Header Ads Widget

New Post

6/recent/ticker-posts
Telegram Join Whatsapp Channel Whatsapp Follow

आप डूुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है Bharati Bhawan और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

Class 9th Bharati Bhawan Economics Chapter 1 Bihar ke ek Gav ki kahani | भारती भवन अर्थशास्त्र अध्याय 1 बिहार के एक गांव की कहानी | अति लघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th Bharati Bhawan Economics Chapter 1 Bihar ke ek Gav ki kahani | भारती भवन अर्थशास्त्र अध्याय 1 बिहार के एक गांव की कहानी | अति लघु उत्तरीय प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. उत्पाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- उत्पाद का अर्थ आर्थिक उपयोगिता ओं का सृजन करना है|
2. उत्पादन क्रिया को संचालित करने के लिए किन-किन साधनों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर :- उत्पादन किया को संचालित करने के लिए प्राकृतिक साधन, मानवीय श्रम तथा धन या पूंजी की आवश्यकता होती है|
3. ग्रामीण परिवारों के अधिकांश उत्पादन क्रियाएं किस व्यवसाय से संबंधित होती है ?
उत्तर :- कृषि
4. उत्पाद का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर :- उत्पादन का उद्देश्य मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करना होता है|
5. उत्पादन के विभिन्न साधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :- भूमि एवं पूंजी तथा संगठन एवं साहस उत्पादन के विभिन्न साधन है जिस के सहयोग से वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन होता है|
6. अचल पूंजी और कर्मशील पूंजी में अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर :- अचल पूंजी अस्थाई और टिकाऊ होती है तथा इसका उत्पादन में कई बार प्रयोग किया जाता है,
जबकि कार्यशील पूंजी वह है जिसका उत्पादन कार्य में का केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है|
7. मानवीय पूंजी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- मानवीय पूंजी से हमारा अभिप्राय किसी व्यक्ति के उन निजी गुणों से है जो उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं|
8. कृषि उत्पादन में वृद्धि के क्या उपाय हैं ?
उत्तर :- कृषि उत्पादन में वृद्धि के उपाय है बहु फल कृषि तथा नवीन एवं आधुनिक पद्धति का प्रयोग|
9. बहु फल कृषि क्या है ?
उत्तर :- जब कृषि भूमि पर एक से अधिक फसलों का उत्पादन किया जाता है तो इसे बहू फसल किसे कहते हैं|
10. बिहार में सिंचाई के मुख्य साधन क्या है ?
उत्तर :- वर्षा एक मात्र साधन है|
11. क्या बिहार के सभी गांव में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध है ?
उत्तर :- बिहार के सभी गांव में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है तथा राज्य की लगभग 51% कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है||
12. भारत में कृषि की नवीन पद्धति कब अपनाई गई ?
उत्तर :- भारत में कृषि की नवीन पद्धति 1966-67 में अपनाई गई|
13. भूमि की उत्पादकता में किस प्रकार वृद्धि लाई जा सकती है ?
उत्तर :- कृषि की नवीन एवं आधुनिक पद्धति को अपनाकर लाई जा सकती है|
14. बिहार में रासायनिक खादों के प्रयोग से संबंधित मुख्य कठिनाई क्या है ?
उत्तर :- गरीबी
15. कृषि श्रम की आपूर्ति कौन करता है ?
उत्तर :- कृषि श्रम की आपूर्ति भूमिहीन ग्रामीण परिवारों अथवा सीमांत किसानों द्वारा की जाती है|
16. कृषि श्रमिकों को किस रूप में मजदूरी दी जाती है ?
उत्तर :- कृषि श्रमिकों को नगद या अनाज अथवा दोनों के रूप में मजदूरी दी जाती है|
17. किसान अपनी अतिरिक्त उपज का क्या करते हैं ?
उत्तर :- किसान अपनी अतिरिक्त को ऊपर का विक्रय करते हैं|
18. फल तथा सब्जी के उत्पादन में बिहार का देश में क्या स्थान है ?
उत्तर :- बिहार का फल उत्पादन में दूसरा तथा सब्जी उत्पादन में पहला स्थान है|
19. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है ?
उत्तर :- बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं इससे संबंधित क्रियाकलापों के लोगों का मुख्य व्यवसाय है|
20. उत्पादन तथा उपभोग में क्या अंतर है ?
उत्तर :- उत्पादन के द्वारा उपयोगिता ओं का सृजन होता और उपभोग से यह उपयोगिता नष्ट हो जाती है|
21. आर्थिक क्रियाकलापों का क्या उद्देश्य होता है ?
उत्तर :- आर्थिक क्रियाकलापों का उद्देश्य विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना होता है जो हमारी आवश्यकता को पूरा करती है|
22. पूंजी का अर्थ स्पष्ट करें ?
उत्तर :- कुंजी व संपत्ति है अथवा धन है जो वस्तुओं एवं सेवाओं या आए के उत्पादन में सहायक होती है|
23. उत्पादन के दो सबसे महत्वपूर्ण साधन कौन से हैं ?
उत्तर :- भूमि और चरण उत्पादन के दो सबसे महत्वपूर्ण साधन है जिन के अभाव में किसी भी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है|
24. उपभोग की वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- उपभोग की वस्तुएं हुए हैं जिनका प्रत्यक्ष रूप से मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए उपयोग होता है|
25. उत्पादक वस्तुएं क्या है ?
उत्तर :- उत्पादक वस्तुएं उन वस्तुओं को कहते हैं जिनका प्रयोग अधिक उत्पादन अथवा आय प्राप्त करने के लिए किया जाता है|
26. जाल टिकाऊ वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : -गैर टिकाऊ या एकल प्रयोग की वस्तुएं हुए हैं जिनका हमारी आवश्यकता की पूर्ति के लिए केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है, जैसे खाद एवं पेय पदार्थ|
27. टिकाऊ वस्तु में क्या है ?
उत्तर :- टिकाऊ वस्तु हुए हैं जिनका एक लंबे समय तक उपभोग किया जाता है, जैसे साइकिल घड़ी टेलीविज़न इत्यादि|
28. भूमि की उत्पादकता में किस प्रकार वृद्ध लाई जा सकती है ?
उत्तर :- कृषि की नवीन एवं आधुनिक पद्धति को अपनाकर भूमि की उत्पादकता में वृद्धि लाई जा सकती है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. रामपुर गांव की आर्थिक संपन्नता का चरण क्या है ?
उत्तर :- रामपुर उत्तर बिहार का एक संपन्न गांव है| इस गांव की संपन्नता के कई कारण है बाढ़ उत्तर बिहार की एक स्थाई समस्या है| लेकिन यह गांव बाढ़ की विभीषिका से मुक्त है| विभिन्न प्रकार की कृषि फसलों का उत्पादन करने के साथ ही यहां के कई किसान बागवानी भी करते हैं| इस प्रकार बागवानी यहां के किसानों की आय का एक अतिरिक्त स्रोत है| रामपुर गांव की स्थिति भी अधिक सुविधाजनक है| यहां के अधिकांश कृषि कार्यों में संलग्न है तथा या उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है| गांव के अन्य निवासी छोटे-मोटे विनिर्माण उद्योग दुग्ध उत्पादन मुर्गी पालन मत्स्य पालन तथा परिवहन आदि जैसे कार्यों में लगे होते हैं|
2. उत्पादन के तीन प्रमुख साधन कौन से है ?
उत्तर :- (i) भूमि:- भूमि उत्पादन की पहली आवश्यकता है| भूमि को उत्पादन का मौलिक साधन कहा गया है| साधारणतया भूमि का अर्थ जमीन की ऊपरी सतह से लगाया जाता है|
(ii) श्रम :- उत्पादन के साधनों में श्रम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| श्रम के बिना किसी भी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है|
(iii) भौतिक पूंजी:- आधुनिक उत्पादन व्यवस्था में पूंजी का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है तथा इसके अभाव में किसी भी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है भौतिक पूंजी दो प्रकार की होती है चल पूंजी तथा चल पूंजी|
3. विस्तृत कृषि एवं गहन कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- विस्तृत कृषि के अंतर्गत कृषि की उपज बढ़ाने के लिए नई भूमि पर खेती की जाती है| इसके विपरीत जब भूमि के एक निश्चित टुकड़े पर ही अधिकतर में पूंजी तथा आधुनिक उपकरणों एवं तरीकों आदि के प्रयोग द्वारा किसी के उत्पादन को बढ़ाया जाता है| तब इसे गहन कृषि की संज्ञा दी जाती है कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए दोनों ही तरीकों का प्रयोग किया जा सकता है|
4. कीर्ति की नवीन तकनीकी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- हमारे देश में कृषि की नवीन तकनीकी वर्ष 1966-67 में अपनाई गई| जिससे अधिक उपज देने वाला कार्यक्रम की संज्ञा दी गई है| इसके अंतर्गत भारतीय किसान चावल गेहूं मकई आदि खाद्द पदों के लिए अधिक उपज देने वाली किस्म के बीजों का प्रयोग करने लगे | इन बीजों के प्रयोग से कृषि की उपज में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है परंतु अधिक उपज देने वाले बीजों से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था रासायनिक खादों तथा फसलों को उत्पन्न रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक औषधियों का प्रयोग अनिवार्य है | कृषि की नवीन तकनीक से हमारा भी प्राय उन सभी तत्वों से है जो कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए आवश्यक है|
5. आधुनिक कृषि के लिए अधिक उपज देने वाले बीजों का क्या महत्व है ?
उत्तर :- आधुनिक कृषि के लिए अधिक उपज देने वाले उन्नत किस्म के बीजों का विशेष महत्व है| पारंपरिक बीजों की अपेक्षा नई उन्नत किस्म के बीजों से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में दोगुनी या उससे भी अधिक वृद्धि संभव है| डॉक्टर एवं स्वाभिमान आज के अनुसार पारंपरिक बीजों द्वारा प्रति हेक्टेयर केवल चार से पांच मैट्रिक टन उत्पादन संभव है किंतु नए उन्नत किस्म के बीजों के प्रयोग से प्रति हेक्टेयर 8 से 10 मेट्रिक टन का उत्पादन किया जा रहा है उन्नत किस्म के बीजों के अविष्कार से ही 1967-68 के बाद हमारे देश के खाद्यान्न उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे एक हरित क्रांति की संज्ञा दी जाती है|
6. भूमि के एक निश्चित टुकड़े से ही किन तरीकों द्वारा उत्पादन में वृद्धि संभव है ?
उत्तर :- भूमि के एक निश्चित टुकड़े पर बहु फल कार्यक्रम को अपनाकर तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि का एक अन्य तरीका नवीन एवं आधुनिक पद्धति का प्रयोग है तथा इसके प्रयोग से ही कृषि उत्पादन में यथोचित वृद्धि संभव है|
7. बिहार में सिंचाई के मुख्य साधन क्या है एक य राज्य के जल संसाधनों का सिंचाई के लिए पूर्ण उपयोग हुआ है ?
उत्तर :- (i) कुए :- कुए सिंचाई के पुराने साधन है बिहार में कुएं द्वारा सिंचाई का कार्य उत्तर तथा मध्य बिहार के मैदानी भागों में होता है| इस भूभाग की मिट्टी अत्यंत मुलायम है इससे कुओं का निर्माण कम खर्च में आसानी से किया जा सकता है| किसान पढ़ाया अपनी निजी पूंजी लगाकर हुए खुद बातें हैं परंतु कुएं बहुत अधिक भूमि की सिंचाई संभव नहीं है|
(ii) नलकूप :- यह भूमिगत जल के प्रयोग का एक वैज्ञानिक तथ्य तरीका है| जिसका प्रयोग लगातार बढ़ रहा है कुवे की अपेक्षा नलकूप द्वारा भूमि के एक बहुत बड़े भाग में सिंचाई की जा सकती है| किसानों को नलकूप दुआ लगाने के लिए सरकार कर्ज एवं अधिक सहायता प्रदान करते हैं|
(iii) नहरे :- सिंचाई के साधनों में नहरों का विशेष महत्व है| राज्य की कुल संचित भूमि के लगभग 30% भाग में नहरों से सिंचाई होती है, बिहार के अधिकांश नहर अस्थाई है,
बिहार में सिंचाई के लिए जल संसाधनों की कमी नहीं है| हमारी सिंचाई की कुल अनुमानित क्षमता लगभग एक सौ 102 लाख हेक्टेयर है जो राज्य की कुल कृषि योग्य भूमि से बहुत अधिक है लेकिन हमारे सिंचाई साधनों का एक पूर्ण एवं समुचित उपयोग नहीं हुआ है| वर्तमान में बिहार में नलकूपों द्वारा सबसे अधिक सिंचाई की जाती है जो कुल सिंचित भूमि का लगभग 63% है|
8. क्या बिहार में उर्वरकों का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग होता है ?
उत्तर :- कृषि के उपजाऊ ओपन को बनाए रखने तथा उसकी उत्पादकता में वृद्धि के लिए भूमि में खाद देना आवश्यक है| परंपरागत रूप से हमारे राज्य के किसान खाद के लिए गोबर हड्डी पेड़ पौधे के पत्तों आदि जैविक पदार्थों का प्रयोग करते रहे हैं परंतु किसी की नवीन पदा पद्धति के आगमन के बाद सबसे रासायनिक खाद का भी प्रयोग करने लगे हैं| विगत वर्षों के अंतर्गत बिहार में उर्वरकों के उपयोग में निरंतर वृद्धि हुई है|
बिहार में उर्वरकों के प्रयोग से संबंधित एक प्रमुख कठिनाई यह है कि यहां के किसान पराया बिना मिट्टी जांच के ही इनका प्रयोग करते हैं| प्रत्येक फसल के लिए अलग-अलग उर्वरक की आवश्यकता होती है पर आया ऐसा देखा गया है कि कई बार किसान ऐसे खाद का प्रयोग करते हैं जिनकी फसल के लिए कोई जरूरत नहीं होती है
9. बिहार के किसानों में भूमि का वितरण किस प्रकार हुआ है क्या यह न्यायउचित है ?
उत्तर :- हमारे राज्य में कृषि के पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण यहां की वर्तमान भूमि व्यवस्था है बिहार में भूमि का वितरण बहुत ही आसान है जो राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त आर्थिक विषमता का परिचायक है| बिहार सरकार के 2006-7 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 20% कृषि योग्य भूमि पर 25% मध्यम एवं बड़े किसानों का अधिकार है| इसके विपरीत मात्र 36% कृषि भूमि 80% सीमांत किसानों के स्वामित्व में है जिनकी जोत का आकार 1 हेक्टेयर से भी कम है| यह किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है तथा राज्य के कृषि उत्पादन पर एक प्रतिकूल प्रभाव हुआ है |
10. कृषि श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम से कम क्यों होती है ?
उत्तर :- श्रम की आपूर्ति भूमिहीन ग्रामीण परिवारों तथा सीमांत किसानों द्वारा की जाती है जिनकी भूमि जीविकोपार्जन के लिए पर्याप्त नहीं है| कृषि श्रमिकों को काम पर लगाने वाले किसान उन्हें मजदूरी का भुगतान करते हैं तथा इनकी दरें प्रायः न्यूनतम से कम होती है| इसके कई कारण है भारतीय कृषि की प्रकृति मौसमी होने के कारण कृषि श्रमिकों को पूरे वर्ष काम ना मिलकर कुछ विशेष मौसम में ही काम मिल पाता है| जब तक कृषि कार्य होते हैं तब तक इन लोगों को काम मिलता है लेकिन किसी का मौसम समाप्त होते ही बेरोजगार हो जाते हैं| अतः कृषि श्रमिक हमेशा काम की खोज में रहते हैं और कम मजदूरी पर भी काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं| कृषि का यंत्रीकरण होने से भी उनके लिए रोजगार के अवसरों में कमी आई है| क्षेत्र में रोजगार का अभाव होने के कारण हुए उचित मजदूरी के लिए मोलभाव करने में असमर्थ होते हैं| सरकार ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत कृषि श्रमिकों के लिए भी मजदूरी की न्यूनतम दरें निश्चित कर दी है परंतु व्यवहार में इनका पालन नहीं होता है और उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी बहुत कम मजदूरी मिलती है| कृषि श्रमिकों में संगठन का अभाव भी उनकी मजदूरी न्यूनतम से कम होने का एक प्रमुख कारण है|
11. छोटे किसानों को कृषि कार्यों हेतु पूंजी किस प्रकार प्राप्त होती है यह बड़े किसानों से किस प्रकार भिन्न है होती है ?
उत्तर :- हमारे देश के अन्य भागों के समान ही बिहार में भी छोटे किसानों की प्रमुखता है| उनकी आय बहुत कम होती है तथा उनके पास निजी पूंजी का सर्वथा अभाव होता है| इस प्रकार के छोटे किसान भी कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है परंतु इसके लिए उन्नत बीज खाद तथा कोर्ट नाशक औषधियों का प्रयोग करना पड़ता है और सिंचाई की समुचित व्यवस्था करनी होती है| इन सभी कार्यों के लिए राज्य के किसानों को पर्याप्त है अथवा साख की आवश्यकता होती है| सरकार अनुमानों के अनुसार अभी बिहार के किसानों को केवल फसलों के उत्पादन के लिए 10000 करोड रुपए से अधिक साथ की जरूरत होती है परंतु बैंकिंग संस्थाएं इनकी साथ संबंधी आवश्यकताओं का एक तिहाई भी पूरा नहीं कर पाते हैं छोटे किसानों को बैंक आदि से ऋण मिलने में बहुत विलंब भी होता है| अतः हुए बड़े किसानों महाजनों या साहूकारों से बहुत ऊंची कूद पर पूंजी उधार लेने के लिए बाध्य होते हैं| कई बार महाजनों या साहूकारों से शुद्ध अथवा ब्याज की दर 20 से 25% तक होती है जो निश्चय ही बहुत अधिक है इस प्रकार के ऋणों को लौटाना किसानों के लिए कठिन होता हैं|
छोटे किसानों की तुलना में मध्यम एवं बड़े किसानों की स्थिति संतोषजनक है उन्हें ऋण देने में पूंजी वापस नहीं लौट आने का खतरा कम रहता है| अतः बड़े किसानों को बैंक सहकारी संस्थाओं आदि से सुगमता पूर्वक कुंजी उधार मिल जाती है|
12. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार की गैर कृषि क्रियाएं होती है ?
उत्तर :- बिहार के ग्रामीण परिवारों का मुख्य व्यवसाय कृषि है| राज्य की संपूर्ण जनसंख्या का लगभग 75% अपने जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर निर्भर है परंतु कुछ ग्रामीण परिवार यार कृषि कार्यों में भी संलग्न है| इनमें दूध उत्पादन अथवा डेयरी उद्योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण है यह उद्योग बहुत पूर्व से ही छोटे किसानों की आय का एक अतिरिक्त स्रोत रहा है| विगत वर्षों के अंतर्गत डेयरी उद्योग का विकास होने से अब कई ग्रामीण परिवारों में इसे पूर्णकालिक व्यवसाय के रूप में अपना लिया है|
विनिर्माण उद्योग विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं| शहरों तथा औद्योगिक केंद्रों में इस प्रकार का उत्पादन वृहत पैमाने पर आधुनिक कारखानों में होता है परंतु बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई उद्योग बहुत छोटे पैमाने पर चलाए जाते हैं| इनमें हथकरघा उद्योग खादी उद्योग तथा चर्म उद्योग महत्वपूर्ण है|
हमारे आर्थिक और सामाजिक जीवन में परिवहन अथवा यातायात के साधनों का अत्यधिक महत्व है विगत वर्षों में हमारे राज्य में परिवहन सेवा में लगे व्यक्तियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है| ऐसे प्रकार की परिवहन सेवाओं का आसपास के गांवों तथा निकटवर्ती कस्बों और शहरों में यात्रियों के आगमन तथा माल ढोने के लिए प्रयोग करता है|
13. गांव में गैर कृषि क्रियाओं को प्रारंभ करने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर :- बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषि क्रियाकलापों को प्रोत्साहित करने के लिए यहां के परंपरागत उद्योगों का पुनर्वास तथा कृषि जने उद्योगों का विकास आवश्यक है| हमारे राज्य के ग्रामीण उद्योग में हथकरघा उद्योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| हथकरघा वस्त्र देश में ही नहीं वरन विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं तथा इस इनकी मांग निरंतर बढ़ रही है परंतु इस उद्योग की अनेक समस्याएं हैं| पूंजी का अभाव होने के कारण हथकरघा क्षेत्र के बुनकरों को उन्नत किस्म के कार्य उपलब्ध नहीं है| इस उद्योग की दूसरी समस्या बहुत आपूर्ति की है जो अत्यंत अपर्याप्त है| हथकरघा उद्योग को अपनी वस्तु के विपणन तथा यातायात की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है| इससे उद्योग के विकास के लिए जिन समस्याओं का निराकरण आवश्यक है| उसी प्रकार खादी एवं ग्रामोद्योग क्षेत्र खादी खादी वस्त्र के अतिरिक्त कई प्रकार के हस्तशिल्प उत्पादों का उत्पादन करता है| इनकी देश और विदेश में काफी मांग है इन उद्योगों को उचित प्रोत्साहित देकर इनके बाजार का बहुत विस्तार किया जा सकता है|
बिहार के ग्रामीण इलाकों में कई प्रकार के कृषि जने उद्योगों को विकसित करने की भी अपार संभावनाएं हैं| फल और सब्जी के उत्पादन में बिहार देश का एक अग्रणी राज्य है| यह प्रतिवर्ष लगभग 8600000 टन सब्जी और 4000000 टन फल का उत्पादन होता है लेकिन उचित रखरखाव के अभाव में राज्य में उचित उत्पादित फल एवं सब्जी का लगभग 30% नष्ट हो जाता है| इस प्रकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विकसित करने से ज्ञान कृषि क्रियाकलापों से विस्तार में बहुत सहायता मिलेगी|
14. दुग्ध उत्पादन के विकास से बिहार के ग्रामीण में किस प्रकार प्रभावित हुए हैं ?
उत्तर :- प्राचीन काल से ही हमारे देश के ग्रामीण जीवन में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है| यह किसी कार्य में सहायक होते हैं तथा इनसे किसानों को कुछ अतिरिक्त आय भी हो जाती है| बिहार के आर्थिक जीवन में पशुधन का महत्व और भी अधिक है देश के कई अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार में गाय और भैंस की संख्या बहुत अधिक है| कुछ समय पूर्व बिहार राज्य सहकारी दूध उत्पादक संघ की स्थापना से इस उद्योग को बहुत प्रोत्साहन मिला है| अब ग्रामीण क्षेत्र के कई निवासियों ने इसे पूर्णकालिक व्यवसाय के रूप में भी अपना लिया है इससे उनके परिवार की अतिरिक्त स्थिति में सुधार हुआ है|
15. बिहार में बागवानी के विकास की क्या संभावनाएं हैं इसके विकास के लिए सरकार की वर्तमान नीति क्या है? 
उत्तर :- बागवानी फसलों में फल सब्जी सजावटी फूल औषधीय पौधे मसाले आदि प्रमुख है| बिहार देश में फल एवं सब्जी का एक प्रमुख उत्पादन राज्य है| फल और सब्जी के प्रमुख राष्ट्रीय उत्पादन में इसका लगभग 10 और 7% योगदान होता है लीची के उत्पादन में भारत का चीन के बाद विश्व में दूसरा स्थान है| देश के कुल लीची उत्पादन का लगभग 70% बिहार में होता है तथा इसके उत्पादन में मुजफ्फरपुर क्षेत्र अग्रणी है| मुजफ्फरपुर जिले के लगभग 2000 किसान लीची का उत्पादन करते हैं अमरूद, केला और मखाना बिहार के अन्य प्रमुख फल है जिनका राज्य में बड़े पैमाने पर उत्पादन होते हैं|
इस प्रकार बिहार में बागवानी के विकास की अपार संभावनाएं वर्तमान है राज्य सरकार यहां के फल फलों में मखाना रिलीज की और आम के उत्पादन तथा उन्नत किस्मों के विकास के लिए प्रयत्नशील है| राष्ट्रीय सम विकास योजना के अंतर्गत उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर दरभंगा समस्तीपुर तथा मधुबनी जिला में बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा आर्थिक सहायता दी जा रही है| सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में राज्य में 30% भूमि को अन्य फसलों के उत्पादन से हटाकर बागवानी का विस्तार करना है|
16. बिहार में ग्रामीण साख की आवश्यकता की विवेचना कीजिए इसके मुख्य स्रोत क्या है ?
उत्तर :- प्रायः सभी उत्पादन कार्यों के लिए साथ या ऋण की आवश्यकता होती है| ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य तैयार कृषि कार्यों के संपादन तथा कृषि के संबंध ग्रामीण उद्योगों के लिए सात की मांग की जाती है| एक कृषि प्रधान राज्य होने पर भी बिहार की कृषि अत्यंत पिछड़ी हुई अवस्था में है| हमारे राज्य में कृषि विकास की संभावनाएं बहुत अधिक है बिहार की भूमि बहुत उर्वर है| वस्तुत उतरी बिहार विश्व के सर्वाधिक उपज भागों में से एक है परंतु पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में राज्य में कृषि की नई तकनीक का प्रयोग करना है तथा कृषि का विकास संभव नहीं है|
बिहार में ग्रामीण साख के संस्थागत स्रोतों में व्यवसायिक बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी समितियां महत्वपूर्ण है| राष्ट्रीयकरण के पश्चात लगभग 60% व्यवसायिक बैंकों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में हुई है परंतु अन्य विकसित राज्यों की अपेक्षा बिहार में व्यवसायिक बैंकों का साख जमा अनुपात बहुत कम है| अतः इनके द्वारा कीर्ति को दिए जाने वाले ऋण की मात्रा में विशेष वृद्धि नहीं हुई है| बिहार में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 1975 से कार्यरत है तथा इन बैंकों की लगभग दो हजार साथ आएं हैं परंतु बिहार के लगभग सभी ग्रामीण बैंक अवस्था में है| जिन्हें रिजर्व बैंक ने पुनः स्थापित करने का सुझाव दिया है बिहार राज्य में सहकारी समितियों के पास भी संसाधनों का अभाव है तथा इनकी स्थिति संतोषजनक नहीं है हमारे राज्य में ग्रामीण साख का मात्रा 14% ही सहकारी समितियों से प्राप्त होता है|
इस प्रकार बिहार मैं ग्रामीण साख के संस्थागत साधनों का अभाव होने के कारण किसानों को पराया निजी माध्यमों से ऋण लेना पड़ता है इनमें वहां जाएं और साहूकार प्रमुख है|
17. उत्पादन की परिभाषा दीजिए |
उत्तर :- उत्पादन का अर्थ किसी नए पदार्थ का निर्माण करना नहीं है बल्कि इसका अर्थ प्रकृति द्वारा उपलब्ध किए गए| वस्तुओं में मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के करने की क्षमता या गुण में वृद्धि करना है| एली के अनुसार आर्थिक उपयोगिता ओं का निर्माण अथवा सृजन करना है उत्पादन है|
18. उत्पादन के महत्व पर प्रकाश डालें |
उत्तर :- उत्पादन व्यक्ति तथा समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण है| उत्पादन के हम द्वारा हमारी आवश्यकता की पूर्ति संभव है| व्यक्ति तथा समाज दोनों ही आवश्यक अदाओं को उत्पादन के द्वारा ही पूरा किया जा सकता|
हमारे रहन-सहन का स्तर भी उत्पादन पर निर्भर है उत्पादन अधिक होने पर व्यक्ति तथा समाज दोनों की आय अधिक होती है| व्यक्ति तथा समाज दोनों की आर्थिक समृद्धि उत्पादन पर निर्भर है|
19. भूमि से आप क्या समझते हैं 
उत्तर :- भूमि का अर्थ केवल जमीन की ऊपरी सतह से नहीं है बल्कि उन सभी पदार्थों तथा शक्तियों से है| जिन्हें प्रकृति में भूमिगत जल वायु प्रकाश तथा गर्मी के रूप में मनुष्य की सहायता के लिए निशुल्क प्रदान किया है| इस प्रकार भूमि के अंतर्गत जमीन पर पाए जाने वाले जंगल, पहाड़, समुद्र, नदियां, झील, खनिज पदार्थ, वर्षा जल, वायु आदि सभी वस्तुएं आती है जो प्रकृति ने हमें निशुल्क प्रदान किया है|
20. श्रम क्या है उत्पादन के संसाधनों में श्रम किस प्रकार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है 
उत्तर :- कोई भी कार्य चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक यदि आर्थिक लाभ या आय प्राप्त करने के लिए किया जाता है तो वह शर्म की श्रेणी में आएगा|
उत्पादन के संसाधनों में शर्म सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि शर्म के बिना किसी भी प्रकार का उत्पादन संभव नहीं है| श्रम के साथ भूमि भी उत्पादन के लिए अनिवार्य है लेकिन श्रम का महत्व भूमि से अधिक है| क्योंकि भूमि निष्क्रिय है शर्म ही भूमि को कार्यशील बनाता है तथा उत्पादन करता है|
21. उत्पादन तथा अनुउत्पादक समूह में अंतर बताएं |
उत्तर :- जिस मानवीय श्रम के द्वारा धर्म के उत्पादन में सहायता मिलती है या किसी आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति होती है उसे उत्पादक श्रम कहते हैं| जिस शर्म से धान का उत्पादन नहीं होता है या जिसके बदले कोई पुरस्कार नहीं मिलता है उसे हम अनुउत्पादक श्रम कहत हैं|
22. पूंजी क्या है चल पूंजी तथा अचल पूंजी में अंतर बताएं |
उत्तर :- पूंजीवाद धन है जो आए अथवा अधिक संपत्ति के उत्पादन में सहायता करती है| इस प्रकार पूंजी के अंतर्गत केवल द्रव्य बहुमूल्य पदार्थ ही नहीं बल्कि मशीन और जार खाद बीज आदि भी आते हैं क्योंकि यह आय प्राप्त करने में सहायक होते हैं|
चल पूंजी वह है जिसका उत्पादन कार्य में केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है| जैसे कोयला, खाद, बीज इत्यादि| स्थाई और टिकाऊ होती है इस पूंजी का उत्पादन कार्य में कई बार प्रयोग किया जा सकता है| जैसे कारखाने का भवन इत्यादि|
23. भूमि तथा पूंजी में अंतर कीजिए |
उत्तर :- भूमि तथा पूंजी दोनों है उत्पादन के निष्क्रिय साधन है लेकिन इनमें कई मौलिक और समानताएं हैं| भूमि प्रकृति की निशुल्क देने हैं लेकिन पूंजी मानव कृत है| पूंजी का मनुष्य स्वयं अपने परिश्रम से निर्माण करता है| प्रकृति प्रदत्त होने के कारण भूमि की मात्र हमेशा के लिए सीमित है| जलवायु बढ़ता सूरज की रोशनी भूमि के क्षेत्रफल तथा भूमि की स्थिति के मनुष्य कोई परिवर्तन नहीं कर सकता लेके पूंजी की पूर्ति में परिवर्तन संभव है| भूमि तथा स्थित है इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं ले जाया जा सकता है लेकिन पूंजी गतिशील है इससे बहुत आसानी से एवं सुगमता पूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है|
24. कृषि उत्पादन में वृद्धि के क्या उपाय हैं? 
उत्तर :- हमारे देश तथा राज्य में विस्तृत कृषि की कोई संभावना नहीं है| अतः यहां के किसान अपनी उपलब्ध भूमि से ही कृषि उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं| जिससे एक गहन कृषि की संज्ञा दी जाती है इसके अंतर्गत भूमि के एक निश्चित टुकड़े पर ही एक से अधिक फसल उगाई जाती है| कृषि उत्पादन में वृद्धि का एक अन्य तरीका नवीन एवं आधुनिक पद्धति का प्रयोग है तथा इसके प्रयोग से ही कृषि उत्पादन में यथोचित वृद्धि संभव है|
25. बिहार में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना क्यों महत्वपूर्ण है ?
उत्तर :- बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है या तथा कृषि एवं इससे संबंधित क्रियाकलापों यहां के निवासियों के जीविकोपार्जन की मुख्य साधन है, परंतु हमारे राज्य की स्थिति अत्यंत पिछड़ी हुई अवस्था में है और इसकी उत्पादकता बहुत कम है| इसका एक प्रमुख कारण बिहार में सिंचित सुविधाओं का अभाव है यहां की कुल कृषि योग्य भूमि के 49% भाग में ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध है| शेष कृषि योग्य भूमि वर्षा द्वारा प्राप्त जल पर निर्भर है जो अपर्याप्त निश्चित और और माइक होता है इससे किसी की भी और निश्चित हो जाती है| अतः कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने और वर्षा पर उसकी निर्भरता कम करने के लिए सिंचित क्षेत्र का विस्तार आवश्यक है|
26. बिहार के छोटे और सीमांत किसान महाजनों या साहूकारों से पूंजी उधार लेने के लिए क्यों बाध्य होते हैं?
उत्तर :- बिहार में व्यवसायिक बैंक ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक कीर्ति के लिए संस्थागत साख के मुख्य स्रोत हैं लेकिन इनसे छोटे और सीमांत किसानों की ऋण संबंधी| आवश्यकताओं की बहुत कम पूर्ति हो पाती है इसका मुंह पर मुख्य कारण यह किसानों के पास है जमानत आदि का अभाव होना है| अतः वे अपनी साख की आवश्यकता की पूर्ति के लिए महाजनों या साहूकारों से उधार लेने के लिए बाध्य होते हैं| इन से ऋण लेने के लिए जमानत आदि की कोई अभाव नहीं होती तथा किसान इनके पास आसानी से किसी भी समय पहुंच सकता है| महाजनों से कर्ज देने का तरीका भी सीधा और लोचदार होता है यही कारण है कि ग्रामीण साख में महाजनों और साहूकारों के आज भी प्रमुखता है|
27. उपभोग की वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में अंतर कीजिए |
उत्तर :- उपभोग की वस्तुएं वह है जिनका प्रत्यक्ष रुप से मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए उपयोग उपभोग करता है| खाद्य एवं पेय पदार्थ इत्यादि उपभोग की जड़ टिकाऊ वस्तु है हैं जिनका हमारी आवश्यकता पूर्ति के लिए केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है| इसके विपरीत रहने का मकान रेडियो आदि टिकाऊ वस्तु है| इस प्रकार की वस्तुओं का एक लंबे समय तक उपयोग किया जाता है|
उत्पादक वस्तुएं वह है जो अन्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की में प्रयुक्त होती है| उत्पादक वस्तुएं भी ज्ञात टिकाऊ तथा टिकाऊ होती है खाद, बीज इत्यादि का टीका उत्पादक वस्तुएं है| कारखाने का भवन मशीन यंत्र आदि टिकाऊ उत्पादक वस्तु है जो एक लंबे समय तक उत्पादन कार्य में सहायक होते हैं|

Post a Comment

4 Comments

  1. Thank you so much sir this is so helpful

    ReplyDelete
  2. THANKS SIR SIR AAP ONLINE CLASS KARWATE HAI KYA AGAR KARWATE HAI TO PLEASE LINK BHEJ DIJIE SIR MEHARBANI HOGI PLEASE SIR CLASS 9 KA

    ReplyDelete
    Replies
    1. youtube par bharati bhawan bittu sir search karo aa jayega ya is website par hi video dekhane ko mila jayega niche jaoge to

      Delete