Bihar Board Class 10th Social Science Water Resources | बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं सामाजिक विज्ञान | जल संसाधन अतिलघु उत्तरीय प्रश्न और लघु उत्तरीय प्रश्न

Bharati Bhawan
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आतिलघु उत्तरीय प्रश्न 
1.विश्व में उपलब्ध जल का कितना प्रतिशत महासागरों में जमा है ?
उत्तर :- विश्व में उपलब्ध जल का 96.5% महासागरों में पाया जाता है।
2. दिल्ली में 13वीं सदी में जल संग्रहण के लिए बने विशिष्ट तालाब का नाम क्या है?
उत्तर :- दिल्ली में 13वीं सदी में जल संग्रहण के लिए बने विशिष्ट तालाब का नाम हौज-ए-खास है।
3. राजस्थान में भूमिगत टंकियों में एकत्रित वर्षा जल का दूसरा स्थानीय नाम जया है ?
उत्तर :- राजस्थान में भूमिगत टंकियों में एकत्रित वर्षा जल का दूसरा स्थानीय नाम टाँका है।
4. पश्चिमी हिमाचल क्षेत्र में पानी की धारा बदलकर सिंचाई के लिए प्रवाहित करनेवाली प्रणाली का क्या नाम है ?
उत्तर :- पश्चिमी हिमाचल क्षेत्र पानी की धारा बदलकर सिंचाई के लिए प्रवाहित करनेवाली प्रणाली का नाम 'गुल' अथवा 'कुल' है।
5. टिहरी बाँध किस राज्य में स्थित है?
उत्तर :- टिहरी बाँध उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जल किस प्रकार एक दुर्लभ संसाधन है?
उत्तर :- पृथ्वी को जल ग्रह कहा जाता है। परन्तु 96.5% जल सात महासागरों में पाया जाता
है जो यातायात को छोड़कर उपयोगी नहीं है। यह हमारी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता
क्योंकि यह खारा जल है। धरती पर पाए जाने वाले जल में मात्र 2.5% भाग ही उपयोगी है। इसमें भी 70% भाग बर्फ के रूप में ग्रीनलैण्ड, अंटार्कटिका महादेश तथा हिमालय के शिखरों न एवं हिमनदों में पाये जाते हैं शेष 30% जल ही नदी, तालाबों, भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है। वर्षा का जल मीठा होता है। विश्व की कुल वर्षा का 4% जल ही भारत में उपलब्ध होती ना है। भारत में अधिक जनसंख्या के कारण प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता की दृष्टि से भारत का विश्व में 33वाँ स्थान है, एक अन्दाजे के मुताबिक 2025 ई. तक विश्व के अनेक देशों में यजल का अभाव होने लगेगा। भारत को भी इस संकट का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि जल एक दुर्लभ संसाधन है।
2. भारत में जल के प्रमुख स्रोत कौन-कौन हैं ?
उतर :- जल एक महत्वपूर्ण प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है। भारत में जल के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं-
(i) वर्षा- वर्षा जल का सबसे प्रमुख स्रोत है. वर्षा के जल का उपयोग कृषि-कार्यों में किया ना जा सकता है। वर्षा के जल का संरक्षण करके और उसका समुचित उपयोग करके जल की कमी को पूरा किया जा सकता है।
(ii) नदियाँ- नदी भी जल का एक प्रमुख स्रोत है, नदियों के जल को आधुनिक तकनीक की मदद से शुद्ध करके उसे दैनिक जीवन में उपयोग किया जा सकता है। नदियों के जल को पाइप द्वारा खेतों तक पहुँचाकर फसलों का सिंचाई किया जाता है। नदियों के जल का उपयोग नदियों पर बाँध बनाकर किया जाता है। मैदानी इलाकों में ही नदियों से अधिकतर नहरें निकाली गयी हैं। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नदी का उपयोग सिंचाई के लिए बहुत अधिक हुआ है।
(iii) भूमिगत जला—यह भी जल का एक प्रमुख स्रोत है। भूमिगत जल को कुआँ खोदकर निकाला जाता है। भूमिगत जल को झरनों द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है। इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इस जल की सहायता से कृषि कार्य किया जाता है।
(iv) ग्लेशियर—यह भी जल-प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत है। गर्मियों में हिमालय का बर्फ पिघलकर नदियों के पानी को बढ़ाता है। इस जल की सहायता से दैनिक और कृषि कार्य किया जाता है।
(v) झील, तालाब एवं अन्या जलाशय- ये भी जल प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत हैं। इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इस जल की सहायता से कृषि-कार्य और अन्य महत्वपूर्ण क्रिया-कलाप किए जाते हैं।
कए जात हा महत्वपूर्ण क्रिया-कलाप किए जाते है |
3.बहु-उदेशीवानदीघाटी परियोजनाएँ किस प्रकार लाभप्रद हैं? यह भी बताएं किये किसा प्रकार हानिकारक है?
उत्तर :- बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना लाभप्रद है। इसे निम्न विचार-बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है- नदियों पर बाँध (बराज) बनाकर नहरें निकाली जाती हैं जिससे वर्षाभाव के क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
(ii) जल विद्युत उत्पन किया जाता है।
(ii) बाढ़ की रोकथाम करना, मिट्टी के कटाव को रोकना।
(iv) मछलीपालन, यातायात की सुविधा प्राप्त करना।
(v) पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र बनाना आदि।
बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजना के लाभ के साथ-साथ हानियाँ भी हैं। इसे निम्न-विचार-बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है
(i) नदियों पर बाँध बनाने से स्वाभाविक प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जिससे नदी की तली में कचड़े जमा हो जाता है और प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दृश्य बनता रहता है।
(ii) जल प्रदूषण की संभावना बढ़ जाती है। इसका दुष्प्रभाव जलीय जीवों पर पड़ता है।
(iii) इस प्रकार की परियोजना से बड़े पैमाने पर विस्थापन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
(iv) नहरों से अधिक सिंचाई करने पर भूमि की उर्वरता घटने लगती है।
4. नदियों पर बाँध क्यों बनाए जाते हैं ? उसले होने वाले लामों का उल्लेख करो |
उत्तर :- नदियों पर बाँध इसलिए बनाये जाते हैं क्योंकि नदी के जल का समुचित उपयोग किया जा सके। नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं जिससे नदी के जल का समुचित उपयोग हो सके। नदियों पर बाँध बनाने से कुछ लाभों की प्राप्ति होतं जो निम्न हैं-
(i) नदी के जल को बाँध बनाकर खेतों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है जिससे कृषि-कार्य में सुविधा होती है।
(ii) नदियों पर बाँध बनाने से पन-विजली उत्पन्न की जाती है जिसका उपयोग उद्योग-धन्धों में ऊर्जा के रूप में प्रयोग किया जाता है। कम होता है।
(iii) नदियों पर बाँध बनाकर बाढ़ की रोकथाम की जाती है, क्योंकि जल रोकने के लिए नदी पर बराज बनाये जाते हैं।
(iv) नदियों पर बाँध बनाने से मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। इससे भूमि-क्षरण
(v) नदियों पर बाँध बनाकर मछली-पालन का काम भी समुचित मात्रा में किया जाता है जिससे मछली का व्यापार करने वालों को आय की प्राप्ति होती है।
(vi) नदियों पर नहरें निकालकर यातायात की सुविधा बढ़ायी जाती है तथा पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र भी हो जाता है।
5.स्वावता-प्रामिा के बाद भारत में प्रयास बहुदेशीय नदीघाटी परियोजना काल बनी ? उससे कौना दो सान्य अधिक लाभांविताहए?
उतार :- स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारत में प्रथम बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना है। इस परियोजना से दो राज्य झारखण्ड और पश्चिम बंगाल लाभान्वित हुए हैं। 
6.भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन है और बह किस नदी पर है? इससे किस क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिली है? 
उतार :- भारत की सबसे बड़ी नदीघाटी परियोजना भाखड़ा नंगल परियोजना है। यह सतलज नदी पर बनायी गई है। इस परियोजना से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर राज्यों को लाभ मिला है। इससे कृषि और उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं। इस परियोजना से 15 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई कर देश में हरित क्रांति लाने में मदद मिली है। जल विद्युत उत्पादन द्वारा उन राज्यों में लघु एवं कुटीर उद्योग का जाल विछ गया है।
7.- राष्ट्रीय जला संसाधना परिषद के एक महत्वपूर्ण कार्य का उल्लेख करें |
अबवा, भूमिमता जला कानून से किन दो राज्यों में परमति हुई ?
उतर :- राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् ने 9 सितम्बर, 1987 को एक राष्ट्रीय जल-नीति अपनायी थी। यह इसका एक महत्वपूर्ण कार्य माना गया। 2002 ई. में राष्ट्रीय जल-नीति में संशोधन करके नयी नीति बनायी गयी। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
(i)जल की उपलब्धता बनाए रखना
(ii) जल को प्रदूषित होने से बचाना
(iii) प्रदूषित जल को साफ कर उसका बार-बार उपयोग करना।
भूमिगत जल कानून से विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में प्रगति हुयो है। साथ ही मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में भी अधिक प्रगति हुयी है। इन क्षेत्रों में कुआँ और नलकूप के द्वारा भूमिगत जल को ऊपर निकाला जाता है और सिंचाई के काम में उपयोग किया जाता है। परिणामस्वरूप कृषि-कार्य करने में सुविधा होती है जिससे किसानों की आय बढ़ती है और उनकी आर्थिक प्रगति होती है।  
8.जल संकट से आप क्या समझते है ? भारत में पेय जल संकट के कारणों पर प्रकाश डाले |
उत्तर :- स्वेडन के विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार, प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एक हजार बनमीटर से कम जल की उपलब्धता जल संकट की स्थिति होती है। जल का यह संकट जल के अति उपयोग, दुरुपयोग एवं जल के असमान वितरण से उत्पन्न होता है।
भारत एक मॉनसूनी जलवायु वाला देश है। इसलिए कभी-कभी कुछ क्षेत्रों में समुचित मात्रा में वर्षा नहीं हो पाती है जिसक कारण जल संकट उत्पन्न होता है। कृषि तथा उद्योगों के विस्तार से जल का अधिक शोषण होने लगा है जिसके कारण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी प्रकार जल के प्रदूषण से प्रयोग में आने वाले जल का अभाव हो जाता है। इसके अतिरिक्त जल-संग्रह करने की समुचित व्यवस्था नहीं होने से जल की बहुत-सी मात्रा व्यर्थ में बह जाती है जिससे जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
9. हिमालय की नदियों में सदा जल मिलता है, पर प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ ऋतु विशेष में ही जलपूरित रहती हैं। क्यों?
उत्तर :- हिमालय से निकलने वाली नदियों में सदा जल इसलिए मिलता है कि हिमालय का ऊपरी शिखर बर्फ से ढका है। वर्षा जल के अतिरिक्त बर्फ के पिघलने से वर्ष भर उन नदियोंमें जल प्रवाहित होता रहता है। हिमालय से निकलने वाली नदियों का उदगम हिमानी से है इसलिए जल की आपूर्ति होती रहती है। जबकि दूसरी ओर प्रायद्वीपीय पठार में बहने वाली नदियाँ बरसाती हैं, उसमें केवल वर्षा का जल ही प्रवाहित होता है और भारत में वर्षा कुछ महीने ही होती है। शेष समय नदियाँ सूख जाती हैं। उसमें जल की आपूर्ति नहीं होती है और जल प्रवाहित नहीं होता है।
10. जीवन में जले का क्या महत्त्व है?
उत्तर :- कहा जाता है कि जीवन की उत्पत्ति पहले पहल जल में ही हुयी और बाद में जल से स्थल पर पहुंची। जल है। तो जीवन है फसलों, जीव-जन्तु का अस्तित्व जल पर है। कल-कारखानों, औद्योगिक नगरों, मानव बस्तियों में जल की आपूर्ति आवश्यक है। जल से विद्युत उत्पन्न किया जाता है। जलीय क्षेत्रों से यातायात का काम लिया जाता है। जलाशयों से सिंचाई की जाती है। सिंचाई के बल पर उत्पन कृषि का विकास किया गया है। बड़े-बड़े उद्योगों में जल का उपयोग किया जाता है। जलीय भागों से मत्स्य की प्राप्ति की जाती है। इस प्रकार जीवन में जल का महत्व अत्यधिक है। इसके बिना जीवन रूपी गाड़ी नहीं चल सकती। हमारे शरीर में लगभग 70% भाग जल है। अत: कहा जा सकता है कि जीवन में जल का बहुत अधिक महत्व है।
11.बताएं कि जल किस प्रकार नवीकरणीय संसाधन है?
उत्तर :- जल का नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है। सम्पूर्ण जल नवीकरण योग्य है और जल चक्र में गतिशील रहता है। इसलिए नवीकरण सुनिश्चित होता है।
जलीय चक्र- (i) सूर्य की गर्मी के कारण जल का वाष्पीकरण होता है। जलवाष्प हवा में संघनित होकर बादलों में बदल जाता है।
(ii) यह संघनित जलवाष्प वर्षा अथवा बर्फ के रूप में धरती पर गिरता है।
(iii) धरती से जल दुबारा सागरों में पहुंचता है फिर जल का वाष्पीकरण होता है। इस प्रकार जलीय चक्र सदैव गतिशील रहता है।

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