Bharati Bhawan Class 10th Political Science Chapter 9 | Bihar Board Class 10 Politics Long Type Answer Question | लोकतंत्र की चुनौतियाँ | भारती भवन कक्षा 10वीं राजनीतिशास्त्र अध्याय 9 बिहार बोर्ड क्लास 10 राजनीतिक शास्त्र अध्याय 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

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Bharati Bhawan Class 10th Political Science Chapter 9  Bihar Board Class 10 Politics Long Type Answer Question  लोकतंत्र की चुनौतियाँ  भारती भवन कक्षा 10वीं राजनीतिशास्त्र अध्याय 9  बिहार बोर्ड क्लास 10 राजनीतिक शास्त्र अध्याय 9  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं की विवेचना करें। 
उत्तर- भारतीय लोकतंत्र में समस्याएं मौजूद है। इनका समाधान संकीर्ण दलीय राजनीति से ऊपर उठकर किया जा सकता है। महँगाई, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा तैयारियाँ आदि ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जिनपर ध्यान देना जरूरी है। देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन रही शक्तियों पर परिचर्चा होनी चाहिए। यह खतरा केवल पूर्वोत्तर की अलगाववादी या नक्सली गतिविधियों एवं अवैध शरणार्थियों से ही नहीं, वरन आर्थिक अपराधों से भी है। विदेशी बैंकों में जमा भारत का कालाधन, विदेशी मुद्रा का अवैध आगमन, उच्च एवं न्यायिक पदों पर व्याप्त भ्रष्टचार, तुलन एवं असमानता भारतीय लोकतंत्र की प्रबल चुनौतियाँ हैं।
जनकल्याणकारी योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन, आतंकवाद का मुकाबला आदि समस्याओं को सुलझाने के लिए बेहतर केन्द्र राज्य सबंध की आवश्यकता है। बढ़ती जनसंख्या पर भी नियंत्रण रखना जरूरी है। चुनावों में होनेवाले अंधाधुंध खर्च, अपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का चुनाव में जीतना, महिलाओं की सत्ता में कम भागीदारी, शिक्षा का अभ आदि पर भी ध्यान देना होगा।
प्रत्येक चुनौती के साथ सुधार की संभावना जुड़ी हुई है। हर चुनौती का समाधान संभव है। राजनैतिक सुधारों की भी आवश्यकता है। तथा सुधारों के प्रस्ताव में लोकतांत्रिक आंदोलन, नागरिक संगठन तथा मीडिया पर भरोसा करनेवाले उपायों के सफल होने की अधिक संभावना होती है।
2. भारत' लोकतंत्र जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में कहाँ तक सहायक है ?
उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपनी उन्नति की आकांक्षा रखती है और साथ-साथ अपनी सुरक्षा एवं गरिमा को बनाए रखने की भी अपेक्षा रखती है। लोकतंत्र कहां तक इसमें सहायक है निम्नलिखित तर्कों के द्वारा इसको स्पष्ट किया जा सकता है-
i. जनता की उन्नति – भारतीय लोकतंत्र का उद्देश्य अपने नागरिकों का अधिकतम कल्याण है। इसे कल्याणकारी स्वरूप प्रदान किया गया है। भारतीय लोकतंत्र को समाजवादी स्वरूप देने के उद्देश्य से ही भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत अनेक प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य नागरिकों की अधिकतम उन्नति है। ये प्रावधान हैं-
राज्य के सभी नागरिकों की जीविका के साधन प्राप्त करने का समान अधिकार है। पुरुषों और स्त्रियों को समान कार्यों के लिए समान वेतन मिले। 
ii. जनता की सुरक्षा – भारतीय लोकतंत्र जनता को सुरक्षा प्रदान करने में भी सफल नहीं हो पा रही है। भारत की जनता आतंकवाद, नक्सलवाद, अपहरण, हत्या, अपराध जैसी घटनाओं से त्रस्त है। स्वाभाविक है कि जबतक नागरिकों को जीवन ही सुरक्षित नहीं रहेगा तबतक वे उन्नति के पक्ष पर अग्रसर कैसे हो सकेंगे। भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी-बड़ी चुनौती सुरक्षा की है। ऐसा नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र इस चुनौती को नजरअंदाज कर रहा है। सुरक्षा नहीं तो विकास नहीं' के कथन से भारतीय लोकतंत्र पूर्णरूपेण अवगत है और भारत को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने के लिए सतत प्रयत्नशील है।
iii. व्यक्ति की गरिमा – व्यक्ति की गरिमा के संवर्द्धन के लिए भी भारतीय लोकतंत्र सजग है। जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, लैंगिक विभेद अमीर-गरीब का विभेद, ऊँच-नीच का भेदभाव व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले तत्व हैं। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही इसे स्पष्ट कर दिया गया है कि व्यक्ति की गरिमा •जाएगा। संविधान ने जातिगत भेदभाव, अस्पृश्यता और अन्य ऐसे भेदभाव का विध कर दिया है जिससे समाज में रहनेवाले विभिन्न वर्ग के लोगों में दुर्भावना नहीं पनप सकें। बनाए रखा
स्पष्ट है कि भारतीय लोकतंत्र के मार्ग में अनेक बाधाओं के रहते हुए भी जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में यह बहुत हद तक सहायक है।
3. लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर एक निबंध लिखें।
उत्तर- लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को हम निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत रख सकते हैं-
(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह स्वरूप है जिसमें जनता को ही शासकों के चयन का अधिकार प्राप्त है।
(ii) जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के लिए निर्णय लेने का अधिकार है।
(iii) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद व्यक्त करने का बिना किसी भेदभाव के पर्याप्त अवसर और विकल्प प्राप्त होना चाहिए। 
(iv) विकल्प के प्रयोग के बाद जिस सरकार का गठन किया जाए उसे संविधान में निश्चित किए गए मौलिक नियमों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
(v) नागरिकों को मताधिकार निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार के अलावा कुछ आर्थिक अधिकार भी दिए जाने चाहिए। जीविका का साधन प्राप्त करने, काम पाने का अधिकार, उचित पारिश्रमिक पाने का अधिकार जैसे आर्थिक अधिकार जब तक नागरिकों को नहीं मिलेंगे तबतक राजनीतिक अधिकार निरर्थक सिद्ध होंगे।
(vi) सत्ता में भागीदारी का अवसर सबों को बिना भेदभाव के मिलना चाहिए। सत्ता में जितना अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सशक्त बनेगा।
(vii) लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रखा जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज को लोकतंत्र की पुकार है।
(viii) लोकतंत्र को सामाजिक भेदभाव से भी दूर रखा जाना चाहिए। इसको जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद जैसे भयंकर रोगों से मुक्त किया जाना चाहिए। 
4. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं—
i. शिक्षा का प्रसार - शिक्षा का प्रसार कर लोकतंत्र के कमजोरियों को दूर किया जा सकता है। लोकतंत्र के विकास में मार्ग में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 1986 में ही नई शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाया जा रहा है।
ii. बेरोजगारों को रोजगार – बेरोजगारी की समस्या भी लोकतंत्र की एक कमजोरी है। अब बेरोजगारी दूर करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। पंचवर्षीय योजनाओं में बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
iii. पंचायती राज- सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जा सकती है। पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है। ग्राम पंचायतें लोकतंत्र के मुख्य आधार है। ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है।
iv. सुधारात्मक कानूनों का निर्माण- लोकतंत्रात्मक सुधार में सुधारात्मक कानूनों के निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। सरकार कानून बनाते समय इस बात पर विशेष ध्यान रखती है कि राजनीति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े तथा वैसे कानूनों का निर्माण हो जिससे जनता के स्वतंत्रता के अधिकार में वृद्धि हो । 
v. आंदोलन हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक सुधार के लिए लोकतांत्रिक आंदोलनों और संघर्षों, विभिन्न हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता , अवश्य सुनिश्चित की जानी चाहिए।
vi. निष्पक्ष निर्वाचन पद्धति- देश में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है। निष्पक्ष चुनाव पर ही लोकतंत्र का भविष्य निर्भर है।
भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देश इन्हीं उपायों से अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

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