उत्तर :- भोजन की प्राप्ति के लिए जब हम एक ही प्रकार के पौधे को किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है तो उस पौधे को फसल कहा जाता है | इन फसलो से हमें भोजन प्राप्त होता है | मानव तथा अन्य जीवों के शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज है |
(क) कार्बोहाइड्रेट प्रदान करनेवाली फसल :- कार्बोहाइड्रेट प्रदान करनेवाली प्रमुख फसलों में चावल, गेहूँ, मक्का, बाजरा तथा ज्वार है | इन्हें अनाज या धान्य फसल कहा जाता है |
(ख) प्रोटीन प्रदान करने वाली फसल :- चना, मसूर, मूंग, अरहर, मटर आदि फसल प्रोटीन के मुख्य स्रोत है | इन फसलों को दलहन फसल कहा जाता है |
(ग) वसा प्रदान करनेवाली फसल :- सरसों, मूंगफली, सूर्यमुखी, तीसी, टिल आदि फसलों से वसा या तेल की प्राप्ति होती है | इस कारण इन फसलों को तेलावाले बीजो की फसल कहते है |
2. खेतों में मिट्टी की तैयारी किस प्रकार की जाती है ?
उतर :- मिट्टी एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है | इसमे सभी पौधे उत्पादन तथा विकसित होते है | यह पौधे की जड़ों को आधार प्रदान करता है | मिट्टी से पौधे को जल तथा पोषक त्तत्व प्राप्त होते है | यह पौधों की जड़ों की श्वशन के लिए आवश्यक आक्सीजन गैस उपलब्ध कराता है |
मिट्टी को उलटना-पलटना तथा भुरभुरा करना आवश्यक कृषि-कार्य है | इस कृषि-कार्य की जुताई कहा जाता | खेतों की जुताई करनेवाली उपकरण हल कहलाता है | यह लकड़ी या लोहे का बना होता है | इसे बैल, भैंस, ऊँट जैसे पशु या ट्रेक्टर से खींचा जाता है | मिट्टी को ढीला तथा भुभुरा बनाने के लिए निम्न प्रकार के कृषि-औजारों का उपयोग किया जाता है |
(क) हल - खेतों की जुताई करनेवाला यह सबसे प्रमुख कृषि-औजार है | हल की मदद से खेतों की जुताई, खाद को मिट्टी में मिलाने तथा खरपतवार को नष्ट करने का कार्य किया जाता है | इसे पशु या ट्रेक्टर से खींचा जाता है |
(ख) कुदाली - यह एक सरल औजार है जिसका उपयोग खरपतवार निकालने तथा मिट्टी को ढीला करने के लिए किया जाता है | इसमे लकड़ी या लोहे की छड होती है जिसके एक सिरे पर लोहे की मजबूत चौड़ी तथा मुड़ी हुई प्लेट लगी होती है |यह प्लेट एक ब्लेड की तरह कार्य करती है |
(ग) कल्टीवेटर - इस यंत्र के उपयोग से खेतों की जुताई में श्रम तथा समय दोनों की बचत होती है | इसे ट्रेक्टर में लगाकर खेतों की जुताई काफी अच्छे ढंग से की जाती है |
3. खेतों की उर्वरक क्षमता में वृद्धि करने सम्बन्धी विभिन तरीके का वर्णन करें |
उत्तर :- खाद तथा उर्वक का प्रयोग करना - फसलों को पोषक तत्वों की प्राप्ति मिट्टी से होती हैं मिट्टी को इन पोषक तत्व की प्राप्ति खाद तथा उर्वरक के प्रयोग से होती है | अगर किसी खेत में लगातार कुछ वर्षों तक किसी फसल को उगाया जाता है तो उसकी उपज में कमी आ जाती है | उपज में कमी आने की एक कारण मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है | पोषक तत्वों की कमी से मिट्टी की उर्वराशक्ति कम हो जाती है | मिट्टी में खाद तथा उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी की उर्वाशक्ति में वृद्धि होती है तथा मिट्टी में पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है | किसान अपने खेतों की उर्वाशक्ति के स्तर को बनाए रखना तथा अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कृषि-पद्धतियाँ को अपनाते है |
(क) खेतों की उर्वराशक्ति को पुन प्राप्त करने के लिए किसान एक या अधिक मौसम के लिए खेतों को परती छोड़ देते है | इस दौरान खेतों में कोई भी फसल नहीं लगाईं जाती है | खेतों में पौधे तथा जंतुओं के अवशेषों का अपघटन सूक्ष्मजीवों द्वारा किया जाता है | इससे मिट्टी को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है तथा इसकी उर्वाराक्शक्ति में वृशी होती है |
(ख) अलग-अलग फसलों की पौषनिक आवशयकता अलग-अलग होती है | अगर किसी फसल को लगातार कई वर्षों तक किसी खेत में उगाया जाए तो इस स्थिति में खेत की मिट्टी में विशेष पोषक तत्व की कमी हो जाती है | इस स्थिति में मिट्टी में पोषक तत्वों की पुन पूर्ति के लिए कोई दो फसल के बीच फलीदार फसल लगाना चाहिए | फलीदार फसल के उदाहरण चना, मटर , सोयाबीन, मूंग, उरद आदि है |
(ग) खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए किसानो द्वारा उर्वरक तथा खाद का उपयोग किया जाता है | इंके प्रयोग से मिट्टी को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है |
उर्वरक रसायनिक पदार्थ होते है जो विशेष पोषक तत्वों, जैसे पोटेशियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन की आपूर्ति, पोटास आदि उर्वरक के उदाहरण है |
4. सिंचाई किसे कहते है ? सिंचाई के विभिन्न तरीकों का वर्णन करें |
उत्तर :- जल समस्त जीवों के जीवन का मुख्य आधार है | फसलों की उचित वृद्धि तथा विकास के लिए जल की आवश्यकता होती है | फसलों की समस्त जैविक क्रियाओं, जैसे बीजों का अंकुरण, प्रकाशसंश्लेषण, अवशोषण, रासरोहन, वाष्पोत्सर्जन आदि के लिए जल की आवश्यकता पड़ती है | फसलों को पानी उपलब्ध कराने की पद्यति को सिंचाई कहते है |
सिंचाई के स्रोत :- हमारे देश के अधिकांश किसान आज भी सिंचाई के लिए मुख्यत वर्षाजल पर ही आश्रित है | इसके अलावा हमारे देश में सिंचाई के प्रमुख स्रोत नदी, तालाब, नहर, नलकूपों है |
5. फसल-कटाई के विभिन्न चरणों का वर्णन करें |
उत्तर :- फसल के तैयार हो जाने पर उसके काटने की प्रक्रिया को कटाई कहा जाता है | अनाज की फसल को तैयार होने के करिब तीन-चार महीने लगते है | धान, गेहूँ आदि फसलों की कटाई हँसिया द्वारा की जाती है | फल तथा सब्जियों को हाथों की मदद से तोड़ा जाता है | आजकल फसल की कटाई के लिए डीजल या पेट्रोल चालित हार्वेस्टर मशीन का उपयोग किया जा रहा है |
6. अनाजों के भंडारण के विभिन्न तरीकों का वर्णन करें |
उत्तर :- कटाई के उपरान्त अनाजों या अन्य भोजन उत्पादों का भविष्य में उपभोग के लिए संचित करने की विधि को भंडारण कहा जाता है | ताजे कटाईवाले फसल के अनाजों में 16-18% तक नमी रहती है | अनाज के भंडारण के लिए नमी की मात्रा 14% से कम होनी चाहिए | भंडारण के पहले अनाजों को धुप में सुखाया जाता है जिससे नमी में कमी आ जाए |
घरों में अनाजों का भंडारण प्राय शुष्क डिब्बों या कनस्तरों में भरकर किया जाता है | भंडारण वाले पात्र का ढक्कन ठीक से बंद किया रहता है जिससे यह यथासंभव वायुरोधित बना रहे |
व्यापारिक स्तर पर अनाजों को जुट के बोरोन में भरकर गोदाम में रखा जाता है | भंडारण के पूर्व गोदामों को पिदकों से मुक्त कर लेना चाहिए | इसके लिए गोदाम में धुमक का उपयोग किया जाता है |धुमक एक रासायनिक वाश्पिशील पदार्थ होते है जो पिदकों तथा सूक्ष्मजीवों को नष्ट करते है | पिदाको तथा सूक्ष्मजीवों को समाप्त करनेवाली इस विधि को रासायनिक धुमन कहा जाता है |
Hello My Dear, ये पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अवश्य बताइए और साथ में आपको क्या चाहिए वो बताइए ताकि मैं आपके लिए कुछ कर सकूँ धन्यवाद |