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Bharati Bhawan Class 10th Political Science Chapter 8 | Bihar Board Class 10 Politics All Questions Answer | लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के परिणाम | भारती भवन कक्षा 10वीं राजनीतिशास्त्र अध्याय 8 | बिहार बोर्ड क्लास 10 राजनीतिक शास्त्र | सभी प्रश्नों के उत्तर

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Bharati Bhawan
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकतंत्र का एक गुण बताएँ ?
उत्तर- लोकतंत्र समानता और स्वतंत्रता का पोषक है। लोकतंत्र के अंतर्गत जाति, वंश, रंग, धर्म, लिंग आदि का भेदभाव नहीं किया जाता है। कानून के सामने सभी नागरिक समान माने जाते हैं।
2. लोकतंत्र की एक कमी बताएँ ? 
उत्तर - लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण कमी यह है कि इसमें फैसले लेने में काफी विलंब होता है। 
3. “हा! असम्मानित लोकतंत्र, मैं तुझे प्यार करता हूँ।" यह कथन किसका है ? 
उत्तर- यह कथन एडवर्ड कारपेंटर का है। 
4. लोकतंत्र की सफलता के मार्ग की एक बाधा बताएँ। 
उत्तर- लोकतंत्र की सफलता के मार्ग में एक महत्वपूर्ण बाधा शिक्षा का अभाव है।
5. लोकतंत्र की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है ?
उत्तर- लोकतंत्र की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण तत्व अवसर की समानता तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंदर आंतरिक लोकतंत्र है। RSE
6. विश्व के लगभग कितने देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था अपनी जड़े जमा चुकी हैं ?
उत्तर - विश्व के लगभग सौ देशों में लोकतान्त्रिक है।
7. लोकतांत्रिक सरकारें किसके द्वारा चलाई जाती है।
उत्तर- जनता के प्रतिनिधियों द्वारा।
8. भारत में मतदाताओं की कुल संख्या कितनी है ? 
उत्तर- भारत में मतदाताओं की कुल संख्या 71 करोड़ है। 
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकतंत्र व्यक्ति की गरिमा में वृद्धि किस प्रकार करता है ?
उत्तर- लोकतंत्र का सर्वोत्तम गुण यह है कि इस शासन व्यवस्था में लोगों को गरिमा के साथ रहने का अवसर मिलता है। लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन जब किया जाता है तो हम पाते हैं कि अन्य शासन व्यवस्थाओं की तुलना में यह ज्यादा श्रेयस्कर है। लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि वह सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करे। यदि इसमें किसी के साथ कमी होती है तब टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोकतंत्र में समानता के सिद्धांत का पोषण होती है। इसमें नागरिकों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है जिससे.. सभी लोग सम्मानपूर्वक जीवन बिताने में सक्षम हो पाते हैं।
2. लोकतंत्र सामाजिक विविधताओं में किस प्रकार सामंजस्य लाता है ?
उत्तर- लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था का एक बहुत बड़ा गुण यह है कि इसमें विविधताओं में सामंजस्य स्थापित करने की अभूतपूर्व क्षमता होती है। लोकतांत्रिक समाज में विभिन्न समूहों और वर्ग के लोग निवास करते हैं। उनके बीच अक्सर टकराव होते रहते हैं। इन टकरावों में सामंजस्य करने की क्षमता ही किसी शासन पद्धति की सफलता का द्योतक है। लोकतंत्र में सभी तरह के लोग सद्भावपूर्ण एवं शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। भेदभाव रहते हुए भी वे आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। यदि टकराव होता भी है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था उसे दूर करने में समर्थ हो जाती है। विभिन्न हितों में टकराव तो स्वाभाविक है। अलग-अलग जाति, धर्म, संप्रदाय के लोग आपस में टकराते अवश्य हैं परंतु लोकतंत्र में ही यह क्षमता होती है कि वह ऐसे टकरावों और मतभेदों को आपसी बातचीत के द्वारा समाधान कर सामंजस्य लाती है। 
3. लोकतंत्र को एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- लोकतंत्र एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था है। लोकतंत्र में लोगों को चुनाव में भाग लेने और प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है। शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण आज लोग अपने मताधिकार का बढ़-चढ़कर उपयोग कर रहे हैं। जनता में जागरूकता की वृद्धि एवं व्यापक प्रतिरोध से लोकतंत्र में सुधार की संभावनाएँ बनी रहती है। यही कारण है कि सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनना पड़ता है, क्योंकि उसे जनता द्वारा नकारने का खतरा बरकरार रहता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में फैसले लेने में देरी होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोकतंत्र में गलत निर्णय लिए जाती हैं। सच यह है कि निर्णय में देर भले ही हो, पर गलत निर्णय की संभावना कम रहती है। इससे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और भी अधिक उत्तरदायी बन जाती है। 
4. लोकतंत्र एक वैद्य शासन कैसे है ?
उत्तर- लोकतंत्र एक वैद्य शासन है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के परिणामस्वरूप ही सभी निर्णय कानून और नियमों के अनुसार ही लिए जाते हैं। इससे लोकतंत्र का परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है। लोकतंत्र में ही नागरिकों को यह जानने का अधिकार भी प्राप्त रहता है कि किसी भी निर्णय में कानून एवं नियमों का पालन हुआ है अथवा नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो नागरिकों को उसे विरोध करने का भी अधिकार है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में पारदर्शिता दिखाई देती है। कोई भी बात जनता से छिपाई नहीं जाती। यदि शासक ऐसा करना भी चाहे तो विपक्षी दल मीडिया उनसे उजागर कर देती है। अन्य शासन व्यवस्थाओं की तुलना में लोकतंत्र में लोगों के कल्याण के लिए अच्छे निर्णय लिए जाते हैं भले ही उसमें देर होती हो। इसमें जनता को सत्ता में भागीदारी के अधिक अवसर प्राप्त है। इसमें जनता की उचित मांगों पर हमेशा ध्यान दिया जाता है। इसलिए यह वैद्य शासन ही और यही कारण है कि आधुनिक युग में लोगों की आस्था लोकतंत्र में हैं। 
5. आर्थिक असमानता में कमी तथा आर्थिक विकास के संबंध पर प्रकाश डालें। 
उत्तर- लोकतंत्र समानता के सिद्धांत पर आधृत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था से आशा की जाती है कि वह आर्थिक असमानता को दूर करेगी तथा विकास के मार्ग पर अग्रसर रहेगी। आर्थिक विकास दर बढ़ाना और आर्थिक असमानता दूर करना लोकतंत्र के सामने समस्याएँ हैं। आर्थिक विकास होने पर यह आवश्यक नहीं कि आर्थिक असमानता कम हो जाती है। आर्थिक विकास के साथ-साथ अमीर-गरीब के बीच की खाई कम होनी चाहिए, वहाँ यह अधिक चौड़ी हो जाया करती है। आर्थिक विकास से धनी वर्ग ही अधिक लाभान्वित होता है। आर्थिक असमानता दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि बढ़े हुए धन का वितरण इस प्रकार किया जाए कि अमीर और गरीब दोनों इससे समान रूप से लाभान्वित हो सकें और अधिकांश लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो सके।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के गुणों का वर्णन करें। 
उत्तर- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अन्य शासन प्रणालियों से श्रेयस्कर माना जाता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो अन्य शासन प्रणालियों में नहीं पाए जाते हैं। ये गुण निम्नलिखित हैं
i. जनमत पर आधारित शासन- व्यवस्था लोकतंत्र का प्रमुख व्यक्ति की इच्छाओं का ध्यान रखा जाता है। 
ii. समानता और स्वतंत्रता का पोषक- लोकतंत्र के अंतर्गत जाति, वंश, रंग, धर्म लिंग आदि का भेदभाव नहीं किया जाता है। कानून के सामने सभी नागरिकों को समान माना गया है।  
iii. जनकल्याण का पोषक- लोकतंत्र का उद्देश्य सभी लोगों का कल्याण करना है। यह अधिकाधिक मनुष्यों की अधिकतम भलाई करना चाहती है।
iv. राजनीतिक जागति- लोकतंत्र जनता में राजनीतिक जागृति उत्पन्न कराने में भी सहायक होता है। निर्वाचन तथा शासन-कार्य में भाग लेने के कारण जनता में राजनीतिक चेतना आती है।
v. लोकप्रिय एवं स्थायी शासन- जनता के हित का सबसे अधिक ध्यान र कारण ही लोकतंत्र सर्वाधिक लोकप्रिय शासन है।  
vi. व्यक्ति की गरिमा में वृद्धि- लोकतंत्र में समानता के सिद्धांत के पोषण होने नागरिक समान माने जाते हैं चाहे वे अमीर हों या गरीब, शिक्षित हों या अशिक्षित, पुरुष हों या महिला। सभी व्यक्ति गरिमा के साथ जीते हैं और लोकतंत्र उनकी गरिमा में वृद्धि करती है।
vii. निर्णय करने का ठोस तरीका- लोकतंत्र में काफी सोच-विचार के बाद कोई निर्णय लिए जाते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत से लोग सम्मिलित होते हैं और कई लोगों के मतों का विचार लिया जाता है। इससे निर्णय करने में काफी समय लगता है परंतु इससे गलत निर्णय होने की संभावना रहती है।
viii. मतभेदों में सामंजस्य की संभावना- चूँकि लोकतंत्र में विभिन्न समूह और वर्ग के लोग निवास करते हैं इसलिए उनमें टकराव स्वाभाविक है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में ही यह क्षमता होती है कि इन टकरावों में सामंजस्यता स्थापित करें।
2. लोकतंत्र के मूल्यांकन के मुख्य आधारों का विवेचन करें। 
उत्तर- लोकतंत्र के परिणामों के मूल्यांकन करने से पूर्व इसकी कमजोरियों को समझना होगा। लोकतंत्र के परिणामों के मूल्यांकन का मुख्य आधार हैं 
i. एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था- लोकतंत्र एक उत्तरदायी शासन की व्यवस्था कर पाता है या नहीं। अगर हाँ तो कैसे। चूँकि जनता ही शासकों का चयन करती है इसलिए शासन भी जनता के प्रति उत्तरदायी रहती है। नहीं तो जनता के नकारने का खतरा बरकरार बना रहता है। लोकतंत्र में फैसले लेने में देरी तो अवश्य होती है लेकिन उन फैसलों में गलती की संभावना बहुत कम रहती है। इससे लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था और अधिक उत्तरदायी बन जाती है।
ii. वैद्यशासन - लोकतंत्र के परिणामों के मूल्यांकन का एक आधार यह भी है कि क्या लोकतंत्र एक वैद्य शासन है ? लोकतंत्र में सभी निर्णय कानून और नियमों के अनुसार ही लिए जाते हैं। इससे लोकतंत्र का परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है। लोकतंत्र में जनता सरकार के गलत निर्णयों का विधेय भी करती है। सरकार जनता के सामने पूरी पारदर्शिता बरतती है नहीं तो विपक्षी दल, मीडिया उनको उजागर कर ही देती है। लोकतंत्र में जनता को सत्ता में भागीदारी के अवसर प्राप्त हैं। यह वैद्य शासन इसलिए है कि जनता की माँगों का इससे पूरा-पूरा ध्यान दिया जाता है।
iii. विविधताओं में सामंजस्य- क्या लोकतंत्र विविधताओं में सामंजस्य कर पाता है ? इसके पक्ष में यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र में ही वह गुण है जहाँ विविधताओं में सामंजस्य करने की अभूतपूर्व क्षमता होती है। लोकतंत्र में विभिन्न धर्म, संप्रदाय जाति के लोग रहते हैं उनमें आपस में टकराव भी संभव है लेकिन ऐसे टकरावों और मतभेदों को आपसी बातचीत के द्वारा लोकतंत्र में ही दूर किए जा सकते हैं। जनता का शासन होने के कारण जनता को लोकतंत्र से अनेक अपेक्षाएँ रहती हैं। इसी उद्देश्य से लोकतांत्रिक शासन के सामने जनता द्वारा अनेक माँगे उपस्थित की जाती रहती हैं। लोकतांत्रिक शासन उन माँगों को यथासंभव पूरा करने का प्रयास करता है। क्रम बना रहता है और शासन भी उन माँगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहता। इस आसार पर भी लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन होता रहता है।
3. लोकतंत्र किस प्रकार अन्य शासन-पद्धतियों के श्रेयस्कर है?
अथवा, लोकतंत्र के परिणामों पर विचार करते हुए यह बताने का प्रयास करें कि लाकतंत्र किस प्रकार अन्य शासन प्रणालियों से बेहतर हैं ? 
उत्तर- आज दुनिया के लगभग 100 देशों में लोकतंत्र किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है। जिन देशों में लोकतंत्र नहीं है। वहाँ भी लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास तेजी से जारी है। लोकतंत्र का लगातार प्रसार एवं उसे मिलनेवाला जनसमर्थन यह साबित करता है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है। लोकतंत्र दूसरे शासन प्रणालियों से श्रेयस्कर है इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं
i. उत्तरदायी एवं वैद्यशासन— लोकतंत्र में जनता चुनावों में भाग लेते हैं, अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। जनता में जागरूकता की वृद्धि एवं व्यापक प्रतिरोध से लगातार इसमें सुधार की संभावनाएँ बनी रहती है। शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण आज लोग अपने मताधिकार का बढ़-चढ़कर उपयोग कर रहे हैं तथा सरकार की निर्णय प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनना पड़ता है क्योंकि उसे जनता द्वारा नकारने का खतरा बरकरार रहता है। लोकतंत्र में फैसले लेने में काफी देर होती है इसका कारण यह है कि लोकतंत्र में हवस मुवाहिसों के बाद ही फैसले किए जाते हैं। गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था से तुलना के पश्चात् कोई संदेह नहीं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था एक उत्तरदायी एवं वैद्य शासन व्यवस्था है।
ii. आर्थिक समृद्धि और विकास— लोकतंत्र में आर्थिक खुशहाली होगी और विकास की दृष्टि से भी अगुणी होगा लेकिन जब हम अन्य शासन व्यवस्था को देखते हैं तो काफी निराशा होती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था आर्थिक समृद्धि और विकास की दृष्टि से अन्य शासन व्यवस्था से पीछे है। लेकिन किसी देश की आर्थिक विकास उस देश की जनसंख्या आर्थिक प्राथमिकताएँ अन्य देशों के सहयोग के साथ-साथ वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है। लोकतांत्रिक शासन में विकास की दर में कमी के बावजूद, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का चयन सर्वोत्तम होगा, क्योंकि इसके अनेक सकारात्मक एवं विश्वसनीय फायदे हैं।
iii. सामाजिक विषमता एवं सामंजस्य - समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक विषमताओं जिसे हम विविधताओं के रूप में भी पाते हैं, आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाने में लोकतंत्र मददगार होता है। लोकतंत्र नागरिकों के शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होता है। 
4. भारतीय लोकतंत्र की सफलता मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं ?
उत्तर- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत में लोकतंत्र के निर्माण की प्रक्रिया में अनेकों बाधाएँ हैं। जबतक इन बाधाओं को दूर नहीं किया जा सकता, भारत में एक .सफल लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकती। भारतीय लोकतंत्र की सफलता के मार्ग में निम्नलिखित बाधाएँ हैंi. 
i. शिक्षा का अभाव - भारत के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं। अशिक्षित जनता लोकतंत्र के महत्व को समझ नहीं पाती। उसे अधिकारों और कर्त्तव्यों की भी सही जानकारी नहीं हो पाती। 
ii. लोकतंत्र में विश्वास की कमी- अधिकांश भारतीय जनता को इस बात की चिंता नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र को कैसे सफल बनाया जाए।
iii. नागरिक गुणों का अभाव – भारत में नागरिक गुणों का विकास नहीं हो पाया है। जनता अपने अधिकार को नहीं समझ पाती। सरकार और राज्य के प्रति अपने कर्त्तव्यों के निर्वाह में भी जनता पिछड़ जाती है।
iv. मतदान का दुरुपयोग- भारतीय जनता मतदान के महत्व को भी नहीं समझ पाती है। लोग अपना मत ठीक ढंग से नहीं दे पाते हैं।
v. सामाजिक असमानता — लोकतंत्र की सफलता सामाजिक समानता पर आधृत है। लोकतांत्रिक देशों में सामाजिक असमानता व्याप्त है। जाति, धर्म, ऊँच-नीच का भेदभाव बहुत अधिक है।
vi. आर्थिक असमानता - भारत में अमीरों और गरीबों के बीच बहुत बड़ी खाई है। अधिकांश लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता है। भारतीय लोकतंत्र के मार्ग में यह बहुत बड़ी बाधा है।

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