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Class 10th Bharati Bhawan Physics Chapter 3 | Human Eye : Atmospherical Refraction : Dispersion | Question Answer in hindi

Class 10th Bharati Bhawan Physics Chapter 3  Human Eye  Atmospherical Refraction  Dispersion  Question Answer in hindic

लघु उत्तरीय प्रश्न
1.आँख की समंजन क्षमता (power accommodation) का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :-आँख द्वारा अपने सिलियरी पेशियों के तनाव को घटा बढ़ा कर अपने लेंस की फोकस-दूरी को बदल कर दूर या निकट की वस्तु का साफ-साफ देखने की क्षमता को समंजन
2.नेत्र, अपने अंदर जानेवाले प्रकाश की मात्रा को किस प्रकार नियंत्रित करता है?
उत्तर :-परितारिका या आइरिस की सहायता से आँख के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश के परिमाण को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। अंधेरे में परितारिका के बीच का छिद्र (अभिमुख) जिसे पुतली (pupil) कहते हैं, स्वतः फैल जाती है और तेज रोशनी में सिकुड़ता है। अतः कैमरा में जो काम (प्रकाश के परिमाण को नियंत्रित करना) डायफ्राम करता है, वही काम आँख में पुतली करता है। अत: आइरिस की सहायता से नेत्र के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश की मात्रा के द्वारा नित्रित होता है।
3.निकटदृष्टिता क्या है ? इसे दूर करने के लिए हम किस लेंस का व्यवहार करते हैं?
उत्तर :-वह दृष्टि दोष जिसके कारण कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है इसे ही निकट दृष्टिता या निकट दृष्टि दोष कहा जाता है।
निकट दृष्टि दोष के निम्नलिखित कारण हैं-
1. नेत्र गोलक का लंबा हो जाना अर्थात् नेत्र और रेटिना के बीच की दूरी का बढ़ जाना।
2. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अधिक हो जाना।
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है जो दूर रखी वस्तु से आनेवाली समांतर किरणों को इतना अपसारित कर दें ताकि किरणें रेटिना के पहले मिलने के बजाय रेटिना पर ही मिले।
Class 10th Bharati Bhawan Physics Chapter 3  Human Eye  Atmospherical Refraction  Dispersion  Question Answer in hindi

4. यदि हम तीव्र प्रकाश से किसी कम प्रकाश वाले कमरे में जाएँ तो वहाँ वस्तुओं कोसष्ट देखने में कुछ समय क्यों लगता है ?
उत्तर :- तीव्र प्रकाश में आँख की पुतली (Pupil) सिकुड़कर छोटी हो जाती है। कम प्रकाश वाले कमरे की वस्तुओं को देखने के लिए आँख की पुतली का अधिक खुलकर बड़ा होना आवश्यक है। पुतली सिकुड़कर छोटी हो जाने के कारण कुछ समय बाद ही वह फैल कर अधिक खुल पाती है। यही कारण है कि तीव्र प्रकाश से कम प्रकाश वाले कमरे में जाने पर वहाँ रखी वस्तुळे के स्पष्ट देखने में कुछ समय लग जाता है। 
5. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर :- अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित सीमा से कम नहीं होती। कोई वस्तु नेत्र को अत्यधिक निकट है तो अभिनेत्र लेंस इतना अधिक वक्रित नहीं हो पाता कि वस्तु का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बने, जिसके फलस्वरूप परिणामी प्रतिबिंब धुंधला-सा बनता है। नेत्र की सिलियरी पेशियाँ उतनी नहीं खिंच पाती जितनी कि 25 cm से निकट रखी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाती है।
6. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता है।
उत्तर :- नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना (retina) पर बनाने की क्षमता खो देने को दृष्टि दोष (defects of vision) कहते हैं। मानव नेत्र में दृष्टि तीन प्रकार के होते हैं :-
(i) निकट-दृष्टि दोष (short sightedness or myopia)
(ii) दूर-दृष्टि दोष (far sightedness or hypermetropia)
(ii) जरा-दूरदर्शिता (presbyopia)
7. नेत्र के दो मुख्य दोषों के नाम लिखें। इनके उपचार के लिए किस प्रकार के लेंस व्यवहार में लाए जाते हैं ?
उत्तर :-नेत्र के दो मुख्य दोषों के नाम ये हैं-
1. निकट-दृष्टि दोष
2. दूर-दृष्टि दोष।
इनका पूर्ण वर्णन निम्नलिखित है-
(1) निकटदृष्टि (Myopia)- नेत्रगोलक लंबा हो जाने के कारण नेत्र-लेंस बहुत दूरी (अनंत) पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के सामने बनाता है [चित्र (i)]। इसलिए, दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है, किंतु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई पड़ती है। अतः, इस दोष से युक्त आँख के लिए दूर-बिंदु निकटतर हो जाता है। इस दृष्टिदोष को निकटदृष्टि कहते हैं। अवतल लेंस किरणों को अपसारित करता है, इसलिए इस दृष्टिदोष को दूर करने के लिए उचित फोकस-दूरी का अवतल लेंस काम में लाया जाता है [चित्र (ii)] ।

Class 10th Bharati Bhawan Physics Chapter 3  Human Eye  Atmospherical Refraction  Dispersion  Question Answer in hindi
(2) दीर्घदृष्टि (Hypermetropia)- इसमे नेत्रगोल छोटा होने के कारण आँख का लेंस निकट के वस्तुओं के प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनाता है और इसलिए आँख निकट के वस्तुओ को साफ-साफ नहीं देख पाती, किन्तु दूर के वस्तुओं को साफ-साफ देख सकती है | यह दृष्टिदोष दीर्घदृष्टि कहलाता है | [ चित्र (iii) ] | इसमे निकट-बिंदु अधिक दूर हो जाता है | उत्तल लेंस किरणे को अभिसारी बनाता है, अत इस दोष को दूर करने के लिए उचित फोकस्संतर का उत्तल लेंस काम में लाया जाता है [ चित्र (iv) ] |
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8. दूरदृष्टिता नामक दोष के निवारण हेतु प्रयुक्त लेंस को दिखाते हुए किरण-आरेख खींचें।
उत्तर :- दूर दृष्टिता दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है। दूर-दृष्टिता नामक दोष को उत्तल लेंस द्वारा दूर किया जा सकता है। इस लेंस का किरण आरेख इस प्रकार है-
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9.वर्ण-विक्षेपण-श्वेत प्रकाश के अपने विधिन अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (dispersion of light) कहते हैं।
उत्तर :- वर्ण विक्षेपण- श्वेत प्रकाश के अपने विभिन अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (dispersion of light) कहते हैं।
वर्णपट (स्पेक्ट्म)- श्वत प्रकाश से प्राप्त प्रकाश की पट्टी स्पक्ट्रम कहते हैं। इसमें वर्णों (रंगा) का क्रम है-
बैंगनी (v), जामुनी (J), पीला (B), हरा (G), पीला (Y), नारंगी (O) तथा लाल (R) संक्षेप में VIBGYOR कहते हैं।
10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ? समझाइए।
उत्तर- तार की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है। हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है। इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुंचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।
11.चन्द्रमा और ग्रह टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते हैं क्यों?
उत्तर- चंद्रमा और ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के निकट है। चंद्रमा और ग्रह से आती किरणों का भी अपवर्तन होता है। अत: अपवर्तन के कोण के परिवर्तन के कारण ग्रह और चंद्रमा भी आभासी स्थिति में नगण्य परिवर्तन होता है जिससे उससे आती किरणों की तीव्रता में आभासी परिवर्तन नहीं होता है। फलत: ग्रह और चंद्रमा टिमटिमाते हुए नहीं दिखाई देते हैं।
12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर :- प्रात: के समय सूर्य क्षितिज के निकट होता है। सूर्य की किरणों को हम तक पहुँचने के लिए वातावरणीय मोटी परतों से गुजर कर पहुंचना पड़ता है। नीले और कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वहाँ उपस्थित कणों के द्वारा प्रकीर्णित कर दिया जाता है। हमारी आँखों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है। इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य स्क्ताभ प्रतीत होता है।
13. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर :- अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊंचाई पर होते हैं जहाँ वायुमंडल नहीं होता और न ही वहाँ कोई प्रकीर्णन हो पाता है इसलिए उन्हें आकाश नीला नहीं बल्कि काला प्रतीत होता है।
14. इन्द्रधनुष की व्याख्या करें। प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से आप समझते हैं।
उत्तर :- वर्षा होने के बाद जब सूर्य चमकता है और हम सूर्य की ओर पीठ करके खड़े होते हैं, तो हमें कभी-कभी आकाश में अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी दिखाई पड़ती है। इस अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी को इंद्र-धनुष कहते हैं। श्वेत प्रकाश के इसके विभिन्न रंगों में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (dispersion) कहते हैं।
15. रेलवे के सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही क्या होता है।
उत्तर :- इसका कारण यह कि लाल रंग कुहरे अथवा धुएँ में सबसे कम प्रकीर्णित होता है।
16. जव श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तब इसके अवयव (Compo-nents) किसी सफेद पर्दे या दीवार पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं। क्यों?
उत्तर :- श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है। प्रत्येक रंग का तरंगदैर्ध्य एक-दूसरे से भिन्न है। भिन-भिन तरंगदैयों के लिए प्रिज्म के माध्यम का अपवर्तनांक अलग-अलग होता है। इस कारण विभिन्न रंग की किरणों का प्रिज्म से विचलन भिन्न-भिन्न होता है। अतः श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरने के बाद अपने अवयवी रंगों बैनीआहपीनाला में बँट जाता है। चूँकि श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण होता है और प्रत्येक रंगों का तरंगदैर्घ्य अलग होता है। परिणामस्वरूप विभिन्न रंगों का प्रिज्म से विचलन अलग-अलग होता है। यही कारण है कि जब श्वेत एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तो इसके अवयव किसी सफेद या दीवार पर अलग-अलग स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं।
17. प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्या है? स्पेक्ट्रम कैसे बनता है?
उत्तर :- श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहते (dispersion of light) हैं।
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रंगीन पट्टी (स्पेक्ट्रम) इस कारण उत्पन्न होती है कि प्रिज्म द्वारा (विभिन्न तरदैर्ध्य) के प्रकाश का विचलन अलग अलग होता है-लाल वर्ण (रंग) का विचलन सबसे कम और बैंगनी (रंग) का विचलन सबसे अधिक। प्रिज्म द्वारा विभिन्न वर्णों (रंगों) के अलग-अलग विचलन का कारण यह है कि विभिन्न वर्णों (विभिन्न तरंगदैयों) का प्रकाश काँच के विभिन चाल में चलता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1.निकट-दृष्टि दोष से आपका क्या अभिप्राय है? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर :- निकट दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia) इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर की वस्तुएँ ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत को तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट दृष्टि दोष के कारण- इस दोष के उत्पन्न होने के कारण-
(i) क्रिस्टलीय लेंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो जाना।
(ii) आँख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लेंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है। अनंत से आने वाली समानांतर किरणें रेटिना के सामने मिलती हैं तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है।
निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसको फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु जितनी होती है। 
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2.दूर-दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर :- दूर-दृष्टि दोष (Long Sightedness)– इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दूर दृष्टि दोष के कारण-
(i) नेत्र गोलक का छोटा होना।
(ii) आँख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना या इनकी फोकस दूरी का अधिक हो जाना। बच्चों में यह रोग प्राय: नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है।
दूर दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं। 
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3. दृष्टि दोष मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक दोष को दूर करने की विधि का वर्णन करें।
उत्तर :- दृष्टि दोष आँख के वे दोष जो नेत्र लेंस की फोकस दूरी तथा नेत्र-गोलक (Eye-ball) के आकार में कमी या वृद्धि के कारण उत्पन्न होते हैं, दृष्टि दोष कहलाते हैं ये चार प्रकार के होते हैं-
(i) निकट-दृष्टि दोष (Short-Sightedness or myopia)
(ii) दूर-दृष्टि दोष (Long-Sightedness or hypermetropia)
(iii) जरा-दृष्टि दोष (Presbyopia)
(iv) अबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य (Astigmatism)
(i) निकट दृष्टि दोष - इस दोष के उत्पन्न होने के कारण-
(i) क्रिस्टलीय लेंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो जाना।
(i) आँख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लेंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है। अनंत से आने वाली समानांतर किरणें रेटिना के सामने मिलती हैं तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है।
4. वायुमंडलीय अपवर्तन से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण द्वारा इसे समझाएँ।
उत्तर :- पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा प्रकाश के अपवर्तन को वायुमंडलीय अपवर्तन कहा जाता है। संभवतः आपने कभी आग या भट्ठी अथवा किसी ऊष्मीय विकिरक के ऊपर उठती गर्म वायु के विक्षुब्ध प्रवाह में धूल के कणों की आभासी, अनियमित अस्थिर गति अथवा छिलमिलाहट देखी होगी। आग के तुरंत ऊपर की वायु अपने ऊपर की वायु की तुलना में अधिक गर्म हो जाती है। गर्म वायु अपने ऊपर ठंडी वायु को तुलना में हलकी (कम सघन) होती है तथा इसका अपवर्तनांक ठंडी वायु की अपेक्षा थोड़ा कम होता है। क्योंकि अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएँ स्थिर नहीं हैं, इसलिए गर्म वायु में से होकर देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार यह अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन) का ही एक प्रभाव है। तारों का टिमटिमाना वृहत् स्तर की एक ऐसी ही परिघटना है।
 तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है। हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है। इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुंचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।
5. स्पेक्ट्रम क्या है ? आप किस प्रकार दिखाएंगे कि सूर्य का प्रकाश सात वर्णे (रंगों) से बना है?
उत्तर :- जब श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरती हैं तो पर्दे पर फोकसित विभिन्न रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में श्वेत प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से प्राप्त प्रकाश को रंगीन पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते है
स्पेक्ट्रप के रंगों का क्रम- बैंगनी (V), जामुनी (1), नीला (B), हरा (G), पीला (Y नारंगी (O) तथा लाल (R) इसे वैजानीहपीनाला (VIBGYOR) |
सूर्य का प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है। इसका दर्शाने के लिए एक क्राउन ग्लास का प्रिज्म लेते हैं उसको सूर्य की ओर इस ढंग से व्यवस्थित करते हैं कि दूसरी ओर पटल पर किरणें विच्छेपित होकर पड़े। पर्दे पर सात रंग की पट्टी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। इससे प्रमाणित होता है कि सूर्य सात रंगों का सम्मिश्रण है। यह रंग बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल है |
6.एक प्रयोग द्वारा दिखाएँ कि श्वेत प्रकाश के अवयवी वर्गों (रंगों) के मिलने से पुनः श्वेत प्रकाश का पुनर्निर्माण होता है।
उत्तर :- निम्नलिखित प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि श्वेत प्रकाश के विभिन्न (सात) वों (रंगों) के मिलने से पुनः श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है।
Class 10th Bharati Bhawan Physics Chapter 3  Human Eye  Atmospherical Refraction  Dispersion  Question Answer in hindi
पुनः श्वेत प्रकाश की एक किरण जब एक फ्रिज्म P पर पड़ती है तो वह विभिन्न (सात) वर्णों (रंगों) में बँट जाती है और प्रिज्म के पीछे रखे पर्दे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है। अब यदि प्रिज्म P के ही पदार्थ से बने और उसी अपवर्तक कोण के दूसरे प्रिज्म P, को पहले प्रिज्म P के उस पार्श्व के समांतर इस प्रकार रखा जाए कि दूसरे प्रिज्म का अपवर्तक कोण पहले (प्रिज्म) के अपवर्तक कोण के विपरीत हो तो पर्दे पर स्पेक्ट्रम के स्थान पर श्वेत धब्बा दिखाई पड़ता है। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि श्वेत प्रकाश के अवयवी (सात) वर्णों (रंगों) के मिलने से श्वेत प्रकाश का पुनर्निर्माण होता है।

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