ऊतकों जाइलम व फ्लोएम से बने होते हैं। इनका मुख्य कार्य पानी, लवण व खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करना है।
6. पैरेंकाइमा तथा कॉलेंकाइमा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मृदू उत्तक तथा स्थूल उत्तक के बीच अन्तर-
पैरेंकाइमा
1. यह पौधों में पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होता है।
2. इसमें अन्तर कोशिकीय स्थान होता भी है इसमें अन्तर-कोशिकीय स्थान नहीं होता है। और नहीं भी।
कॉलेंकाइमा
1. यह बाह्य त्वचा से नीचे उपस्थित होता है।
2. इसमें कोशिका की प्रकृति प्रायः मृत होती है।
7. स्कलेरेंकाइमा तथा कॉलेंकाइमा में अंतर स्पष्ट करिए।
उत्तर- दृढ़ उत्तक तथा स्थूल उत्तक के बीच अन्तर-
स्कलेरेंकाइमा
1. इसमें कोशिका का आकार लम्बा, संकीर्ण तथा दोनों सिरों से नुकीला होता है।
2. इसमें कोशिका की पकृति प्राय: मृत होती है।
कॉलेंकाइमा
1. इसमें कोशिका का आकार, पतली दीवार, कोनों से मोटी, गोलाकार, अंडाकार और बहुभुजी भी होते हैं।
2. इसमें कोशिका की प्रकृति सजीव होती है।
8. फ्लोएम के विभिन्न अवयवों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- फ्लोएम में चार प्रकार के अवयव होते हैं-
(i) छलनी नली
(ii) सहचर कोशिकाएँ
(iii) वल्कल मृदु उत्तक
(iv) वल्कल तन्तु
9. जन्तुओं में पाये जानेवाले विभिन्न ऊतकों के नाम लिखिये।
उत्तर- जन्तुओं में चार प्रकार के ऊतक प पाये जाते हैं, जो निम्न हैं—
(i) एपीथिलियम या उपकला ऊतक
(ii) संयोजी ऊतक
(iii) पेशी ऊतक
(iv) तंत्रिका ऊतक
10. विभज्योतक के विशिष्ट लक्षण लिखिए।
उत्तर-(i) विभज्योतक की कोशिकाएँ पतली कोशिका भित्ति वाली होती हैं।
(ii) विभज्योतक की कोशिकाओं का आकार गोल, अंडाकार या बहुपृष्ठीय होता है।
(iii) कोशिकाओं के बीच अंतर्कोशिकीय स्थान नहीं होता क्योंकि ये आपस में सघनता से जुड़ी रहती हैं।
(iv) कोशिकाओं में सघन अथवा पर्याप्त कोशिकाद्रव और एक बड़ा केंद्रक होता है।
(v) कोशिकाओं में अपेक्षाकृत कम रिक्तिकाएँ होती हैं या फिर कोई रिक्तिका नहीं होती।
11. पौधों में एपिडर्मिस की क्या भूमिका है ?
उत्तर -(i) यह पौधों के शरीर का बाह्य आवरण बनाता है।
(ii) यह पौधों के शरीर के आंतरिक ऊतकों की सुरक्षा करता है।
(iii) यह सुरक्षात्मक ऊतक है। इसमें अन्तरकोशिकीय स्थान नहीं होते हैं।
12. छाल ( कार्क) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है?
उत्तर- यह मोटी भित्ति वाली मृत कोशिकाओं का बना होता है। जिनमें सुबेरिन जम जाती है। कॉर्क को फेलम भी कहते हैं। यह जलसह होती है। कॉर्क सुरक्षा प्रदान करता है।
13. हृदय पेशी के तीन लक्षणों को बतायें।
उत्तर -(i) यह केवल हृदय में पायी जाती है।
(ii) ये अनैच्छिक प्रकार की होती है।
(iii) इनमें सार्कोलिमा तथा पट्टियाँ नहीं होती हैं।
14. (a) रंध्र किसे कहते हैं ?
(b) इसके क्या कार्य हैं ?
उत्तर-पौधों की पत्ती बाह्य त्वचा में अनेक छिद्र (Pores) होते हैं। इन्हें रंध्र (Stomata) कहते हैं। कार्य-रंध्र के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)—वाष्पोत्सर्जन के दौरान जल वाष्प भी रंध्रों द्वारा ही बाहर निकलती है।
(ii) गैसों का आदान प्रदान (Exchange of gases) – प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन के दौरान वातावरण से गैसों का विनिमय रंध्रों द्वारा ही होता है।
15. संवहन उत्तक और संवहन बण्डल से क्या तापर्य है ?
उत्तर- लैटिन में संवहन का अर्थ है—नली और वाहिका, जो द्रव्य का परिवहन करती हैं। दारू और वल्कल को एक साथ संवहन उत्तक कहते हैं।
दारू और वल्कल एक साथ समूह में पाए जाते हैं, इसे संवहन बण्डल कहते हैं।
16. पौधों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के ऊतक के नाम बताइए।
17. रक्षी ऊतक क्या होते हैं ?
उत्तर - रक्षी ऊतक पौधों के विभिन्न भागों की बाह्य परत पर स्थित होते हैं। यह कोशिका मोटी होती है और मोम जैसे पदार्थ क्यूटिन से ढँकी रहती है। रक्षी ऊतक पौधों के आंतरिक ऊतकों की रक्षा करते हैं।
रक्षी ऊतक की कोशिकाएँ रक्षा का कार्य करने के लिए विभिन्न रूपों में परिवर्तन हो जाती है। उदाहरण-प्याज की झिल्ली, कॉर्क। इन कोशिकाओं की कोशिका भित्ति सुबेरिन नामक कार्बनिक पदार्थ के एकत्र होने के कारण मोटी तथा जलरोधी हो जाती है।
18.संयोजी ऊत्तक क्या है? विभिन्न प्रकार के संयोगी ऊत्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर-ऐसे ऊत्तक जो शरीर के विभिन्न अंगों को जोड़ता है, सहारा देते है तथा परस्पर बंधे रहते है, संयोगी ऊत्तक कहलाते है। संयोगी ऊत्तक की कोशिकाएँ एक विशेष प्रकार के माध्यम में पायी जाती है जिन्हें मैट्रिक्स कहते है। कोशिकाओं के मध्य स्थानों में भी मैट्रिक्स पाया जाता है। मैट्रिक्स ठोस या द्रव किसी भी अवस्था में हो सकता है। हमारे शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के संयोजी ऊतक हैं— अस्थि, उपास्थि कंडरा, स्नायु तथा रुधिर। अस्थि एवं उपास्थि में मैट्रिक्स ठोस होता है जबकि रुधिर में मैट्रिक्स द्रव होता है।
19. रेखित तथा अरेखित पेशी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- रेखित एवं अरेखित पेशियों में अंतर"
रेखित पेशी
(i) इसकी कोशिकाएँ बेलनाकार तथा अशाखित होती हैं।
(ii) हल्की व गहरी धारियाँ होती हैं।
(iii) पेशी रेशों की परिधि के साथ-साथ अनेक केंद्रक होते हैं।
आरेखि पेशी
(i) कोशिकाएँ तुर्क रूप व नुकीले सिरों वाली होती है।
(ii) धारियाँ नहीं होती है।
(iii) कोशिकाओं के मध्य में केवल एक केन्द्रक होता है।
20. स्थायी ऊतक की पाँच विशेषताएँ लिखो।
उत्तर- स्थायी ऊत्तक की पाँच विशेषताएँ:
(i) कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता नहीं होती।
(ii) ये विभाज्योतकी ऊतकों के विभाजन के पश्चात् बनती हैं।
(iii) कोशिकाओं की आकृति, माप तथा संरचना निश्चित होती है।
(iv) कोशिका भित्ति न तो बहुत महीन होती हैं और न ही बहुत मोटी होती है।
(v) इसकी कोशिकाएँ बड़ी होती हैं एवं कोशिका द्रव्य पाया जाता है।
21. रुधिर क्या है ? इसका कार्य लिखो।
उत्तर- यह एक संवहन अथवा तरल संयोजी ऊतक है।
कार्य – (i) यह ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा पोषक पदार्थों को शरीर के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करता है।
(ii) यह शरीर का ताप निश्चित रखने में सहायता करता है।
(iii) रक्त का थक्का जमाने वाला तथा घाव का उपचार करने वाला पदार्थ भी रुधिर द्वारा स्थानांतरित किया जाता है।
22. जाइलम एवं फ्लोएम में तीन अंतर बताइये।
उत्तर- जाइलम एवं फ्लोएम में अंतर-
जाइलम
1. जटिल ऊतक।
2. मुख्यतः मृत तत्व होते हैं।
3. जाइलम जल तथा खनिजों को पौधे की
फ्लोएम
1. जटिल ऊतक।
2. जीवित ऊतक होते हैं।
3. फ्लोएम निर्मित भोजन को पत्तियों से संचयी अंगों तथा शरीर के वर्धन भागों तक पहुँचाता है।
23. एपिथीलियमी तथा संयोजी ऊतक में कोई तीन अन्तर लिखो।
उत्तर - एपिथीलियमी तथा संयोजी ऊतकों में अन्तर :
एपिथीलियमी ऊतक
1. ये एक विशेष उप- प्रकार में समान कोशिकाओं के बने होते हैं।
2. कोशिकाओं के बीच अन्तर-कोशिकीय अवकाश नहीं होते हैं।
3. ढकना, सुरक्षा, स्रावन तथा संवेदन इनके कार्य हैं।
संयोजी ऊतक
1. यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं का बना होता है।
2. कोशिकाओं के बीच अन्तरकोशिकीय स्थान उपस्थित होते हैं।
3. विभिन्न प्रकार के ऊतकों में अंतः प्रेषण (Intercommunication) होता है।
24. पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-वाष्पोत्सर्जन के कार्य :
(i) इसके कारण जड़ों, पानी व खनिज पत्तियों तथा अन्य भागों तक पहुँचते हैं।
(ii) फलों तथा फसलों को पकने में सहायता करता है।
(iii) जिससे पौधों के आस-पास ताप कम रहता है। आर्द्रता बनाए रखना जिससे पौधों के आस-पास ताप कम रहता है।
25. पेशीय ऊतक क्या हैं ? उनके क्या कार्य हैं ?
उत्तर- पेशीय ऊतक – यह रेशेदार ऊतकों के सिकुड़ने से बनता बहुत कम होती है। अंतर्कोशिकीय सतह इसकी कोशिकाएँ संयोजी ऊतकों द्वारा ढँकी रहती हैं। है।
कार्य- लंबी संरचना के कारण इन्हें पेशी तंतु भी कहते हैं। पेशी तंतुओं के अंदर उपस्थित संकुचनशील प्रोटीन के सिकुड़ने व फैलने के कारण शरीर में गति उत्पन्न होती है। आंतरिक अंगों जैसे हृदय व पाचन नली में गति भी पेशीय ऊतकों के कारण ही होती है। हमारे शरीर के अंगों में होने वाली गति पेशीय ऊतकों के कारण होती है।
26. फ्लोएम की पौधे के लिए उपयोगिता बताइए।
उत्तर- फ्लोएम की पौधे के लिए निम्न वर्णित उपयोगिताएँ —
(i) यह पौधों को यांत्रिक बल प्रदान करता है।
(ii) यह मुख्यत: खाद्य सामग्री संग्रहित करता है ।
(iii) यह धागे, रस्सी और अपरिष्कृत कपड़ा बनाने के काम में आता है।
(iv) फ्लोएम पत्तियों से भोजन को पौधे के विभिन्न भागों में ले जाता है।
27. अस्थि, उपास्थि कंडरा तथा स्नायु के कार्य लिखिए।
उत्तर- अस्थि- अस्थि के मैट्रिक्स में कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के फॉस्फेट तथा कार्बोनेट होते हैं। अस्थियाँ उपास्थियों की अपेक्षा कठोर होती हैं जो कंकाल का निर्माण करके उसे दृढ़ता प्रदान करती है।
उपास्थि— यह कोन्ड्रिन नामक प्रोटीन बना होता है। ये शरीर के कोमल अंगों, जैसे—नाक और कान की संरचना का कार्य करते हैं। यह लचीला तथा मुलायम होता है। इसका मैट्रिक्स अर्द्धठोस होता है। शार्क मछली का पूरा कंकाल उपास्थि का बना होता है।
कंडरा- यह लचीला उत्तक होता है। यह उत्तक अस्थि से जोड़ों को मजबूती प्रदान करता है। यह अस्थियों को उनकी सही स्थिति में रखता है।
स्नायु — स्नायु तन्तुमय संयोजी उत्तक होता है। इसके तंतु रेशे के समान होते हैं। यह बंडल के रूप में होता है। यह अस्थि को अस्थि से जोड़ने का कार्य करता है।
28. हृदय पेशी उत्तक का कोई विशिष्ट कार्य लिखिए।
उत्तर-हृदय पेशी उत्तक के मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—
(i) ये पेशियाँ बिना थके एक ही लय में फैलती तथा सिकुड़ती हैं।
(ii) ये केवल हृदय भित्ति में पाई जाती हैं।
(iii) हृदय पेशी में एक या दो केन्द्रक होते हैं, जो कि मध्य में स्थित होते हैं।
(iv) इनमें अनुप्रस्थ पट्टियाँ पाई जाती हैं।
(v) इनकी कोशिकाएँ जाल के समान होती हैं।
(vi) इन पेशियों के केन्द्रक बड़े तथा अंडाकार होते हैं।
सामान्यं परिस्थितियों में यह जीवनपर्यंत हृदय में लय व दूध संकुचन और प्रसार कराती है जिसके कारण शरीर में रुधिर का परिवहन होता है।
29. तंत्रिका कोशिका किस प्रकार वर्गीकृत होती है ?
उत्तर- प्रेक्षण की संख्या पर आधारित तंत्रिका कोशिका को निम्न तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है—
(i) एक ध्रुवीय – एक अक्षतन्तु होता है जो भ्रूण में पाया जाता है।
(ii) दो ध्रुवीय – एक अक्षतन्तु और एक द्रुमाश्म है जो दृष्टिपटल में पाया जाता है।
(iii) बहु ध्रुवीय – एक अक्षतन्तु और अनेक द्रुमाश्म होते हैं जो मस्तिष्क तथा मेरूरज्जू में पाए जाते हैं।
30. संयोजी उत्तक क्या होते हैं ? उनके कार्य लिखिए।
उत्तर- वह उत्तक जो एक अंग को दूसरे अंग से या एक उत्तक को दूसरे उत्तक से जोड़ता है, उसे संयोजी उत्तक कहते हैं। संयोजी उत्तक की कोशिकाएँ एक गाढ़े तरल पदार्थ में डूबी होती हैं, उसे मैट्रिक्स कहते हैं। मैट्रिक्स उपास्थि की तरह ठोस या फिर रक्त की तरह पतला भी हो सकता है।
संयोजी उत्तक के कार्य-
(i) एक अंग से दूसरे अंग को या एक उत्तक से दूसरे उत्तक को जोड़ता है।
(ii) यह जीवों के शरीर को निश्चित आकृति प्रदान करता है तथा कोमल अंगों की रक्षा करता है।
31. एपीथीलियम उत्तक क्या होता है ?
उत्तर- एपीथीलियम उत्तम जन्तु शरीर की बाह्य सतह का निर्माण करता है। एपीथीलियम उत्तक पूरे शरीर के चारों ओर व भीतरी सतहों के रक्षक आवरण बनाता है। इसकी कोशिकाएँ एक-दूसरे से बिल्कुल सटी होती हैं और उनके अन्दर अन्तःकोशिकीय पदार्थ की मात्रा कम या बिल्कुल नहीं होती। कोशिकाओं का भित्ति के रूप में पाए जाने के कारण इसे बहुत अच्छा रक्षक उत्तक माना जाता है। हमारी त्वचा, मुँह का बाह्य आवरण, फेफड़े इत्यादि सभी एपीथीलियम उत्तक के बने होते हैं।
32. संरक्षीय या त्वचीय उत्तक क्या होते हैं ?
उत्तर- संरक्षीय या त्वचीय उत्तक पौधे की सभी भागों की बाह्य परत में उपस्थित होते हैं;
जैसे—पत्तियाँ, फूल, तना और जड़। संरक्षीय उत्तक की परत एक कोशिका मोटी तथा ढकी होती है।
संरक्षीय–
(i) पौधे के सभी भागों को रक्षा प्रदान करते हैं।
(ii) वाष्पीकरण के द्वारा पानी के अभाव को कम करते हैं।
(iii) गैसों-कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, पानी के वाष्प का आदान-प्रदान करने देते हैं।
33. अस्थि और उपास्थि में अंतर लिखिए।
उत्तर- अस्थि और उपास्थि के बीच अन्तर-
अस्थि
(i) अस्थि में उत्तक की प्रकृति स्थिर और लचीली नहीं होती है।
(ii) अस्थि में कोशिका समतल होती है।
उपास्थि
(i) उपास्थि में उत्तक की प्रकृति स्थिर लेकिन लचीली होती है।
(ii) उपास्थि में कोशिका बड़ी और कोणीय होती है।
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |