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BSEB Bihar Board 2021 | Class 10th Social Science | बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं में पूछे जाने वाले प्रश्न

BSEB Bihar Board 2021 | Class 10th Social Science | बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं में पूछे जाने वाले प्रश्न
Bharati Bhawan

1. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे |
उत्तर :- 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण थे|
(i) मध्यम वर्ग का शासन पर प्रभाव,
(ii) राजनीतिक दलों में संगठन का अभाव ,
(iii) समाजवाद का प्रसार ,
(iv) लुई फिलिप की नीति की असफलता|
इस क्रांति का सबसे प्रमुख कारण लुई फिलिप की नीति और जनता में उसके प्रति और सतोष था| वह जनता की तत्कालीन समस्याओं को सुलझाने में असमर्थ रहा जिसके कारण क्रांति का सूत्रपात हुआ|

2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी |
उत्तर :- इटली जर्मनी का एकीकरण ऑस्ट्रिया की शर्त पर हुआ | क्योंकि इटली एवं जर्मनी के प्रांतों पर ऑस्ट्रया का अधिपत्य तथा हस्तक्षेप था| जिया को इटली और जर्मनी से बाहर करके ही दोनों का एकीकरण संभव था दोनों राष्ट्रों ने ऑस्ट्रेलिया को बाहर निकालने के लिए विदेशी सहायता ली| 

3. मेजनी कौन था ?
उत्तर :- युवा इटली संगठन का संस्थापक ने जी ने इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल कार्बोनरी का सदस्य था | वह सेनापति होने के साथ-साथ तांत्रिक विचारों का समर्थन तथा साहित्यकार भी था | 18 सो 30 ईस्वी में नागरिक आंदोलन हो द्वारा उसने उसके लिए और मध्य एशिया में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया किंतु असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा | 1845 की पराजय के बाद में भी निपुण इटली इटली के एकीकरण का प्रयास किया किंतु इस बार भी हुआ और सफल रहा और से पलायन करना पड़ा में राष्ट्रीय आंदोलन का मसीहा कहा जाता है |  

4. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें |
उत्तर :- यूसुफ गैरीबाल्डी का जन्म 1807 में नीस नामक नगर में हुआ था | वह पेशे से एक नाविक था और ने चीनी के विचारों का समर्थक था परंतु बाद में काबुृर  के प्रभाव नेहा घर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया | गैरीबाल्डी सहस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रांतों का एकीकरण करो वहां गणराज्य की स्थापना करने का प्रयास किया गया रे बावड़ी ने शेख चिल्ली और नेपाल की आक्रमण किया | इन प्रांतों की अधिकांश जनता बुक राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गई थी | गैरीबाल्डी यहां व्यक्ति मैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता संभाली गैरीबाल्डी के दर्शन अभियान का ताबूृर  ने भी समर्थन किया |
18 से 62 ईसवी में गैरीबाल्डी ने रूम पर आक्रमण की योजना बनाई कपूर ने गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोज की रक्षा के लिए स्पीड अमाउंट की सेना भेज दी | अभियान के बीच में ही गाड़ी बॉडी की कावड़ से भेंट हो गई तथा रोग अभियान वही खत्म हो गया | दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्रों को गैरीबाल्डी नेविगेटर इमैनुवेल को शॉप गया गैरीबाल्डी अपनी सारी संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन जीने लगा |

5. आवाज क्या है ?
उत्तर :- हिंदी भाषी वाशी राजनीतिक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें एक नई की संपत्ति तथा योगी जी की अवधारणा को मान्यता दी जाती है या सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है |
6. असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?
उत्तर :- 1920 में कोलकाता में आयोजित विशेष अधिवेशन में और कोई आंदोलन का निर्णय लिया गया | इसका नेतृत्व गांधी जी ने किया प्रथम जन आंदोलन था | इस आंदोलन के मुख्य तीन कारण थे खिलाफत का मुद्दा पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाई के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और राज्य की प्राप्ति करना |
आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रमों को अपनाया गया एक प्रस्तावित कार्यक्रम तथा दूसरा रचनात्मक कार्यक्रम  
असहयोग आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम इस प्रकार थे |
(i) सरकारी उपाधि एवं आध्यात्मिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाए,
(ii) सरकारी तथा और कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जाए,
(iii) स्थानीय संस्थाओं की सरकारी सदस्यता से इस्तीफा दिया जाए,
(iv) सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार वकीलों द्वारा न्यायालय का बहिष्कार किया जाए तथा आपसी विवाद पंचायती अदालतों द्वारा निपटाया जाए,
(v) और सैनिक श्रमिक व कर्मचारी वर्ग मेसोपोटामिया में जाकर नौकरी करने से इंकार करें तथा विदेशी सामानों का पूर्णता बहिष्कार करें |
असहयोग आंदोलन के रचनात्मक कार्यक्रम के अंतर्गत शराब का बहिष्कार, हिंदू मुस्लिम एकता एवं अहिंसा पर बल, छुआछूत से परहेज, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, हाथ से बुने खादी का प्रयोग, कड़े कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा करना, कर नहीं देना, राष्ट्रीय विद्यालय एवं कॉलेजों की स्थापना करना शामिल था |

7. बिहार के किसान आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखें |
उत्तर :- 1920 के दशक में किसानों ने अपने को वर्गीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के रूप में संगठित करना आरंभ कर दिया था | इसके पीछे किसानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन नीति तथा साम्यवादी तथा अन्य वामपंथी दलों द्वारा किसानों में वर्गीय चेतना उत्पन्न करने के कारण किसान सभा का गठन हुआ | 1920 के आरंभिक दशक में बिहार बंगाल पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में किसान सभा का गठन हुआ | बिहार में 1922 से 23 में मुंगेर में शाह मोहम्मद जावेद की अध्यक्षता में किसान सभा की स्थापना हुई  | मार्च 1928 को बिहटा में स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की औपचारिक स्थापना की नवंबर 1929 में सोनपुर में स्वामी सहजानंद की अध्यक्षता में प्रांतीय किसान सभा का गठन किया गया | श्री कृष्ण सिंह इसके सचिव तथा यमुना कार्य थी श्री गुरु नानक श्री गुरु लाल एवं कैलाश लाल इसके प्रमंडलीय सचिव बने 11 अप्रैल 1936 इसवी को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन लखनऊ में हुआ | 1936 में बिहार में बगावत भूमि (स्वयं जोती हुई भूमि) के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ जिसे कांग्रेस ने 1937 के फैजपुर अधिवेशन में मुख्य मांग के रूप में जोड़ा |

8. औद्योगिकीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?
उत्तर :- औद्योगिकीकरण के कारण घरेलू उद्योगों के मालिक अब मजदूर बन गए इनकी आजीविका उद्योगपतियों के द्वारा दिए गए वेतन पर निर्भर थी | उस समय इंग्लैंड में कानून मिल मालिकों के समर्थन में था और तू एवं बच्चों से 16 से 18 घंटे तक काम लिया जाता था | मशीनों एवं यंत्रों के सामने घरेलू हस्तनिर्मित उद्योगों का विकास संभव नहीं था | इन्हीं कारखानों ने उन्हें बेरोजगार बना दिया था फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों का जीवन का समय था और दोगी कि करण ने मजदूरों की आजीविका के साधनों को समाप्त कर दिया था | यह दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भी खरीदनी की स्थिति में नहीं थे |

9. औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं अथवा औद्योगिकीकरण की क्या है ?
उत्तर :- औद्योगिकीकरण औद्योगिक क्रांति की देन है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मशीनों तो के द्वारा होता है | इसमें उत्पादन वृहत पैमाने पर होता है और उत्पादन के शपथ के लिए बड़े बाजारों की आवश्यकता होती है और दोगी की तरह नए-नए मशीनों का आविष्कार एवं तकनीकी विकास पर निर्भर करता है और रोगी की शरण के प्रेरक तत्व के रूप में मशीनों के अलावा पूंजी निवेश एवं श्रम का भी महत्वपूर्ण स्थान है | अतः औद्योगिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन मशीनों के द्वारा कारखानों में होता है | इस प्रक्रिया में घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ले लेता है |

10. स्लम से आप क्या समझते हैं इसकी शुरुआत क्यों और कैसे हुई |
उत्तर :- छोटे गंदे अस्वास्थ्यकर  स्थानों में आवासीय स्थल स्लम कहलाते हैं और औद्योगिकीकरण के दौरान शहर में रहने वाले श्रमिकों के लिए आवास की समस्या उत्पन्न हुई और उन्हें नागरिक नारकीय स्थितियों में रहने को विवश होना पड़ा इस प्रकार के स्लम क्षेत्रों की शुरुआत हुई |

11. 1929 के आर्थिक के कारणों का संक्षेप में स्पष्ट करें |
उत्तर :- 1929 के आर्थिक संकट का बुनियादी कारण स्वयं इस अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही समाहित हां प्रथम विश्व युद्ध के 4 वर्षों में यूरोप को छोड़कर बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार होता गया | उसके मुनाफे बढ़ते गये दूसरी तरफ अधिकांश लोग गरीबी और अभाव में किस्से रहे नवीन तकनीकी प्रगति तथा बढ़ते हुए मुनाफे के कारण उत्पादन में भारी वृद्धि हुई लेकिन उसे खरीद सकने वाले लोग काफी कम थी |
कृषि क्षेत्र में भी अति उत्पादन से कृषि उत्पादों की कीमतें गिरी क्योंकि उसे खरीदने वाले लोग बहुत कम से आधुनिक अर्थशास्त्री कोटली ने लिखा है कि विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यान्नों के मूल्य की विकृत 1929 से 32 के आर्थिक संकटों का प्रमुख कारण थी |
1920 के दशक के मध्य में बहुत सारे देशों में अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी युद्ध से तबाह हो चुकी अर्थव्यवस्था को नए सिरे से विकसित करने का प्रयास किया | अमेरिकी पूंजी पतियों ने यूरोप को कर्ज दिए लेकिन अमेरिका के घरेलू स्थिति में संकट के संकेत मिलते ही वह उन देशों से कर्ज वापस मांगने लगे जिससे यूरोपीय देशों के बीच गंभीर आर्थिक संकट छा गया |

12. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें |
उत्तर :- जर्मनी के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका गिफ्ट मार्केट की रही उसमें सुधार एवं कूटनीति के अंतर्गत जर्मनी के क्षेत्रों का प्रशासन अथवा प्रसाद का एकीकरण करने का प्रयास किया वह वृत्ताकार चांसलर था | वह मुख्य रूप से युद्ध के माध्यम से एक ही कर्म में विश्वास रखता था | इसके लिए उसने रक्त और लौह की नीति का पालन किया इस नीति से सातवें पर यह था कि चयनित उपायों द्वारा ही जर्मनी का एकीकरण करना उसने जर्मनी में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू कर दी |
जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क के तीन उद्देश्य थे
(i)  पहला उद्देश्य प्रसाद को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाकर उसके नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण को पूरा करना,
(ii) दूसरा उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया को प्राप्त कर उसे जर्मन परिसंघ के बाहर निकालना था,
(iii) तीसरा उद्देश्य जर्मनी को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाना था |
सर्वप्रथम उसने फ्रांस एवं राष्ट्रीय से सीकर डेनमार्क पर अंकुश लगाया ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर 1807 में लिंग और लेकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया जीत के बाद प्लेस सेविंग प्रकार के तथा फॉर्क्जॉइन आशिया के अधीन हो गया | डेनमार्क को पराजित करने के बाद उसका मुख्य शत्रु ऑस्ट्रेलिया था विश्व मार्क ने यहां भी कूटनीति के अंतर्गत रास्ते से संधि कर अलार्म को 66 में से लोगों ने एशिया को पराजित किया और वह कुत्ते अधिकार वाले सारे छात्र को जर्मनी में मिला मिला लिया | अंत का 18 से 70 में से 2 के युद्ध में फ्रांस को पराजित कर फ्रैंकफर्ट की संधि की गई और अधीनता वाले सारे राज्यों को जर्मनी में मिलाकर जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ |

13. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं परिणामों की चर्चा करें |
उत्तर :- राष्ट्रवाद के उदय एवं विकास के प्रभावी कार्य को एवं शक्तियों की विवेचना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है
(i) सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन 19वीं शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधारों आंदोलनों ने राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की | 22 साल आर्य समाज रामकृष्ण मिशन तथा थियोसोफिकल सोसायटी जैसी संस्थाओं ने हिंदू धर्म में प्रत्याशियों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया और विश्वास धार्मिक कुरीतियां तथा सामाजिक कुप्रथा छुआछूत बाल विवाह दहेज प्रथा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने में इन संस्थाओं ने सराहनीय कार्य किया परिणाम स्वरूप सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रीयता की भावना जनमानस में कूट-कूट कर भरी |
(ii) आर्थिक शोषण- भारत में अंग्रेजी में जो आर्थिक नीतियां बनाई इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय हुआ ब्रिटिश आर्थिक नीति के तहत भारत में भू राजस्व में वृद्धि हुई | इस व्यवस्था का विरोध एक पुराने पुराने जमींदारों ने भी जमा नहीं करने पर उनकी जन्मतिथि के कारण किसानों का दौरा हुआ | एक और उनसे अधिकतम राजस्व वसूला गया तो दूसरी ओर को आधा करने के लिए महाजनी के जाल में फंसते चले गए |

14. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी के योगदान की विवेचना कीजिये|
अथवा, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी सर्वाधिक लोकप्रिय होन क्यों हुए? उनके राजनीतिक कार्यक्रमों पर संक्षिप्त चर्चा करें
उत्तर:- भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में जितना योगदान गाँधी का है संभवत: उतना किसी और भारतीय नहीं है। 1919 ई. से 1947 ई तक या स्वतंत्रता-प्राप्ति आप भारत की राजनीति पर इस प्रकार छाये रहे कि से इतिहासकारों ने इस काल को 'गाँधी युग' नाम दिया है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं।
देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेते हुए उन्होंने अन्य नेताओं का मार्गदर्शन भी किया। आपने अहिंसा की नीति अपनाकर शांतिपूर्ण ढंग से शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार को झुका दिया ।
(i) आपने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कोई सशक्त संघर्ष या क्रांति नहीं की बल्कि असहयोग, सत्याग्रह, बहिष्कार, स्वदेशी आंदोलन आदि शांतिपूर्ण हथियारों का प्रयोग किया।
(ii) आपने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए बहुत प्रयत्न किए ताकि अंग्रेजों द्वारा अपनायी गयी 'फूट डालो और राज करो' की साम्प्रदायिकतापूर्ण नीति सफल न हो सके।
(iv) आपने हरिजनों को पूर्ण सम्मान दिलाया और सदियों से उनके साथ होने वाले अन्याय को दूर किया।
(1) वास्तव में गाँधीजी देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदा तैयार रहते थे। ऐसा करते हुए कई बार गोलियों के बीच जाना पड़ा, कई बार लाठियाँ खानी पड़ी और कई बार जेल जाना पड़ा। फिर
भी वे अपने मार्ग पर डटे रहे और वीर सेनानी की भाँति अपने देश की आजादी की लड़ाई में लगे रहे।
(i) उनके महान नेतृत्व तथा बलिदान के फलस्वरूप अंग्रेज, जिन्होंने जून 1948 ई. को भारत छोड़ने की घोषणा की थी, इससे पहले ही 15 अगस्त, 1947 ई. को छोड़कर यहाँ से चले गए। (ii) यह महात्मा गाँधी ही थे जिन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को जन-आन्दोलन बना दिया।

15. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करें।
अथवा, सविनय अवज्ञा आंदोलन के किन्हीं पाँच कारणों की व्याख्या करें |
उत्तर :- (i) नेहरू रिपोर्ट साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर भारत सचिव लॉर्ड बर्कन हेड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी। उसने कहा कि कमीशन का बहिष्कार करना कोई समझदारी नहीं है, क्योंकि भारतीय स्वयं कोई संविधान नहीं बना सकते । काँग्रेस ने इस चुनौती को स्वीकार किया। 19 मई, 1928 को पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का आधार निश्चित करने के लिए एक समिति नियुक्त की गई। नेहरू रिपोर्ट में 'डोमिनियन स्टेटस' को पहला लक्ष्य एवं पूर्ण स्वराज' को दूसरा लक्ष्य घोषित किया गया। यह रिपोर्ट स्वीकृत नहीं हो सकी। मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा ने सांप्रदायिकता को फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अत: गाँधी ने इससे निबटने के लिए सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
(ii) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा पड़ा। इसके प्रभाव के कारण मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि हुई, भारत का निर्यात कम हो गया, अनेक कारखाने बंद हो गए, पूँजीपतियों की हालत खराब हो गई। किसान तो पहले से ही गरीबी की मार झेल रहे थे। परन्तु, इस परिस्थिति में भी अंग्रेजों ने भारत से धन का निष्कासन बंद नहीं किया। इस कारण पूरे देश में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ वातावरण तैयार होने लगा जिसकी परिणति सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में हुई।
(iii) समाजवाद का बढ़ता प्रभाव इस समय कांग्रेस संगठन के अंदर मार्क्सवादी एवं समाजवादी विचारधारा तेजी से फैल रही थी। काँग्रेस के अंदर वामपंथी विचारधारा का उदय हो रहा था।

16. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ? औद्योगिकीकरण । उपनिवेशवाद को जन्म दिया; कैसे?
उत्तर:- उपनिवेशवाद-उपनिवेशवाद एक ऐसा ढाँचा है जिसके माध्यम से 1। किसी देश का आर्थिक और उसके परिणामस्वरूप राजनैतिक, सामाजिक तथा को सांस्कृतिक शोषण तथा उत्पीड़न पूरा होता है। उपनिवेशवाद वास्तव में साम्राज्यवाद को फलित-फूलित एवं विकसित करने का तरीका है। औद्योगिक क्रांति से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। इन उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय देशों को बाजार की आवश्यकता थी। इन्हीं आवश्यकताओं ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। फलतः, भारत ब्रिटेन का।प्रवेश बना क्योंकि भारत सिफ्र प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधन सम्पन्न देश ही नहीं था, बल्कि एक वृहत् बाजार के रूप में उपलव्य था । नी 18वीं शताब्दी तक भारतीय उद्योग विश्व में सबसे अधिक विकसित थे। औद्योगिकीकरण के पूर्व भारतीय हस्तकला, शिल्प उद्योग तथा व्यापार पर ब्रिटेन का ती कब्जा था। अंग्रेज व्यापारी एजेंट की मदद से यहाँ के कारीगरों को पेशगी की रकमण देकर उनसे उत्पादन करवाते थे। ये एजेंट ही 'गुमाश्ता' कहलाते थे। ये गुमाश्ता मनमाने दामों पर सामान खरीदकर उसका निर्यात इंगलैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों - में करते थे। इस व्यापार से उन्हें काफी लाभ प्राप्त हुआ। इस प्रकार ईस्ट इंडिया । कंपनी का व्यापार पर एकाधिपत्य स्थापित हो चुका था। 1813 ई. में ब्रिटिश संसद ने एक चार्टर ऐक्ट (Charter Act) पारित किया। इस ऐक्ट ने ईस्ट इंडिया कंपनी - का व्यापार पर एकाधिपत्य समाप्त कर दिया और मुक्त व्यापार की नीति (Policy of Free Trade) का अनुसरण किया गया। मुक्त व्यापार की नीति की वजह से भारत में निर्मित वस्तुओं पर ब्रिटेन ने भारी विक्री कर लगा दिया। भारतीय वस्तुओं के निर्यात पर सीमा शुल्क और परिवहन शुल्क भी लगाया गया |

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